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नमन शारदे-गृहलक्ष्मी की कविता

01:00 PM May 08, 2024 IST | Sapna Jha
नमन शारदे गृहलक्ष्मी की कविता
Naman Shaarde
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Hindi Poem: क्या चंद्र बिंदु ओंकार का है
पूरब से उदित, आभा लेकर?
यह किसके हाथों की गति है
दिखलाता पथ को दिशा देकर?

किसने थामी है, प्रबल किरण
किसने रोकी है, प्रखर छाया
ये दिव्य बांह किसकी है, कहो!
किसने फैलाई है माया?

खेलता है कौन, लहरों के संग
किसने हाथों में, रखा सूर्य?
किसने प्रभात के मंत्र पढ़े
किसने है बजाया प्रकृति तूर्य?

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किस शक्ति के हाथों ने थामा
गोधूलि, प्रभात को एक साथ
किसने पहनाए हैं कंगन
सागर, आकाश में दिन औ रात।

किसकी शैली अद्भुत चित्रित
किसकी आंखों में अतुल स्नेह?
कितना सुंदर यह चित्र, अहो!
मन, देख के हो जाता विदेह।

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