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प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद मूर्ति के सामने रखा शीशा क्‍यों टूट जाता है, जानिए: Breaking Glass During Pran Pratistha

06:00 AM Jan 30, 2024 IST | Garima Shrivastava
प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद मूर्ति के सामने रखा शीशा क्‍यों टूट जाता है  जानिए  breaking glass during pran pratistha
Breaking Glass During Pran Pratistha
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Breaking Glass During Pran Pratistha - हाल ही में अयोध्‍या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा का भव्‍य आयोजन संपन्‍न हुआ है। इस कार्यक्रम को देखकर पूरा देश और दुनिया अभिभूत है, तो वहीं प्राण प्रतिष्‍ठा के अनुष्‍ठानों के बारे में सुनकर चकित भी है। हिन्‍दू मान्‍यता के अनुसार ऐसा कहा गया है कि प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद भगवान की मूर्ति के सामने रखा शीशा चकनाचूर हो जाता है। प्राण प्रतिष्‍ठा के साथ ही शीशा अपने आप टूटने की परंपरा के बारे में भी खूब चर्चा हो रही है। प्राण प्रतिष्‍ठा के दौरान भगवान की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। अनुष्‍ठान पूरे होने के बाद आखिर में जब पट्टी खोली जाती है, तब मूर्ति के सामने रखा शीशा अपने आप टूट जाता है। क्‍या वाकई ये शीशा अपने आप टूट जाता है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है। इसे जानने के लिए लोगों के मन में काफी उत्‍सुकता है। तो चलिए जानते हैं इसके पीछे के कारण के बारे में।

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क्‍या है मान्‍यता

Breaking Glass During Pran Pratistha
what is recognition

प्राण प्रतिष्‍ठा के दौरान कई रस्‍में और अनुष्‍ठान संपन्‍न किए जाते हैं। ऐसी ही एक मान्‍यता है मूर्ति के सामने शीशा रखने की। माना जाता है कि भगवान की मूर्ति की आंखों में पट्टी बांधी जाती है और कई वैदिक मंत्रोच्‍चारण के साथ अनुष्‍ठान पूरा किया जाता है। हिंदू मान्‍यता के अनुसार ऐसा करने से मूर्ति में दैवीय ऊर्जा आ जाती है और आंख से पट्टी निकालते ही उस ऊर्जा से शीशा टूट जाता है। इसे भगवान की शक्ति के रूप में ही देखा जाता है।

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चक्षु उन्‍मीलन प्रक्रिया

शास्‍त्रों के अनुसार भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद मूर्ति के सामने रखा शीशा टूटने की इस प्रक्रिया को चक्षु उन्‍मीलन कहा जाता है। माना जाता है कि मन्त्रोंच्‍चारण और पूजा-पाठ से मूर्ति में विशेष शक्ति आ जाती है जिससे भगवान की आंखे खुलते ही उनकी अलौकिक शक्ति से शीश चटक जाता है। लेकिन ऐसा हर बार संभव नहीं होता। कई बार शीश टूटता है और कई बार नहीं।

ये कारण भी हो सकते हैं जिम्‍मेदार

reasons
These reasons can also be responsible

मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा के दौरान सामने रखा गया शीश कई कारणों से टूट सकता है। जरूरी नहीं कि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण जिम्‍मेदार हो।

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ऊर्जा और कंपन

प्राण प्रतिष्‍ठा एक पवित्र अनुष्‍ठान है जिसे करने से मूर्ति में दिव्‍य ऊर्जा का आव्‍हान होता है। इस प्रक्रिया के दौरान मंत्रोच्‍चारण किया जाता है जिससे आसपास का माहौल ऊर्जा और कंपन से भर जाता है। ऐसा माना जाता है कि आध्‍यात्मिक उपस्थिति के कारण कांच जैसी वस्‍तुएं अपने आप टूट जाती हैं।

मानवीय गलती

मूर्ति के सामने रखा गया कांच कई बार मानवीय गलती के कारण भी टूट सकता है। समारोह के दौरान गलती से कांच पर पैर लगने, कोई भारी सामान गिरने या चटकने के कारण शीशा टूट सकता है।

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प्राकृतिक कारण

कांच का टूटना प्राकृतिक कारणों से हो सकता है जैसे तापमान में परिवर्तन, कांच पर तनाव या कांच में डिफेक्‍ट। ये कारण कांच के टूटने के लिए जिम्‍मेदार हो सकते हैं। इसका कोई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण अभी तक प्रमाणित नहीं हुआ है।

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