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चैत्र नवरात्रि पर भगवान श्रीराम की पूजा का क्या है महत्व: Navratri Ram Puja

11:49 AM Mar 22, 2023 IST | Yashi
चैत्र नवरात्रि पर भगवान श्रीराम की पूजा का क्या है महत्व  navratri ram puja
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Navratri Ram Puja: चैत्र नवरात्रि वर्ष का वह शुभ समय है, जब देवी दुर्गा और भगवान राम के भक्त नौ दिनों तक उपवास करते हैं और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। नौ दिनों के उत्सव के दौरान लोग देवी शक्ति के नौ अवतारों (शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री) को पूजते हैं और अंतिम दिन राम नवमी मनाते हैं। कई हिंदू भक्त भी इस त्योहार को भगवान राम को समर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि हिंदू देवता विष्णु के सातवें अवतार और अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र का जन्म इसी समय हुआ था। इस दिन भगवान श्रीराम के जन्म और जीवन से जुड़े स्थानों को सजाया जाता है और लोग उनकी पूजा करते हैं।

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Navratri Ram Puja: राम नवमी से जुड़ी किंवदंती

अयोध्या के राजा दशरथ का विवाह तीन पत्नियों के साथ हुआ था, लेकिन उन्हें ऐसा उत्तराधिकारी नहीं मिला था, जो उनके साम्राज्य और विरासत को आगे ले जा सके। तब संत वशिष्ठ ने दशरथ को सलाह दी कि वह एक अनुष्ठान को सावधानीपूर्वक करें, जिसकी सफलता के बाद उन्हें संतान की प्राप्ति होगी। यज्ञ के अंत में दशरथ को पायसम का कटोरा दिया गया, जिसे उन्हें अपनी तीन पत्नियों में बांटना था। पहली दो पत्नियों, कौशल्या और कैकेयी को एक-एक भाग मिला और सबसे छोटी पत्नी को दो भाग मिले। कैकेयी और कौशल्या, दोनों ने एक-एक पुत्र को जन्म दिया और सुमित्रा ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इस चमत्कार के लिए देवताओं को धन्यवाद देने के लिए इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा। कई वर्षों बाद जब राम ने रावण का वध किया और वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो राज्य के लोगों ने उनके जन्म दिवस को रामनवमी के रूप में मनाना शुरू किया।

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कैसे मनाएं राम नवमी

इस दिन भक्त भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, देवी सीता और हनुमान की मूर्तियों को स्थापित करके पूजा करते हैं। वे घरों या मंदिरों में एक साथ भजन और आरती करते हैं। परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्य, कन्या तब परिवार के सभी पुरुष सदस्यों पर तिलक लगाती है। सभी महिला सदस्यों को लाल बिंदी लगाई जाती है। पूजा समारोह के अंत में, सब पर गंगा जल छिड़का जाता है। विस्तृत समारोहों और मंदिरों में, पुजारी श्रीराम जन्म की कहानी सुनाते हैं और राम नाम के मंत्रों के साथ भजन गाए जाते हैं। कुछ भक्त शिशु राम की लघु मूर्तियों को लेकर, उन्हें धोकर और कपड़े पहनाकर, फिर उन्हें पालने में रखकर पूजा करते हैं। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में शहर के चारों ओर एक विशेष जुलूस निकाला जाता है, जिसमें श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां होती हैं। जुलूस के साथ-साथ चलने पर लोग राम नाम का जाप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह दिन भाग लेने वाले भक्तों के लिए अपार ज्ञान और सौभाग्य लाता है। रामनवमी के लिए अयोध्या में दो दिवसीय मेला भी लगता है।

विशेष मंत्रों से पूजा-अर्चना

Navratri Ram Puja
Navratri Ram Puja

राम नवमी के दिन भगवान श्रीराम के विशेष मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है। आपकी सहायता के लिए यहां कुछ मंत्र दिए गए हैं।
|| श्री राम, जय राम, जय-जय राम ||
(इसे तारक मंत्र भी कहा जाता है। यह भगवान श्रीराम का सबसे सरल मंत्र है।
जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जा सकता है।)
|| श्री रामाय नमः ||
(अच्छे स्वास्थ्य और किसी भी कार्य में सफलता के लिए इस मंत्र का जप करें।)
|| राम रामेति रामेति रामे मनोरमे ||
|| सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वराणे ||
(भगवान श्रीराम के इस मंत्र का जाप सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करना चाहिए।)

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राम रक्षा स्तोत्र

राम रक्षा स्तोत्र भगवान श्रीराम को समर्पित एक चमत्कारी स्तोत्र है। इसकी रचना भगवान शिव की आज्ञा पर ऋषि बुद्ध कौशिक ने की थी। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में लिखा गया था। यह ज्यादातर श्रीराम के भक्तों द्वारा सुरक्षा की प्रार्थना के रूप में उपयोग किया जाता है। सभी प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से लोगों को दीर्घायु, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा भी प्राप्त की जा सकती है।

भगवान राम का संदेश

भगवान राम का संपूर्ण जीवन ब्रह्मांड के लिए एक विशेष संदेश है। उन्होंने कभी भी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं किया। उन्होंने अपने माता-पिता और गुरुजनों का अत्यंत सम्मान किया और हमेशा उनकी बातों का पालन किया। उन्होंने माता सीता को बचाने के लिए रावण के साथ जीवन-जोखिम की लड़ाई लड़ी, इसलिए उन्हें अक्सर मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। पुत्र, भाई, पति, मित्र, स्वामी या राजा के रूप में उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों को पूर्णता के साथ निभाया और अपने बड़ों और अधीनस्थों से बेहद प्यार करते थे। भगवान राम का संपूर्ण जीवन आज के युवाओं के लिए जीवन में सद्गुणों और नैतिकता का पालन करने और सभी के प्रति दयालु होने का संदेश है। चैत्र
नवरात्रि 2023 पर हम सभी को भगवान राम के विशेष गुणों को अपने में आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए।

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