देश में फैल रहा है जानलेवा निपाह वायरस, जानिए लक्षण और बचाव: Nipah Virus
Nipah Virus: हाल ही में केरल में निपाह वायरस के तेजी से फैलने और 2 लोगों की मौत की खबरें सुर्खियों में हैं। जिसकी वजह से केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने जन सामान्य को सतर्क रहने, मास्क पहनने के साथ एहतियात बरतने की अपील की है। सबसे पहले निपाह वायरस मलेशिया में 1990 में देखा गया था। जबकि हमारे देश में सबसे पहले 2001 में बंगाल के सिलीगुड़ी इलाके में फैला था। इस साल इसकी पांचवी आउटब्रेक है। कोरोना संक्रमण से तुलना की जाए तो हालांकि निपाह वायरस की संक्रमण दर काफी कम है, लेकिन मृत्यु दर ज्यादा है।
निपाह एक जूनोटिक वायरस है जो संक्रमित जानवरों या दूषित भोजन से मनुष्यों में फैलता है। फिर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। निपाह वायरस एनआइवी इंफेक्शन है। यह वायरस पैरामाइक्सोविरिडे फैमिली का सदस्य है जो फ्रूट-बैट यानी फल खाने वाले चमगादडों में पाया जाता है। वायरस जानवर से फलों में और फलों के जरिये मानव में फैलता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार निपाह वायरस चमगादडों के सलाइवा-ग्लैंड में होता है। चमगादड़ में विशेष प्रकार की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं जिसकी वजह से वायरस उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते और उसके स्लाइवा ग्लैंड में रहते हैं। जब यह फ्रूट-बैट किसी फल को खाता है, तो वायरस उसकी लार या सलाइवा के जरिये फल में चला जाता है। कोई व्यक्ति या जानवर उस संक्रमित फल को खाता है तो निपाह वायरस उनमें ट्रांसमिट हो जाता है। इसके अलावा संक्रमित फल खाने से वायरस सूअर, बकरी, कुत्ते बिल्लियों में भी फैल सकता है।
कैसे फैलता है निपाह वायरस

मौटे तौर पर एनआईवी वायरस 3 तरह से फैलता है-
- संक्रमित चमगादड़ द्वारा झूठे किए गए फलों को खाने से एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है।
- ऐसे संक्रमित फल दूसरे पशुओं द्वारा खाए जाने पर वायरस उनमें पहुंच जाता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने या पालतू जानवरों के सलाइवा के संपर्क में आने पर निपाह वायरस मानव शरीर में पहुंच जाता है।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, उसकी थूक या रेस्पेरेटरी ट्रेक के जरिये निकलने वाले ड्रॉपलेट से संक्रमित हुई चीजों को छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है।
लक्षण

जब कोई व्यक्ति निपाह वायरस से संक्रमित होता है तो 4 से 14 दिनों के अंदर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, खांसी-जुकाम, गले में खराश, थकान, मांसपेशियों में दर्द, आंखों के सामने धुंधलापन आना। कुछ मामलों में व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव होने, पेट दर्द, उलटी आना जैसे लक्षण भी मिलते हैं।
कितना खतरनाक
निपाह संक्रमण की स्थिति में शुरूआत में सामान्य फ्लू जैसे ही लक्षण दिखते हैं, जिनके समय के साथ बढ़ने और गंभीर रूप लेने का खतरा रहता है। निपाह वायरस बेहद खतरनाक और घातक वायरस है। 3-4 दिन के बाद मरीज को इन्सेफ्लाइटिस की समस्या भी होने की आशंका रहती है यानी संक्रमण से मरीज के मस्तिष्क में सूजन आ सकती है। मरीज बहकी-बहकी बातें करने लगता है, कन्फ्यूज रहना या न्यूरोलॉजिकल दिक्कते होना, बेहोशी आ सकती है। समयोचित उपचार न हो पाने पर मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है। मरीज कोमा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। लिहाजा जरूरी है कि व्यक्ति में तेज बुखार के साथ ऐसे किसी लक्षण दिखें, तो उसे बिना देर किए डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए।
कैसे होता है डायग्नोज

मरीज का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है। इसमें गले या गले के स्लाइवा, सेरेब्रोस्पाइनल फ्ल्यूड, यूरिन कल्चर और ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। एलीसा (आईजीजी और आईजीएम) टेस्ट करके वायरस की एंटीबॉडी का पता लगाया जा सकता है।
क्या है इलाज
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, निपाह वायरस से बचाव के लिए अभी किसी भी तरह की दवाई या वैक्सीन नहीं है। शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को तुरंत कंसल्ट करना चाहिए। एसिम्टोमैटिक यानी लक्षणों के हिसाब से उपचार किया जाता है। 5 सहायक उपचार के माध्यम से लक्षणों को सुधारने के लिए प्रयास किए जाते हैं। रोगियों को कुछ उपाय करके सेहत में सुधार के लिए प्रयास करते रहने की सलाह दी जाती है। लक्षणों में सुधार के लिए बहुत सारा पानी पीने, भरपूर आराम करने को लाभकारी माना जाता है। मतली या उल्टी को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। जिन रोगियों को सांस लेने में कठिनाई होती है उन्हें इन्हेलर या नेब्युलाइज़र दी जा सकती है। स्थिति गंभीर होने पर मरीज को आईसीयू में या वेंटिलेटर पर भी रखा जाता है।
रखें सावधानी
- पेड़ से गिरे फल न खाएं।
- किसी भी तरह के कटे हुए, दाग वाले, निशान वाली फल-सब्जियां का उपयोग न करें।
- बाजार से लाए फल-सब्जियों को गर्म पानी से अच्छी तरह धोकर और छीलकर खाएं।
- कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर अपनाएं। मास्क जरूर पहनें।
- हाइजीन का विशेष ध्यान रखें। खासकर हाथों को बार-बार धोएं। बाहर से आने के बाद हाथ-पैर जरूर धोएं।
- संक्रमित रोगी को आइसोलेट करें। उससे दूरी बनाकर रखें।
- मरीज के संपर्क में आने के बाद हाथ जरूर धोएं।
- मरीज की पर्सनल चीजों का उपयोग न करें।
- अपने पालतू जानवरों को संक्रमित जानवरों, संक्रमित इलाकों और संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें। संभव हो तो उन्हें बाहर न ले जाएं।
- ऐसे पेड़ों या झाड़ियों के पास जाने से बचेंए जहां चमगादड़ आराम करने या सोने जाते हैं।
- जहां तक हो सके मांसाहारी भोजन अवायड करें।
(डॉ मोहसिल वली, सीनियर फिजीशियन, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली)