डिलीवरी के कितने दिन बाद शुरू करें बॉडी मसाज, जानें इसके फायदे: Postpartum Massage
Postpartum Massage: डिलीवरी के बाद एक महिला का शरीर मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ और कमजोर हो जाता है। यही वजह है कि सदियों से डिलीवरी के बाद महिलाओं को तंदरुस्त करने और पहले की तरह मजबूत बनाने के लिए मसाज का सहारा लिया जा रहा है। इसे पोस्टपार्टम मसाज के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन बच्चे की देखभाल करने, मालिश करने और समय-समय पर फीड कराने की वजह से वर्तमान में महिलाएं अक्सर खुद को इग्नोर करने लगी हैं। माना जाता है कि एक महिला को यदि डिलीवरी के बाद पर्याप्त मसाज दी जाए तो उसके दिमाग और शरीर का संतुलन सुधरता है। हालांकि ये मसाज बच्चे के जन्म के कुछ सप्ताह बाद दी जाती है लेकिन ये महिला के शरीर को हील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मसाज या मालिश के कई हेल्थ बेनिफिट्स हैं, जिसके बारे में हर महिला को जानना बेहद जरूरी है, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या है पोस्टपार्टम मसाज

पोस्टपार्टम मसाज एक कंपलीट बॉडी मसाज है जो नई मां को उसके दिमाग, शरीर व मन को शांत और आराम करने के लिए दी जाती है। शरीर में किसी भी दर्द या खराश को कम करने में भी ये मदद करती है। एक अच्छी मसाज महिला के शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य में सहायता कर सकती है। डिलीवरी के बाद एक ट्रेंड मसाज थेरेपिस्ट या नाइन से मसाज ली जानी चाहिए।
डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम मसाज कब करवा सकती हैं
जब आप सहज और उठने-बैठने लगें तो आप पोस्टपार्टम मसाज का विकल्प चुन सकती हैं। आपकी डिलीवरी सिजेरियन हुई हो या नॉर्मल, आपको पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 5 से 6 हफ्ते का समय आसानी से लग जाता है। डिलीवरी के बाद ठीक होने का इंतजार करें और फिर मसाज कराएं। मसाज आरंभ करने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क कर लें।
डिलीवरी के बाद मसाज लेने के फायदे

सूजन कम करने में सहायक
प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड वॉल्यूम लगभग 50 प्रतिशत बढ़ जाता है जिसे डिलीवरी के बाद संतुलित करना जरूरी होता है। पोस्टपार्टम मसाज कराने से शरीर के तरल और विषैले पदार्थ को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
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नींद में होता है सुधार
डिलीवरी के बाद शरीर बहुत थका हुआ और कमजोर महसूस करता है। मसाज थेरेपी शरीर की थकान को कम करती है और नींद में सुधार करती है। शरीर की मांसपेशियों को रिलेक्स करने के लिए डिलीवरी के बाद मसाज बेहद जरूरी होती है।
दर्द से मिलती है राहत
प्रेग्नेंसी के कारण शरीर में दर्द, खासकर पीठ के निचले हिस्से कूल्हों और पेट में दर्द होना सामान्य है। मसाज से दर्दभरी मांसपेशियों को आराम देने और दर्द को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही थकान भी दूर हो जाती है।
ब्लॉक नसों को खोलती है
मसाज थेरेपी से कठोर या बोल्ड लंप्स को खोलने में सहायता मिलती है। इसके अलावा ये ब्रेस्ट की ब्लॉक नसों को स्मूथ बनाती हैं जिससे मास्टिटिस का खतरा कम हो जाता है।
रिकवरी में सुधार होता है
डिलीवरी के बाद एक महिला को अवसाद और चिंता जैसे हार्मोनल परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। नियमित मसाज कराने से बेबी ब्लूज और अवसाद को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही मूड भी सुधरता है।