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घर में सुख-शांति लाएंगी माता रानी, जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में चौकी स्थापित करने का क्या है सही तरीका: Chaitra Navratri Chauki

07:15 AM Apr 09, 2024 IST | Ayushi Jain
घर में सुख शांति लाएंगी माता रानी  जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में चौकी स्थापित करने का क्या है सही तरीका  chaitra navratri chauki
CHAUKI
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Chaitra Navratri Chauki : देश भर में नवरात्रि का त्यौहार बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। साल भर में दो बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। पहले नवरात्रि चैत्र माह में पड़ती है। वहीं, दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में पड़ती है। साल 2024 में चैत्र नवरात्रि का त्यौहार 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लोग विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं साथ ही साथ तरह-तरह के उपाय भी करते हैं।

नवरात्रि में माता की चौकी की स्थापना करने का विशेष महत्व है। इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसे कई नियम बताए गए हैं जिन्हें ध्यान में रखकर नवरात्रि के दौरान माता की चौकी की स्थापना से लेकर कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसी के साथ चलिए जानते हैं की नवरात्रि के दौरान वास्तु शास्त्र के अनुसार किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए, तो चलिए जानता है।

Also read : माता को प्रसन्न करने के लिए रख रहे हैं नवरात्र का व्रत, तो जानें क्या खाएं और क्या नहीं: Chaitra Navratri 2024

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वास्तु शास्त्र के द्वारा बताई गई इन बातों का रखें ध्यान

CHUAKI
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किस दिशा में रखें माता की मूर्ति

वास्तु शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि में माता दुर्गा की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है। ईशान कोण उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित होता है। यह दिशा ईश्वर और देवी-देवताओं की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में मूर्ति स्थापित करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और पूजा का फल भी मिलता है।

कैसी होनी चाहिए माता की चौकी

माता की चौकी, नवरात्रि के पावन पर्व का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह भक्ति, समर्पण और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। माता की प्रतिमा को लकड़ी की चौकी पर रखना शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो चंदन की लकड़ी की चौकी का उपयोग करें। चैत्र नवरात्रि में घर में स्थापित मां दुर्गा की मूर्ति का आकार 3 इंच से बड़ा नहीं होना चाहिए। मूर्ति का रंग हल्का पीला, हरा या गुलाबी होना चाहिए। चौकी स्थापित करने का सबसे उत्तम समय अभिजीत मुहूर्त होता है। यदि अभिजीत मुहूर्त में संभव न हो तो आप सुबह या शाम के समय भी चौकी स्थापित कर सकते हैं।

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रंगों का रखें विशेष ध्यान

नवरात्रि के दौरान रंगों का विशेष महत्व होता है। इन रंगों का उपयोग पूजा सामग्री, वस्त्रों और घर की सजावट में किया जाता है। पीला रंग, यह रंग सूर्य देव का प्रतीक है। पीला रंग उत्साह, उमंग, और आनंद का प्रतीक है। लाल रंग, यह रंग शक्ति, साहस, और समृद्धि का प्रतीक है। सफेद रंग, यह रंग पवित्रता, शांति, और शुभता का प्रतीक है। हरा रंग, यह रंग प्रकृति, विकास, और नई शुरुआत का प्रतीक है। गुलाबी रंग, यह रंग प्रेम, स्नेह, और करुणा का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान शाम के समय कपूर जलाकर आरती करना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म हो जाता है और मां लक्ष्मी का आगमन होता है।आप अपने इष्ट रंग का भी उपयोग कर सकते हैं।

किस प्रकार का भोजन खाएं

चैत्र नवरात्रि व्रत और पूजा का पावन पर्व है। इन नौ दिनों में माता दुर्गा की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इन दिनों में खानपान का भी खास ध्यान रखना चाहिए। यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो आप सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं। जैसे फल, सब्जियां, दही, दूध, घी, मेवे, कुट्टू का आटा, और साबूदाना का सेवन करें। वहीं, लहसुन, प्याज, मांस, मसालेदार भोजन, और शराब का सेवन न करें। व्रत के दौरान आप आप सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं। सामान्य नमक का सेवन न करें।

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गोबर का करें इस्तेमाल

नवरात्रि के दौरान गोबर का उपयोग धार्मिक और पारंपरिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। गोबर को पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग मां दुर्गा की पूजा में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गोबर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। गोबर का उपयोग ग्रहों को शांत करने और मन की शांति प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में, नवरात्रि के दौरान घरों के आंगन को गोबर से लीपना एक आम परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर पवित्र और सुगंधित होता है। यदि गोबर से लीपना संभव न हो तो, 7 गोबर के कंडे घर के आंगन में टांग दिए जाते हैं।

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