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मां-गृहलक्ष्मी की कविता

01:00 PM Apr 22, 2024 IST | Sapna Jha
मां गृहलक्ष्मी की कविता
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Hindi Poem: मां तो मां होती है ,मां जैसी कहां कोई होती है।
इस दुनिया में अगर बच्चो का जन्म संभव हो पाया है  
तो मां के दुख झेलने से हो पाया है।
मां तो मां होती है, मां की जैसी कहां कोई होती है।
बहुत मुश्किल है इस धरती पर।
बच्चों का जन्म संभव हो पाना।
मां ने वो चमत्कार भी कर दिखाया है
मां तो मां होती है, मां की जैसी कहां कोई होती है।
मां तो भगवान जैसी होती हैं।
मैं भूखा न रह जाऊ कहीं।
मां ये सोचकर भूखी रह जाती है।
मैं प्यासा न रह जाऊ कहीं  
मां ये सोचकर कर प्यासी रह जाती है।
कहीं नींद से मैं जाग न जाऊं ।
ये सोचकर मेरी मां रात भर जागती रहती है।
लोरियां गा गा कर कहानियां सुना सुना कर
वो मुझको सुलाती रहती है।
मां तो मां होती हैं,मां के जैसी कहां कोई होती है
मेरे सुख के खातिर वो जाने कितना दुख उठाती है।
हर बला दूर रहे हमसे ये सोचकर
खुद ही बला ले लेती है।
मां तो मां होती हैं, मां के जैसी कहां कोई होती है।
चाहे कितनी भी गलती कर लो ।
मां माफ कर देती है।
सजा देकर भी वो खुद ही रो लेती है।
मां तो मां होती है, मां के जैसी कहां कोई होती है।
धिक्कार है उस इंसान पर ,जो मां के प्यार को नही पहचान सका।
नमन करता हूं, मैं अपनी मां को
जिसने हमे जन्म दिया।
पाल पोस कर बड़ा किया,और मुझको अपने पैरो पर खड़ा किया।
मां तो मां होती है, मां के जैसी कहां कोई होती है।

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