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आप भी हो सकते हैं डीपफेक टेक्नोलॉजी के शिकार, जानिए कैसे: Deepfake Technology

03:00 PM Aug 04, 2023 IST | Pinki
आप भी हो सकते हैं डीपफेक टेक्नोलॉजी के शिकार  जानिए कैसे  deepfake technology
Misuse of Deepfake Technology
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Deepfake Technology: दुनियाभर में AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। एआई ने जहां अपने सकारात्मक काम को लोगों के सामने पेश किया है, वहीं इसके गलत इस्तेमाल के परिणाम भी सामने आने लगे हैं। कई ऐसी घटनाएं हमारे सामने आई हैं, सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो, संदेश और भाषण के कारण हुई हैं। इस चीज़ में कोई दोराहे नहीं हैं कि एक भ्रामक संदेश का परिणाम कितना विनाशकारी साबित हो सकता हैं। दरअसल, गलत और अनैतिक जानकारी प्रसारित करने वाले आपराधिक लोगों के हाथ एक ऐसा हथियार लग गया है, जो समाज और देश में अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इस हथियार का नाम है 'डीपफेक', आखिर ये क्या है, कैसे काम करते है और कैसे इसकी पहचान की जाए? चलिए जानते हैं ।

डीपफेक क्या है?

Deepfake Technology Meaning
Deepfake Technology

मौजूदा दौर में विश्व डिजिटलीकरण की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जिसका विश्वभर में डंका है। एआई की मदद से जहां कई काम आसान हुए हैं, वहीं गलत हाथों में जाने से एआई का पड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल भी शुरू हुआ है। इन्हीं गलत इस्तेमाल में से एक है डीपफेक, जो एआई की ही उपज है। डीपफेक को एआई द्वारा एक व्यक्ति को रिकॉर्ड किए गए वीडियो में दूसरे जैसा दिखने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन असामाजिक तत्व इसका इस्तेमाल डिजिटल मीडिया में फेरबदल करने के लिए कर रहे हैं। ये लोग डीपफेक का इस्तेमाल करते हुए किसी वीडियो, फोटो या ऑडियो को एडिट करते हैं। ये एडिटिंग हूबहू वास्तविक चीज़ों जैसी ही दिखती है, जिस कारण इसकी पहचान करना काफी मुश्किल हो जाता है।

डीपफेक से होने वाले नुकसान

जाहिर है सही चीज़ को गलत बताने के परिणाम भयानक होते हैं। डीपफेक का इस्तेमाल किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को बदनाम करने, हिंसा-अराजकता फैलाने, सच को झूठ बताने और गलत सबूतों को जमा करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने, आपत्तिजनक वीडियो बनाने, आपत्तिजनक वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है। डीपफेक के जरिये फर्जी वाईस रिकॉर्ड करके पैसों की ठगी भी की जाती है। डीपफेक का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचने के लिए भी किया जा सकता है।

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कैसे करें डीपफेक की पहचान?

डीपफेक के जरिये जनरेट किया गया डाटा हूबहू असली डाटा जैसा ही नजर आता है। ये प्रोग्रामिंग इतनी सफाई से अपना काम करती है कि बिना एक्सपर्ट के पहली नजर में इसका पता लगाना नामुमकिन होता है। ऐसे में अगर कोई वीडियो या फोटो है तो आपको असलियत की पहचान करने के लिए फोटो या वीडियो में नजर आ रहे व्यक्ति के चेहरे के भावों की पहचान करना जरुरी है। आपको देखना है कि वीडियो में नजर आ रहे शख्स के चेहरे के भाव असली व्यक्ति के चेहरे से मिलते हैं या नहीं। साथ आपको आंखों, होठों, गलों के आकार और पलक झपकने की गति का भी ध्यान रखना है। हालांकि ये बेहद बारीकी वाला काम है लेकिन किसी भी ठगी या असामाजिक घटना से बचने के लिए ये जरुरी है।

डीपफेक से कैसे बचें?

किसी भी ठगी से बचने के लिए जरुरी है आपकी सतर्कता और होशियारी। तमाम तरह की ठगी से बचने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है। सोशल मीडिया के इस दौर में अक्सर हम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी तस्वीरें शेयर करते हैं, जो ठगी या धोखाधड़ी का शिकार बना सकता है। अपने हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने अकाउंट को प्राइवेट रखें। सोशल मीडिया पर ढ़ेर सारी तस्वीरें शेयर करने से साइबर क्राइम की सम्भावनाओ में बढ़ोतरी होती है। आपकी तरह-तरह की तस्वीरों का इस्तेमाल फेक आपत्तिजनक वीडियो बनाने में किया जा सकता है। अनजान या नई जान-पहचान वाले लोगों के साथ अपनी निजी जानकारियां साझा करने से बचें।

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