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नन्हें मेहमान की नहीं है खुशी, कहीं आप न्यू पेरेंट स्ट्रेस सिंड्रोम का शिकार तो नहीं: New Parent Stress Syndrome

07:00 PM May 31, 2023 IST | Rajni Arora
New Parent Stress Syndrome
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New Parent Stress Syndrome: सुमित अपनी पत्नी को लेकर बहुत परेशान था। क्योंकि उसकी पत्नी मेधा बेटे के जन्म के बाद से काफी बदल गई थी। सुमित और मेघा शादी के डेढ साल बाद माता-पिता बने हैं, उनका बेटा 2 महीने का था, कुछ दिन तक तो सब अच्छा रहा। लेकिन पिछले कुछ दिनों से सुमित मेघा को देख रहा था जो बुझी-बुझी सी रहने लगी थी, उसका स्वभाव काफी चिड़चिड़ा-सा हो गया था। उसके ऑफिस से आने के बाद मेधा पहले जैसे गर्मजोशी में स्वागत करना तो दूर, उसके पास आराम से बैठकर बात करने से भी कतराने लगी थी। जब सुमित बेटे को चेकअप के लिए गया, तो इसके बारे में डॉक्टर से बात की। पता चला कि वह न्यू पेरेंट स्ट्रेस सिंड्रोम का शिकार है। डॉक्टर ने सुमित को उसका ध्यान रखने और घर के काम में हाथ बंटाने खासकर टाइम मैनेजमेंट करके चलने की सलाह दी।

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क्या है न्यू पेरेंट स्ट्रेस सिंड्रोम

New Parent Stress Syndrome Meaning

न्यू पेरेंट सिंड्रोम या पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जिसका सामना कई दम्पति करते हैं। शादी के बाद जिंदगी में आए नन्हें मेहमान को लेकर जहां उनके मन में सुखद अनुभूति और खुशी का अहसास रहता है। वहीं कई दम्पतियों को तनाव या अवसाद की स्थिति का भी सामना करना पड़ता है। क्योंकि दिन-रात जागकर बच्चे का समुचित पालन-पोषण करना और घर-बाहर की बढ़ी जिम्मेदारियों को निभाना मुश्किल हो जाता है।

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देखा जाए तो जब कोई भी महिला पहली बार मां बनती है, तो उसे यह पता नहीं होता कि खुद को कैसे स्वस्थ रखना है, बच्चे की देखभाल कैसे करनी है। इस दौरान होने वाले शारीरिक-मानसिक और हार्मोनल बदलावों की वजह से वैसे ही कई महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। ऊपर से अगर उन्हें अपने पार्टनर या फैमिली का सपोर्ट नहीं मिलता, तो दिन-रात काम का दवाब ज्यादा होने की वजह से नींद पूरी न होना, थकान, कमजोरी, चिड़चिड़ापन जैसी कई शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। पार्टनर की अपेक्षाओं पर खरे न उतरने और उसके साथ सामंजस्य न बिठा पाने के चलते एक-दूसरे से खिंचे-खिंचे रहते हैं। दिलचस्प है कि पुरूष भी न्यू परेंट स्ट्रेस सिंड्रोम का शिकार हो जाते हैं। बेशक वो घर-बाहर की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं, लेकिन कई बार अपना दायरा सीमित करने की वजह से अकेलेपन, अवसाद और तनाव से घिर जाते हैं।

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किन्हें है ज्यादा रिस्क

यूं तो न्यू पेरेंट सिंड्रोम का शिकार कोई भी दम्पति हो सकता है। लेकिन शादी के बाद पहली बार बनने वाले पेरेंट्स में या उन दम्पतियों में ज्यादा देखने को मिलता है जिन्हें फैमिली प्लानिंग में किन्हीं कारणवश देरी हुई हो। या फिर कामकाजी दम्पति भी इस सिंड्रोम की चपेट में आते हैं। क्योंकि रेगुलर ऑफिस जाने वाले पुरूषों के लिए जहां लंबे समय तक ऑफिस का काम और माता-पिता या घर की जिम्मेदारी निभाना मुश्किल हो जाता है। वहीं मैटरनिटी लीव पर चल रही कामकाजी महिला को घर-बाहर की जिम्मेदारी निभाना बोझिल लगने लगता है जिससे वे डिप्रेशन की शिकार हो जाते हैं।

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क्या है कारण

आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो न्यू पेरेंट सिंड्रोम नए माता-पिता बनने पर स्त्री-पुरूष में होने वाले कई तरह के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों के कारण होता है। प्रसवोत्तर अवसाद, जो हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है, प्राथमिक कारणों में से एक है। ये बदलाव बच्चे की देखभाल, नींद की कमी, बदलती दिनचर्या, टाइम मैनेजमेंट, सामाजिक दवाब, वित्तीय जिम्मेदारी, पहली आदतों के छूटने, जीवनसाथी का बदला रवैया और अप्रत्याशित अपेक्षाओं के कारण हो सकते हैं। दोस्तों-रिश्तेदारों से अलगाव होना भी कई पेरेंट्स में तनाव का अहम कारण बनता है।

क्या होता है असर

New Parent Stress Effects

यह सच है कि नवजात शिशु के आगमन पर दम्पति के आपसी रिश्ते पर असर पड़ता है। हर माता-पिता की यही कोशिश रहती है कि बच्चे के प्रति अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाएं। जिंदगी के नए आयाम में अपनी फैमिली की खातिर दोस्तों, रिश्तेदारों या कहें तो समाज से कट कर जीते हैं। बच्चे की देखभाल के लिए जरूरत के हिसाब से अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करते हैैं, घर के कामों में एक-दूसरे को पूरा सहयोग देते हैं। आपसी सूझबूझ और सामंजस्य की बदौलत जहां उनके बीच नजदीकियां बढ़ती हैं और उनका रिश्ता ज्यादा मजबूत होता है। वहीं एक-दूसरे के साथ तालमेल न बिठा पाने और साथ न देने की वजह से उन्हें अकेलेपन, अवसाद और तनाव का सामना करना पड़ सकता है। जाने-अनजाने उनके रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं।

क्या है उपचार

न्यू पेरेंट सिंड्रोम से उबरने के लिए दम्पति को डॉक्टर की मदद भी जरूर लेनी चाहिए। तनाव और चिंता को प्रबंधित करने के लिए उन्हें योगा-मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती है। कॉगनेटिव-बिहेवियरल थेरेपी के जरिए दम्पतियों को नकारात्मक विचारों और व्यवहार से जूझने की कला सिखाई जाती है। जरूरत हो तो एंटी-डिप्रेसेंट मेडिसिन भी दी जाती हैं।

कैसे करें बचाव

दम्पति अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और कुछ बातों का ध्यान रखकर न्यू परेंट स्ट्रेस सिंड्रोम से बच सकते हैं जैसे-

(डॉ भावना बर्मी, सीनियर साइकोलॉजिस्ट, फोर्टिस एस्कोर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली)

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