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माता सीता के भयंकर श्राप को आज भी भोग रहे हैं ये प्राणी, जानें रामायण का रोचक किस्सा: Ramayana Facts

06:00 PM May 21, 2023 IST | Vandana Pandey
माता सीता के भयंकर श्राप को आज भी भोग रहे हैं ये प्राणी  जानें रामायण का रोचक किस्सा  ramayana facts
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Ramayana Facts: ऐसे तो रामायण में कई किस्से हैं, जो बहुत ही अनोखे हैं। इस महाग्रंथ में कई ऐसी बातों का जिक्र मिलता है, जो किसी को भी हैरत में डाल दे। आज हम आपको ऐसे ही एक किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं, जो माता सीता से जुड़ा है। यह किस्सा शांत और सरल स्वभाव की माता सीता से संबंधित है, जब माता को गुस्सा आया और उन्होंने क्रोध में आकर भयंकर श्राप दिया था।

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माता सीता ने ये श्राप उन प्राणियों को दिया था, जिन्होंने माता सीता और भगवान राम के समक्ष झूठ बोला। आइए आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताते हैं, वो कौन से प्राणी हैं, जो माता सीता के भयंकर श्राप को आज तक भोग रहे हैं।

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  • आज जिस किस्से के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं, ये वाल्मीकि रामायण का एक अंश है। दरअसल ये कहानी तब की है, जब राजा दशरथ का श्राद्ध हो रहा था। यह किस्सा माता सीता द्वारा राजा दशरथ के पिंडदान से जुड़ा हुआ।
  • रामायण के अनुसार जब वनवास के दौरान भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए गया धाम गए थे। इसके बाद पिंड दान के लिए भगवान राम और लक्ष्मण श्राद्ध की विधि को पूरा करने के लिए सामग्री जुटाने नगर की ओर चले गए।
Ramayana Facts
Mother Sita's curse
  • भगवान राम और लक्ष्मण को दोपहर हो जाती है, लेकिन दोनों में से कोई लौट के नहीं आता। ऐसे में स्थिति को समझते हुए माता सीता ने गया जी के आगे फल्गू नदी के तट पर राजा दशरथ का पिंडदान किया।
  • उन्होंने श्राद्ध कर्म की सारी विधि को पूरा किया। श्राद्ध विधि को करते हुए मां सीता ने वहां मौजूद वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी बनाया। इसके बाद जब भगवान राम वापस लौटे, तो माता सीता ने उन्हें पूरा वृत्तांत बताया और श्राद्ध विधि को पूर्ण करने कहा।
  • तभी भगवान राम ने माता सीता से श्राद्ध कर्म सही विधि के करने के साक्ष्य मागें। ऐसे में माता सीता ने वट वृक्ष, केतकी के फूल, गाय और फल्गू नदी को इस बात का प्रमाण देने के लिए कहा।
Ketaki flowers, cow and Falgu river
Ketaki flowers, cow and Falgu river
  • साक्ष्य देने के बदले केतकी के फूल, गाय और फल्गू नदी ने भगवान राम को गलत गवाही दी। उस वक्त केवल वट वृक्ष ने ही सच्ची गवाही दी और माता सीता द्वारा राजा दशरथ के पिंडदान की बात को स्वीकार किया।
  • इसके बाद भी माता सीता ने सीधे राजा दशरथ को स्मरण कर अपनी गवाही देने का आहवान किया। कहा जाता है इसके बाद माता सीता के आहवान पर राजा दशरथ प्रकट हुए और उन्होंने माता का पक्ष लेते हुए उनकी सच्ची गवाही दी।
Mata Sita gave a boon to the banyan tree
Mata Sita gave a boon to the banyan tree
  • इस घटना के साबित होने के बाद क्रोधवश माता सीता ने केतकी फूल, गाय और फल्गू नदी को श्राप दे दिया। उन्होंने फल्गू नदी को बिना पानी के रहने का श्राप दिया। गाय को झूठा खाने और केतकी को पूजा में वर्जित होने का श्राप दिया। यही कारण है कि पूजा में आज भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल वर्जित है।
  • वहीं माता सीता ने वट वृक्ष को सत्य की गवाही देने के लिए वरदान दिया कि उन्हें सुहाग का प्रतीक माना जाएगा।
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