नींव की ईंट-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो, नव जीवन की क्यारी है,
हर घर की मनभावन तुलसी, ईंट नीव की, नारी हैं।
वो बहती सरिता सी निश्छल,
परमारथ के हित में जीती,
उसको श्रेय कभी न मिलता,
उसकी झोली रहती रीती।
धैर्य,सहन शक्ति से उसकी,कठिन परिस्थिति हारी है,
ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो नव जीवन की क्यारी है।
बाबुल का आँगन तज करके,पिय के घर में आती है,
सुख-दुःख दोनों सहती हँस कर,खुशियाँ घर में लाती है।
निज सपनों की आहुति, देकर समझे जिम्मेदारी है,
ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो,नव जीवन की क्यारी है।
पुरुषों से कम नहीं हैं गुण,पर क्यूँ दोयम नारी हैं,
कई क्षेत्र अब तो ऐसे हैं,वो पौरुष पर भारी हैं।
समता के अधिकार की खातिर,
सतत लड़ाई जारी है,
ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो,नव जीवन की क्यारी है।
माँ,बेटी,भगिनी,पत्नी,सखि,
बनकर साथ निभाती हैं,
उन्हें प्रेरणा यदि मिल जाए,नव इतिहास बनाती हैं।
उनके स्वजनों की खातिर,नियति भी उनसे हारी है,
ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो,नव जीवन की क्यारी हैं।
धरती और आकाश के आगे,
उसने ध्वज फहराया है,
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर को,
निज चरणों में झुकाया है।
ध्रुव तारे को छूने की,"भावुक" कोशिश जारी है,
ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो,
नव जीवन की क्यारी है।
हर घर की मनभावन तुलसी,ईंट नीव की,नारी है l
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