माता-पिता बच्चों के साथ हमेशा रहें पॉजिटिव: Positive Parenting
Positive Parenting: आधुनिक जीवनशैली में कई सुविधाएं मिली हैं। लेकिन इन सुविधाओं ने मन की शांति और भविष्य की संभावनाओं को भी कम किया है। सबसे अधिक अशांति टिनएजर्स को लेकर बढ़ी है। आस-पड़ोस में लोग अक्सर बात करते मिल जाते हैं कि "मेरे बेटे को तो पता नहीं क्या हो गया है, जरा भी नहीं सुनता।" किसी को अपने बच्चे के स्वभाव को लेकर तो किसी को पढ़ाई में अव्वल ना आने को लेकर शिकायत रहती है।
ये शिकायतें तो महज उदाहरण हैं, जिनकी कोई सीमा नहीं। सचमुच बड़ा ही जटिल काम होता है अपने टिनएजर्स को संभालना। पैरेंट्स को लगता है कि कैसे परवरिश की जाए! यही सोचते हुए वह तनाव के शिकार हो जाते है। जबकि यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। जरूरत बस संयम और सूझबुझ से टिनएजर्स की देखभाल करने की है।
बराबरी के स्तर पर बात करें

आपने लोगों को बात करते सुना होगा कि, "बच्चे बात सुनते ही नहीं।" लेकिन बच्चे बात सुनेंगे इसके लिए आपको थोड़ा बदलना होगा। आप हर समय खुद को अभिभावक ही नहीं मानते रहें। हमेशा अभिभावक के तौर पर नहीं, बल्कि दोस्ताना अंदाज में बराबरी के स्तर पर उनसे बात करें। उनकी बातों को तवज्जो दें। बच्चों की बातों को बिना समझे दिमाग पर लेकर ना बैठ जाएं। ऐसा कभी मत सोचे कि बच्चे तो बच्चे हैं, वे क्या बात करेंगे या उनकी क्या सुनना। दरअसल, ऐसा करने से ही मनमुटाव शुरू होता है। बच्चे आप से दूरी बनाने लगते हैं, और फिर वो उन लोगों की तरफ आकर्षित होते हैं जो इनकी छोटी मोटी बातों को तवज्जों देते है।
दोस्तों के बारे में बात करें
बच्चों की बातों को सुनने और समझने के लिए अपने भागमभाग वाले जीवन से थोड़ा समय निकालें। उनसे उनके दोस्तों के बारे में बात करें, उनकी जानकारी लें। सबसे अच्छा मित्र कौन हैं? क्यों हैं? उसमें उसको क्या अच्छा लगता है, वह इसको कितना सपोर्ट करता है किस भाव में करता है? यह सब जानने की कोशिश करें। उनकी खूबियों को सराहे। अगर दोस्तों में कुछ खराबी नजर आ रही हो तो तुरंत रियेक्ट न करें। मौका और माहौल का इंतजार करें। और तब आदेश नहीं बल्कि सलाह के अंदाज में उनसे उनके दोस्तों की खामियों के बारे में चर्चा करें।
पढ़ाई के बारे में नियमित बात करें

आपने बच्चे का एडमिशन किसी अच्छे स्कूल में करा दिया या घर पर ट्यूटर रख दिया तो इतने भर से आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। आप बच्चों से उनकी पढ़ाई के बारे में रोजाना बात करें। उनसे शिक्षकों के बारे में जानकारी लें। किन शिक्षक की पढ़ाई समझ में ज़्यादा आती है, क्यों आती है, इनके पढ़ाने का तरीका कैसा है। इससे सिर्फ बच्चों को ही अच्छा नहीं लगेगा, बल्कि आपको भी अपने बच्चों के बारे में बड़ी सहजता और गंभीरता के साथ पूरी जानकारी मिल जाएगी। और आगे समझने समझाने के हर तौर तरीके आपको बखूबी मिल जाएगा।
बॉन्डिंग का एहसास कराएं
अभिभावक के रूप में आपको समझना होगा कि जीवन के शुरुआत में सीखे आचार-व्यवहार बाद के जीवन में काफी असर डालते हैं। इस समय में व्यक्तित्व हर अनुभवों के लिए खुला रहता है। यही अच्छा अवसर होता है जिनमें अच्छी गाइडलाइन और बॉन्डिंग की ज़रूरत होती हैं। आप बच्चों के बीच बॉन्डिंग का यह एहसास अपने व्यवहार से बड़ी सहजता और सरलता के साथ कर सकते है।
हमेशा पॉजिटिव रहें

कोई बात रखने का दो तरीका होता है-निगेटिव और पॉजिटिव। आप हमेशा पॉजिटिव तरीका अपनाएं। बच्चों के साथ हमेशा पॉजिटिव अंदाज में बात-व्यवहार करें। ऐसा कर आप बच्चों को सुंदर परवरिश मुहैया करा सकते हैं। हमेशा याद रखें, परवरिश एक निवेश की तरह है। इसे आप जितनी सहजता के साथ मुहैया कराएंगे उतने ही बेहतरीन तरीके से इंट्रेस्ट वापिस मिलेगा।