Mangla Gauri Vrat 2022: क्यों है मंगला गौरी व्रत महत्वपूर्ण, जाने 2022 की तिथि और व्रत विधि
Mangla Gauri Vrat 2022: सावन के महीने में व्रत का विशेष महत्व है। इस पावन माह में सोमवार के व्रत के अलावा मंगला गौरी व्रत भी महिलाओं द्वारा रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को महिलाएं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक माता पार्वती ने भोलेनाथ को पाने के लिए जो जप-तप और व्रत किए, उन्हीं में से एक मंगलवार का व्रत भी है, जिसके कारण इस व्रत को मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
मंगलवार को रखे जाने वाला ये व्रत शिव-शक्ति को समर्पित है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए रखती हैं और अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को पूरे विधि विधान से करती हैं। मंगला गौरी व्रत 14 जुलाई 2022 से आरंभ होने वाले हैं, जो 12 अगस्त तक चलेगें।
मंगला गौरी व्रत कथा का महत्व
ज्योतिष विद्या के हिसाब से अपने वैवाहिक जीवन में दुविधाओं का सामना कर रही महिलाओं और पति से अलग होने की स्थिति में महिलाओं को मंगला गौरी व्रत अवश्य रखना चाहिए। इसे रखने से अगर आपकी कुंडली में कुछ अशुभ योग बन भी रहे हैं, तो वे अपने आप ठीक हो जाएंगे और आपके लिए फलदायक साबित होंगे।
मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार दूर एक शहर में व्यापारी हुआ करता था, जिसका नाम था धरमपाल। वे बेहद धनी था और उस व्यापारी के पास तरह-तरह के एशो-आराम के साधन भी हुआ करते थे। मगर उसके जीवन में जो एक बड़ी कमी थी, वो थी संतान का न होना। व्यापारी और उसकी पत्नी पल-पल इस दुख से विचलित रहते थे। वे भी अपने आंगन में बालक की किलकारियां सुनना चाहते थे। मगर हर कोशिश के बाद भी उनका जीवन सूना था।
एक बार प्रभु की कृपा से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई, जो अल्पायु था। उसे एक श्राप मिला था, जिसके तहत जब वे 16 साल का होगा, तो उस वक्त सर्प के काटने से उसकी तत्काल मृत्यु हो जाएगी। मगर प्रभु को कुछ और ही मंजूर था, दरअसल, 16 साल की उम्र से पहले ही उस युवक का विवाह हो गया और जिस युवती से उसका विवाह हुआ था उसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी। उन्होंने व्रत के माध्यम से अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिसके कारण वह कभी विधवा नहीं हो सकती। इसी कारण धरमपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की।
मंगला गौरी व्रत की तिथियां
मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के हर मंगलवार को किया जाता है और इस वर्ष के मंगला गौरी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त नीचे दिए गए है।
पहला मंगला गौरी व्रत : 19 जुलाई 2022 मंगलवार
द्वितीय मंगला गौरी व्रत : 26 जुलाई 2022 मंगलवार
तृतीय मंगला गौरी व्रत : 2 अगस्त 2022 मंगलवार
चतुर्थ मंगला गौरी व्रत : 9 अगस्त 2022 मंगलवार
इसके बाद 12 अगस्त 2022 को श्रावण मास समाप्त हो जाएगा।
मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री
मंगला गौरी व्रत के लिए आपको कोई भी फल, फूल मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, जीरा, धनिया समेत सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए। इसके अलावा साड़ी समेत 16 श्रंगार की 16 वस्तुएं, 16 चूड़ियां, 5 प्रकार के सूखे मेवे 16-16 और सात प्रकार के धान्य।
मंगला गौरी व्रत 2022 पूजन विधि
व्रत करने वाली महिलाओं को श्रावण मास के प्रथम मंगलवार प्रातः स्नान करने के पश्चात मंगला गौरी की मूर्ति या तस्वीर को लाल रंग के किसी कपडे़ से लपेट कर, लकड़ी के पाट पर रखा जाता है। अब पाट पर बिछाए गए लाल रंग के कपड़े पर कलश स्थापित किया जाता है। उसके लिए पाट के एक तरफ चावल व फूल रखकर कलश स्थापित करते हैं और उस कलश में जल भरा जाता हैं।
अब आटे का एक दीया तैयार किया जाता है, जिसमें 16-16 तार की चार बातियां बनाकर प्रज्जवलित की जाती है। उसके बाद सबसे पहले गणपति जी की अराधना की जाती है और उन्हें जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लोंग, पान, चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढ़ाते हैं। इसके बाद कलश की पूजा भी गणपति जी के पूजन की तरह से ही की जाती है। फिर नौ ग्रहों तथा सोलह माताओं की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान अर्पित की गई हर सामग्री को गरीबों को दे देनी चाहिए।
अब इसके बाद मां मंगला गौरी की मूर्ति को जल, दूध और दही से स्नान कराकर पवित्र वस्त्र और गहने पहनाने चाहिए। उसके बाद उनकी प्रतिमा का रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी व काजल से श्रृंगार किया जाता हैं। शृंगार की सोलह वस्तुओं से माता को सजाकर उनपर सोलह प्रकार के फूल-पत्ते माला आदि चढ़ाते है। उसके बाद मेवे, सुपारी, लौंग, मेंहदी और चूडियां भी चढ़ाई जाती है। पूजन विधि के बाद अब आखिर में मंगला गौरी व्रत कथा भी जरूर सुननी चाहिए। इसके बाद अब विवाहित महिलाएं अपनी सास तथा ननद को 16 लड्डु दान देती हैं और इस व्रत में एक समय अन्न खाने का विधान है।
सावन माह के आखिरी मंगलवार यानि अंतिम व्रत से अगले दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी में विर्सिजित कर दिया जाता हैं। इस व्रत को लगातार पांच वर्षों तक करने का विधान हैं। इसके पश्चात इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत के बाद उसका उद्यापन करना भी बेहद आवश्यक है। उद्यापन में खाने को वर्जित बताया गया है। इसके लिए मेहंदी लगाकर पूजा करनी चाहिए। मंगला गौरी व्रत 2022 में पूरे विधि- विधान से पूजन करने से संतान सुख और अखंड सौभाग्य की मनोकामना पूर्ण होगी।