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8 साल बाद भी इस फिल्म को क्यों नहीं भूल पा रहे दर्शक: Masaan 8 Anniversary

12:48 PM Jul 26, 2023 IST | Srishti Mishra
8 साल बाद भी इस फिल्म को क्यों नहीं भूल पा रहे दर्शक  masaan 8 anniversary
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Masaan 8 Anniversary: फिल्म 'मसान' हिंदी सिनेमा के चहेतों के लिए खूबसूरत तोहफा है। फिल्म को 8 साल हो गए हैं। फिल्म में संजय मिश्रा , पंकज त्रिपाठी , ऋचा चड्ढा , विक्की कौशल और श्वेता त्रिपाठी जैसे दिग्गज कलाकार है। इनके ज़बरदस्त अभिनय ने किरदारों में जान डाल दी है। 'मसान' का निर्देशन नीरज घेवन ने किया है। फिल्म इतनी बेहतरीन थी कि आज भी इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी है। फिल्म के गीतों की बात करें तो वो भी कमाल हैं। फिल्म के कुछ ऐसे दृश्य हैं जो बहुत ही ख़ास हैं और उनके साथ सजे संवाद फिल्म को अपने दर्शकों के लिए सदा के लिए अविस्मरणीय बना देते हैं।

 अद्भुत दृश्यों की फिल्म 

Masaan 8 Anniversary
Masaan 8 Anniversary- Facts about Masaan

यूँ तो पूरी फिल्म ही बेहद खूबसूरत है लेकिन फिल्म के कुछ दृश्य ऐसे हैं जो अपने दर्शक का दिल जीत लेते हैं। ये दृश्य अपने दर्शक के मन को एक पल में खाली कर देते हैं तो दूसरे पल में उसे भर देते हैं। ऐसे सराबोर कर देते हैं कि वो आँखों से बहने लगता है। याद कीजिये फिल्म का वो दृश्य जब शमशान में काम करते वक़्त दीपक का सामना शालू की लाश से होता है। कितनी प्यारी प्रेम कहानी का जैसे अंत होता हो उसका मातम ये दृश्य महसूस करवाता है। इसके अलावा वो दृश्य जब दीपक अपने दोस्तों के साथ गुमसुम बैठा होता है और उसके दोस्त उसका मन हल्का करना चाहते हैं। वो उसे कुछ बोलने को कहते हैं इसपर दीपक एक शेर पढ़ता है कि 'तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूं' इसी वक़्त बैकग्राउंड से ट्रैन से गुजरने की आवाज़ का होना , ये दृश्य जैसे बोल रहा हो कि शालू की याद वो ट्रेन है और दीपक किसी पुल की तरह उसके वियोग से थरथरा रहा है।

खूबसूरत संवाद 

फिल्म में संवाद का ही सारा खेल होता है इससे हम सभी सहमत हैं। 'मसान' के एक दृश्य में देवी और साध्य साथ बैठे लंच कर रहे हैं। यहां जिस तरह साध्य खीर का बखान करते हैं वो बेहद अच्छा है। यहां देवी साध्य से पूछती है कि 'आप अकेले रहते हैं?' इसपर साध्य जवाब देते हुए कहते हैं कि 'हम पिता जी के साथ रहते हैं, पिताजी अकेले रहते हैं'। इस संवाद को वो हर व्यक्ति महसूस कर सकता है जो रिश्तों को थोड़ा भी समझता है। फिर फिल्म का आखिरी सीन जहाँ देवी और दीपक एक दूसरे से मिलते हैं वो एक दूसरे को नहीं जानते लेकिन दुःख को जानते हैं इसलिए साथ बैठे हैं। और साथ ही एक नाव में सवार होकर चले जाते हैं, वियोग की नाव में।

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