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माता-पिता किसी भी परिस्थिति में बच्चों का न कहें ये चार बातें: Parenting Tips

12:30 PM Apr 20, 2024 IST | Yasmeen Yasmeen
माता पिता किसी भी परिस्थिति में बच्चों का न कहें ये चार बातें  parenting tips
Parenting Tips
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Parenting Tips: कहना गलत नहीं होगा कि पेरेंटिंग अपने आप में किसी लर्निंग स्कूल से कम नहीं है। जब लोग माता-पिता बनते हैं तो उनके ऊपर केवल बच्चों को अच्छा खिलाना-पिलाना और पढ़ाने-लिखाने की जिम्मेदारी नहीं होती। बल्कि बच्चे की पूरी पर्सनेलिटी का खजाना उसकी परवरिश में छिपा होता है। अगर आप भी अपने बच्चों की परवरिश बेहतर से बेहतरीन करना चाहती हैं तो कुछ वाक्य जिन्हें बोलने से आपको परहेज करना चाहिए। अगर आप ऊपरी तौर से देखेंगी तो आपको लगेगा कि यह बहुत छोटी बात है लेकिन नहीं इनका प्रभाव न केवल पर्सनेलिटी पर बल्कि उसकी सोच पर भी नजर आता है तो जानते हैं उन वाक्यों और उनसे पढ़ने वाले प्रभावों के बारे में।

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अभी नहीं मैं बिजी हूं

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not right now i'm busy

हम सभी अपने-अपने कामों में बिजी हैं लेकिन बच्चा अगर आपके पास कुछ कहने आ रहा है तो उसे एकदम छिटक कर यह न कहें कि मैं बहुत बिजी हूं। हम यह नहीं कह रहे कि आप एकदम सभी काम छोड़कर उसे सुनने बैठ जाएं लेकिन अगर वो अपनी बात कहने को बहुत उत्सुक है तो आप यह जानें कि ऐसी क्या बात है जो उसे इतना रोमांचित कर रही है। उस बात के लिए आप कहें कि मैं सुकून से तुमसे बात करुंगी तब तक मैं जरा सा काम निपटा लेती हूं। आपको पता है कि अगर हम बच्चों को नहीं सुनते तो उनमें अपेक्षित होने की भावना घर कर लेती है।

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अपने बहन-भाईयों को देखो

हालांकि ऐसा नहीं करना चाहिए लेकिन पेरेंट्स न चाहते हुए भी अपने बच्चे की तुलना उसके अपने बहन- भाईयों से करने लगते हैं। यह बात आप भी जानते हैं कि कोई किसी के जैसा तो नहीं बन सकता लेकिन कहीं न कहीं आपके इस तुलनात्मक रवैए से बच्चों के आपस के रिश्ते में खटास जरुर आने लगती हैं। बच्चे को यह भी लगता है कि उसे कोई प्यार नहीं करता।

रो मत कोई बड़ी बात नहीं है

don't cry it's no big deal
don't cry it's no big deal

बहुत बार हम अपने बच्चे को रोने नहीं देते। इसके पीछे बहुत से पेरेंट्स का फलसफा होता है कि हम अपने बच्चे को इमोशनली मजबूत कर रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है अगर हम बच्चे को चुप होने के लिए मजबूर करते हैं इसका मतलब है कि हम उसके जस्बातों को दबा रहे हैं। आपको पता है कि बड़े होकर ऐसे बच्चे स्वयं को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाते। वहीं दर्द को छिपाने से दर्द कम तो नहीं होता लेकिन उसकी घुटन बड़ जाती है। यह एक नेगेटिविटी को जन्म देती हैं।

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चलो तुम्हें बताती हूं

आपको पता है कि किसी को धमकी देने से उसके दिमाग पर कितना बुरा प्रभाव डलता है। छोटे बच्चों को तो छोडि़ए बड़े लोगों के लिए भी यह किसी मानसिक अघात से कम नहीं होता। अगर आप अपने बच्चे को यह कहती हैं कि घर चलो तुम्हें बताती हूं। या फिरा ऐसा ही कुछ और कहती हैं तो इस आदत को खत्म करें। धमकी से बच्चों की मानसिक स्थति खराब होने लगती है। वह स्वयं को अकेला महसूस करते हैं।

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