For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

राजस्थान के इस मंदिर में दिन में तीन बार रूप बदलती हैं मां, पूरी होती है हर मन्नत

माता त्रिपुर सुंदरी 52 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक है।खास बात यह है कि इस एक ही मूर्ति में भक्तों को माता के नौ रूपों के दर्शन हो जाते हैं। माता त्रिपुर सुंदरी का भव्य मंदिर बांसवाड़ा जिले से करीब 18 किलोमीटर दूर तलवाड़ा गांव में अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित है।
06:00 AM Apr 20, 2023 IST | Ankita Sharma
राजस्थान के इस मंदिर में दिन में तीन बार  रूप बदलती हैं मां  पूरी होती है हर मन्नत
Advertisement

राजस्थान के खूबसूरत शहर बांसवाड़ा में स्थित है माता रानी का सिद्ध शक्तिपीठ। अपने भक्तों की हर मनोकामना को तुरंत पूरा करने वाली हैं मां त्रिपुर सुंदरी। माता त्रिपुर सुंदरी 52 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। माता अपने हर भक्त की इच्छा पूरी करती है। कहा जाता है कि यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता। यही कारण है कि देश के बड़़े-बड़े नेता तक माता के मंदिर में शीश झुकाने आते हैं। खास बात यह है कि इस एक ही मूर्ति में  भक्तों को माता के नौ रूपों के दर्शन हो जाते हैं।

तीसरी सदी से पहले का मंदिर

माता त्रिपुर सुंदरी का भव्य मंदिर बांसवाड़ा जिले से करीब 18 किलोमीटर दूर तलवाड़ा गांव में अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित है। माना जाता है कि देवी मां की शक्तिपीठ का अस्तित्व तीसरी सदी से भी पहले का है। इस भव्य मंदिर में कदम रखते ही आपको एक अलग ही शक्ति का एहसास होगा। मां की श्यामवर्णी प्रतिमा इतनी सुंदर है कि आपकी नजरें नहीं हट पाएंगी। यह प्रतिमा कई मायनों में अनोखी है। मां त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति अष्टदश है यानी 18 भुजाओं वाली है। प्रतिमा में माता दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिकृतियां भी अंकित हैं। माता रानी मयूर, सिंह  और कमल आसन पर विराजित है। मूर्ति के निचले भाग में काले और चमकीले संगमरमर पत्थर पर श्रीयंत्र बना है, जिसका विशेष तांत्रिक महत्व है।

माता के ये रूप मोह लेंगे आपका मन

मां त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा आपका मन मोह लेगी। यह प्रतिमा जीवंत सी नजर आती है। माना जाता है कि यह प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। प्रातःकाल में कुमारी रूप, वहीं मध्यान्ह में यौवन रूप धारण करती हैं, सायंकाल में मां प्रौढ़ रूप में दर्शन देती हैं। यही कारण है कि मां को त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि कभी मंदिर पास तीन दुर्ग थे, शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी, इसलिए इनका नाम त्रिपुर सुंदरी पड़ा। माना जाता है कि कभी यहां गढ़पोली नगर था, जिसका अर्थ होता है दुर्गापुर। उस समय गुजरात, मालवा और मारवाड़ के शासक त्रिपुर सुंदरी के उपासक थे। इस भव्य मंदिर परिसर में सम्राट कनिष्क के समय का प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है।

Advertisement

मंदिर से जुड़ी है यह रोचक कहानी

कहा जाता है कि गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की इष्ट देवी मां त्रिपुर सुंदरी थी। वे माता को इतना मानते थे कि इनकी पूजा के बाद ही युद्ध पर निकलते थे। माना जाता है कि मालवा नरेश जगदेव परमार ने माता को प्रसन्न करने के लिए उनके चरणों में अपना शीश ही काट कर चढ़ा दिया था। इसके बाद राजा सिद्धराज ने मां त्रिपुर सुंदरी से प्रार्थना की, जिसके बाद मां ने मालवा के नरेश जगदेव को फिर जीवित कर दिया।

Advertisement
Advertisement
Tags :
Advertisement