For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

मूल नक्षत्र में जन्म का क्या होता है अर्थ? कैसा होता है इस नक्षत्र में पैदा होने वाले बच्चे का स्वभाव: Moola Nakshatra

11:09 AM Apr 18, 2023 IST | Pinki
मूल नक्षत्र में जन्म का क्या होता है अर्थ  कैसा होता है इस नक्षत्र में पैदा होने वाले बच्चे का स्वभाव  moola nakshatra
Moola Nakshatra
Advertisement

Moola Nakshatra: सनातन धर्म में नक्षत्र का बहुत अधिक महत्त्व होता है। इसलिए बच्चे के जन्म लेते ही देखा जाता है कि वे किस नक्षत्र में दुनिया में आया है। अगर बच्चे ने मूल नक्षत्र में जन्म लिया है तो उसको शुभ नहीं माना जाता। इतना ही नहीं जन्म लेते ही बच्चे के पिता द्वारा का चेहरा देखना भी सुबह नहीं होता। लेकिन मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे तेजस्वी होते हैं और जीवन में सफलता हासिल करते हैं। आखिर क्या होता है मूल नक्षत्र, और क्या है इससे जुड़ी धार्मिक मान्यता, आज इस लेख के जरिये हम आपको इसकी जानकारी देंगे।

क्या होते हैं नक्षत्र?

मूल नक्षत्र को जानने से पहले हम नक्षत्रों के बारे में जानेंगे। धार्मिक शास्त्रों में तारों को समूह को नक्षत्र कहा जाता है। जिनकी संख्या 27 बताई गई है। इन 27 नक्षत्रों में कुछ शुभ तो कुछ अशुभ होते हैं। जब चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है, तो इन नक्षत्रों के बीच से होकर गुजरता है। ऐसे में जब भी किसी का जन्म होता है तो उस समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही उस बच्चे का जन्म नक्षत्र होता है। ऐसे में उस बच्चे पर इस नक्षत्र का शुभ व अशुभ प्रभाव जीवन पर पड़ता है।

मूल नक्षत्र में जन्म का अर्थ

धार्मिक शास्त्रों में जिन 27 नक्षत्रों का उल्लेख हैं उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं। अश्विन, आश्लेषा, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, चित्रा, स्वाति, विशाखा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती। इन्हीं नक्षत्रों में 6 नक्षत्र मूल, ज्येष्ठा, आश्लेषा अश्विनी, रेवती और मघा को मूल नक्षत्र कहा जाता है। अगर इन 6 नक्षत्रों में किसी शिशु का जन्म होता है तो उसके पिता को अपने बच्चे का चेहरा नहीं देखना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि अगर पिता ने अपने बच्चे का मुख देख लिया तो उसके आगामी जीवन में उसे और परिजनों को कष्ट का सामना करना पड़ता है। हालांकि ये बात बच्चे की कुंडली पर भी निर्भर करती है। अगर बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो तो चिंता करने की जरूरत नहीं होती। मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे के लिए एक खास पूजा भी की जाती है।

Advertisement

मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे का स्वभाव?

Moola Nakshatra
Moola Nakshatra

मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे बहुत प्रभावी होते है, क्योंकि मूल नक्षत्र के स्वामी केतु और राशि स्वामी गुरु है, ऐसे में इस नक्षत्र में जन्मे बच्चों पर इन दोनों ग्रहों का प्रभाव जीवन भर बना रहता है। इस तरह के बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ हो तो वे बहुत ही तेजस्वी होते हैं। इनको जीवन के हर कदम पर सफलता मिलती है। शुभ प्रभाव होने पर इस तरह के बच्चे कार्यकुशल व अच्छे वक्ता भी होते हैं। इनका खोजी स्वभाव इन्हें विशेष बनता है। अगर बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ न हो तो उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, जो उन्हें क्रोधी और ईर्ष्यालु स्वाभाव का बना देता है।

Advertisement
Advertisement
Tags :
Advertisement