श्री कृष्ण से पहले क्यों आता है राधा रानी का नाम? बड़ी ही रोचक है इसकी कहानी: Radhashtami Story 2023
Radhashtami Story 2023: हिंदू धर्म संस्कृति में राधा कृष्ण को अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। हिंदू पंचांग के भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी और शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल राधाष्टमी का पर्व शनिवार, 23 सितंबर 2023 को मनाया जायेगा। राधाष्टमी पर्व के दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और राधा रानी की पूजा करते हैं। राधाष्टमी के दिन राधा रानी के साथ श्री कृष्ण की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत करता है उसे राधाष्टमी का व्रत भी जरूर करना चाहिए, तभी उसे जन्माष्टमी के व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है। पुराणों में बताया गया है कि राधा रानी देवी लक्ष्मी का अवतार थी। राधा रानी के नाम के बिना श्री कृष्ण के नाम के जाप का कोई महत्व नहीं है। आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर श्री कृष्ण के नाम के पहले राधा रानी का नाम क्यों लिया जाता है।
राधा नाम के जाप से प्रसन्न होते हैं श्री कृष्ण

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि व्यास ऋषि के पुत्र शुकदेव जी ने राधा रानी के दर्शन पाने के लिए तोते का रूप लिया और राधा राधा नाम का जाप करने लगे। यह सुनकर राधा रानी ने शुकदेव बने तोते से कहा कि वह राधा का नहीं श्री कृष्ण के नाम का जाप करें। राधा रानी की आज्ञा मानकर शुकदेव जी ने श्री कृष्ण का जाप शुरू कर दिया। शुकदेव जी को देखकर सभी तोते श्री कृष्ण के नाम का जाप करने लगे।
जब भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि कोई भी प्राणी श्री राधा का जाप नहीं कर रहा तो श्री कृष्ण बहुत निराश हुए। जब राधा रानी को पता चला कि श्री कृष्ण केवल राधा नाम सुनना चाहते हैं तो उन्होंने शुकदेव जी से कहा कि वह फिर से राधा नाम का जाप करना शुरू कर दें। राधा रानी की इस बात से श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें हर जगह फिर से राधा नाम सुनाई देने लगा। इसी कारण आज भी भगवान श्री कृष्ण के नाम से पहले राधा का नाम लिया जाता है और भक्तगण प्रेम से राधा कृष्ण कहते हैं।
श्री कृष्ण की आत्मा हैं राधा रानी

पद्म पुराण के अनुसार, राधा रानी का जन्म श्री कृष्ण के जन्म के 15 दिन बाद हुआ था। राधा रानी के मुख पर दिव्य तेज और आभा थी। जन्म के बाद राधा रानी ने 11 महीने के बाद श्रीकृष्ण के सामने ही अपनी आंखे खोली थी। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, श्री कृष्ण की प्रेयसी होने के बाद भी राधा रानी का विवाह अयन नाम के व्यक्ति से हुआ। श्रीमद्भग्वद में यह उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री कृष्ण राधा रानी से असीम प्रेम करते हैं। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए राधा नाम का स्मरण करना चाहिए। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने नारद मुनि से कहा है कि "राधा रानी मेरी आत्मा है और मेरे हृदय में रहती हैं। मैं ही राधा हूं और राधा ही श्री कृष्ण हैं।" इसीलिए राधा कृष्ण एक दूसरे के बिना अधूरे है। जहां राधा रानी का नाम लिया जाएगा वहां श्री कृष्ण भी जरूर आते हैं। राधा रानी को माधवी, किशोरी, रासेश्वरी और कृष्ण वल्लभा के नाम से भी जाना जाता है।
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