हथेली की इन रेखाओं से जानिये अपने पूर्व जन्म का राज, हस्तरेखा में है उल्लेख: Palmistry
Palmistry: हाथ की रेखाएं व्यक्ति के भविष्य के साथ साथ व्यक्ति के पूर्व जन्म के कई राज भी खोलती हैं। शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका दूसरा जन्म उसी के परिवार में होता है। इसलिए उसकी कुछ विशेष आदतें भी पिछले जन्म की आदतों के समान होती हैं। मरते समय यदि किसी व्यक्ति की कोई इच्छा या कार्य अधूरा रह जाता है, तब भी उसका दसरा जन्म होता है और अपने दूसरे जन्म में वह अपनी इच्छा या कार्य को पूरा करता है। व्यक्ति के पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार ही उसको दूसरा जन्म मिलता है। कुछ विद्वान पूर्व जन्म की धारणा को नहीं मानते तो कुछ विद्वान पूर्व जन्म पर पूरा विश्वास रखते हैं। हर व्यक्ति अपने पिछले जन्म के बारे में जानना चाहता है कि वह पिछले जन्म में क्या था और उसके कर्म कैसे थे। आज इस लेख के द्वारा हम जानेंगे कि हथेली की कौनसी रेखाओं को देखकर व्यक्ति के पूर्व जन्म के बारे में पता किया सकता है।
ये रेखाएं खोलती हैं पूर्व जन्म के राज
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पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, ज्योतिषशास्त्र और हस्तरेखा विज्ञान में बताया गया है कि व्यक्ति के हाथ में चार रेखाएं उसके पूर्व जन्म की जानकारी देती हैं। ये रेखाएं व्यक्ति के हथेली के केतु क्षेत्र में रहती हैं। कलाई से लेकर हथेली के शुरू होने वाले भाग को केतु क्षेत्र कहते हैं। व्यक्ति के दाएं और बाएं हाथ में ऐसी दो दो रेखाएं होती हैं। यदि केतु क्षेत्र की ये दोनों रेखाएं हाथों की कलाई से लेकर हथेली के बीच वाले भाग में बृहस्पति पर्वत तक जाती है तो माना जाता है कि व्यक्ति अपने पिछले जन्म में कोई मंत्री, राजा, नेता, प्रतिष्ठित व्यक्ति या कोई अमीर इंसान रहा होगा। ऐसे व्यक्ति अपने मौजूदा जीवन में भी कोई बड़ा काम कर रहे होते हैं।
यदि ये दोनों रेखाएं हथेली के बीच में शनि पर्वत तक जाती है तो यह व्यक्ति के पिछले जन्म में कोई किसान, आम आदमी या कोई मजदूर होने का संकेत होती हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, सपनों से भी पूर्व जन्म का अनुमान लगाया जाता है। जब किसी व्यक्ति को बार बार कोई एक ही सपना आता है तो इसका अर्थ होता है कि वह सपना उस व्यक्ति के पूर्व जन्म से जुड़ा हुआ है। छोटे बच्चे जब किसी चीज में समय से पहले माहिर होते है तो इसका अर्थ भी यही होता है कि यह उनके पिछले जन्म का हुनर है।
अपनाएं ये उपाय
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस जन्म में अच्छे आचरण और विचार के बाद भी कई व्यक्तियों के पिछले जन्म के कर्म उन्हें इस जन्म में परेशान करते हैं। पूर्व जन्म के इन कर्मों के प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को रोज शिव जी की आराधना करनी चाहिए क्योंकि शिव जी काल है। शिव की पूजा करने के साथ साथ शिव मंत्र का जाप भी करते रहना चाहिए। शनिवार को किसी गरीब और भूखे को भोजन करवाना चाहिए। साथ ही अपने पिछले जन्म के सभी बुरे कर्मों के लिए भगवान से माफी मांगनी चाहिए।
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