For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

राजा की ज़िद - दादा दादी की कहानी

10:00 AM Sep 20, 2023 IST | Reena Yadav
राजा की ज़िद   दादा दादी की कहानी
Advertisement

Dada dadi ki kahani : एक थे राजा मानसिंह। एक बार वे राज्य में वेष बदलकर घूम रहे थे। एक जगह उन्होंने बड़ी भीड़ लगी हुई देखी। उत्सुकतावश वे वहाँ जाकर देखने लगे। उन्होंने देखा कि एक मदारी अपने बंदर का खेल दिखा रहा था। मदारी का बंदर इतना समझदार था कि वही सब कर रहा था, जो उससे कहा जा रहा था। साथ ही उसमें और भी बहुत-सी खूबियाँ थीं। वह ढोलक बजाता था, नाचता था और सबका मन बहलाता था।

राजा को वह बंदर बहुत पसंद आया। तमाशा ख़त्म होने के बाद वे मदारी के पास आए और बोले, 'हमें यह बंदर बहुत पसंद है। तुम इसको हमें बेच दो।'

मदारी ने कहा, 'नहीं भाई, इस बंदर से ही तो मैं रोटी कमाता हूँ। अगर यह ही नहीं रहेगा तो मैं क्या करूँगा? इसे मैं नहीं बेच सकता।'

Advertisement

लेकिन राजा मानसिंह ज़िद पर अड़ गए। उन्होंने मदारी से कहा कि वे उसे बंदर के बदले में बहुत से पैसे देंगे। उससे वह एक और बंदर ख़रीद सकता है, साथ ही बचे हुए पैसों से वह घर का बाक़ी सामान ख़रीद सकता है।

मदारी बंदर को बेचना नहीं चाहता था लेकिन राजा ने ज़बरदस्ती बंदर को ख़रीद लिया। मदारी बेचारा क्या करता। राजा को वह पहचान तो पाया नहीं था। चुपचाप अपने घर चला गया।

Advertisement

बंदर को लेकर राजा महल में वापिस आ गए। उन्होंने अपने सेवकों से कहा कि यह बंदर उनका ख़ास सेवक है। वे उसे हर वक्त अपने साथ रखेंगे। सोते समय भी वे बंदर से कहते थे कि वह उनके सिरहाने पर बैठा रहे।

एक दिन राजा सो रहे थे। बंदर सिरहाने बैठा हुआ था। तभी एक मक्खी कहीं से उड़ती हुई आई और राजा के आस-पास मँडराने लगी। बंदर बार-बार मक्खी को उड़ाता था और मक्खी फिर से वहीं आ जाती थी। बार-बार उड़ाने पर भी जब वह वापिस आती रही तो बंदर को गुस्सा आ गया। उसने तय किया कि इस बार मक्खी बैठेगी तो वह उसे मार देगा।

Advertisement

तभी मक्खी जाकर राजा की नाक पर बैठ गई। बंदर ने देखा कि पास ही में राजा की तलवार रखी हुई है। उसने तलवार उठाई और मक्खी पर वार करने के लिए हाथ ऊपर किए। उसे इतनी समझ थोड़े ही न थी कि मक्खी के साथ-साथ राजा को भी चोट लगेगी।

वह पूरी ताक़त से वार करने ही वाला था, तभी मक्खी राजा की नाक में अंदर जाने लगी और राजा को ज़ोर से छींक आ गई। वे उठकर बैठ गए। उन्होंने देखा कि बंदर के हाथ में उनकी तलवार थी। बंदर तलवार लेकर मक्खी के पीछे-पीछे दौड़ने लगा। राजा के सैनिकों ने बड़ी मुश्किल से उसे पकड़ा।

अब राजा की समझ में आया कि जानवर आख़िर जानवर ही होता है। उन्होंने सैनिकों को आदेश दिया कि बंदर के मालिक को ढूँढकर उसे यह बंदर लौटा दिया जाए।

मदारी अपने बंदर के वापिस मिल जाने से बहुत खुश था। राजा सोच रहे थे, 'सच बात यही है कि जिसका काम उसी को साजे।'

Advertisement
Tags :
Advertisement