रणथंभौर नेशनल पार्क से जुड़ी ये रोचक बातें जो कर सकती हैं आपको हैरान
Fun Facts About Ranthambore National Park- राजस्थान राज्य के पूर्वी भाग में सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क भारत के सबसे प्रसिद्ध नेशनल पार्क में से एक है। ये पार्क रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए लोकप्रिय है, जिसे देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। इस नेशनल पार्क में टाइगर को देखने की संभावना भारत के अन्य टाइगर रिजर्व की तुलना में बहुत अधिक है। ये पार्क जयपुर से लगभग 160 किलोमीटर और सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पार्क को प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बनाया गया है। रणथंभौर नेशनल पार्क से जुड़े कई ऐसे रोचक बाते हैं जिसे जानकर शायद आपको हैरानी होगी। चलिए जानते हैं कुछ ऐसे की तथ्यों के बारे में।
कैसे पड़ा रणथंभौर नाम

रणथंभौर नेशनल पार्क का नाम ऐतिहासिक रणथंभौर किले के नाम पर रखा गया है, जो नेशनल पार्क के अंदर ही स्थित है। किले से पूरा जंगल बेहद खूबसूरत दिखता है। बता दें कि ये नेशनल पार्क अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखला के जंक्शन पर स्थित है और दक्षिण में चंबल नदी और उत्तर में बनास नदी से घिरा है।
अंग्रेजों और राजपूतों का शिकारगाह

1820 के दशक के दौरान, राजपूतों और अंग्रेजों ने मिलकर रणथंभौर के जंगलों को अपने प्राइवेट हंटिंग रिजर्व के रूप में इस्तेमाल किया था। एक अनुमान के अनुसार 1929 से 1939 तक राजस्थान के जंगलों में कुछ 1074 बाघों का शिकार किया गया था। 26 जनवरी 1961 को, इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और एडिनबर्ग के एचआरएच ड्यूक प्रिंस फिलिप ने शाही शिकार पर रणथंभौर के जंगलों का दौरा किया था।
वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत शिकार प्रतिबंधित

रणथंभौर नेशनल पार्क के बारे में सबसे दिलचस्प तथ्यों में से एक यह है कि 1971 तक भारत सरकार द्वारा बाघ के शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। अनुमान है कि 1929 से 1939 तक कुल 1074 बाघ थे। राजस्थान के जंगलों में इनका शिकार किया जाता था। 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया और माधोपुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी को रणथंभौर टाइगर रिजर्व के रूप में शामिल किया गया। प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व के तहत 9 टाइगर रिजर्व थे।
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तीन बड़ी झीलें

रणथंभौर नेशनल पार्क में तीन बड़ी झीलें हैं जो निश्चित रूप से आपकी रणथंभौर ट्रिप को और ज्यादा दिलचस्प बना देंगी। पदम तलाओ, मलिक तलाओ और राजबाग जिसमें मुख्य रूप से डकपीड, लिली और कमल सहित कई वनस्पतियां है। पदम तलाओ पार्क की सबसे बड़ी झील है।
रणथंभौर नेशनल पार्क में मौजूद जानवर

बाघों के अलावा, नेशनल पार्क में कई जंगली जानवरों जैसे सियार, चीता, लकड़बग्घा, दलदली मगरमच्छ, जंगली सुअर और हिरण की विभिन्न प्रतातियां आवास करती हैं। जंगल का आनंद लेने और एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा तरीका टाइगर जीप सफारी है।
सबसे बड़ा बरगद का पेड़
रणथंभौर नेशनल पार्क के बारे में सबसे आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि यहां लगभग 3 किलोमीटर तक आपको बरगद के पेड़ देखने को मिलेंगे। भारत में दूसरा सबसे बड़ा बरगद का पेड़ रणथंभौर नेशनल पार्क में, पदम तालाब के पास स्थित है, जो पार्क की सबसे बड़ी झील में से एक है।
बर्ड वॉचर पेराडाइज

एक सर्वे के अनुसार इस पार्क में पक्षियों की कुल 35,320 प्रजातियां पाई जाती हैं। पार्क बाघों के आवास के कारण दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करने के अलावा पक्षियों के लिए भी लोकप्रिय है।
फेमस टाइग्रेस फिश(टी-16)

टाइग्रेस फिश का जन्म 1997 में हुआ था। इस बाघिन के बायीं तरफ मछली के आकार का निशान था। फिश ने 2 साल की उम्र में शिकार करना शुरू कर दिया था और अपनी मां की ज्यूहनोर्डियन पर कब्जा कर लिया था। उसके नाम पर कुछ विश्व रिकॉर्ड भी दर्ज हैं, जैसे एक बाघ औसतन 7-8 साल तक एक क्षेत्र पर कब्जा कर सकता है, लेकिन फिश दुनिया की एकमात्र ऐसी बाघिन थी जिसने रणथंभौर नेशनल पार्क पर 15 साल तक राज किया। फिश को द लेडी ऑफ द लेक और क्रोकोडाइल किलर जैसे विभिन्न उपनाम भी दिए गए हैं। इसे लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिल चुका है।