रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से गायब हो सकती है रोगी की रातों की नींद, जानिए क्या है यह समस्या: Restless Legs Syndrome
Restless Legs Syndrome: रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम को विलिस-एकबॉम डिजीज भी कहा जाता है। यह वो डिसऑर्डर है, जिसमें रोगी को पैरों में अजीब सी सेंसेशंस होती हैं जिसके कारण उन्हें मूव करने यानी हिलने-डुलने की तीव्र इच्छा होती है। इन अजीब सेंसेशंस में खुजली, दर्द, जलन, खिंचाव आदि शामिल है। यह सेंसेशंस आमतौर पर तब होती हैं जब रोगी बेड पर सोया होता है या बहुत अधिक देर तक बैठे। यही नहीं, यह समस्या ज्यादातर शाम को होती है जिससे रोगी को सोने में समस्या होती है। इन अजीब परेशानी से आराम पाने के लिए रोगी घूमते-फिरते हैं और अपनी टांगों को हिलाते हैं। रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम बहुत ही परेशान करने वाली समस्या है। सबसे पहले जानते हैं इस रोग के लक्षणों के बारे में।
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रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के लक्षण
यह समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यानी, यह समस्या बच्चों को भी हो सकती है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- टांग या पैरों में परेशानी
- टांग या पैरों को मूव करने की तेज इच्छा
- सोने में समस्या
- दिन में सोना
- बिहेवियर और वर्क परफॉरमेंस प्रॉब्लम
कई बार इस परेशानी में होने वाली सेंसेशन को बताना मुश्किल हो सकता है। अधिकतर लोग इसे मसल क्रैम्प्स या सुन्नता के रूप में नहीं बता पाते हैं। इसके लक्षणों की गंभीरता में उतार-चढ़ाव होना आम बात है। कभी-कभी लक्षण कुछ समय के लिए गायब हो जाते हैं, लेकिन फिर वापस आ जाते हैं।
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कारण
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कुछ मामलों में कारण जेनेटिक्स हो सकते हैं। इसके अलावा इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कोई बीमारी। निम्नलिखित हेल्थ कंडिशंस की वजह से यह सिंड्रोम हो सकता है:
- आयरन का लेवल कम होना
- यूरीमिया
- हाइपोथायरायडिज्म
- डिप्रेशन
- फाइब्रोमायल्जिया
- पार्किंसन'स डिजीज
- किडनी डिजीज
- डायबिटीज
- रूमेटाइड आर्थराइटिस
- पेरीफेरल न्यूरोपैथी
- प्रेग्नेंसी
यही नहीं, कुछ दवाईयां भी इस समस्या का कारण हो सकती हैं। इनमें एलर्जी से बचाव वाली दवाईयां, एंटीडेप्रेसेंट्स आदि शामिल हैं। कैफीन, निकोटिन और एल्कोहॉल आदि इस समस्या के लक्षणों को बदतर बना सकते हैं।
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के उपचार
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। लेकिन, इसके ट्रीटमेंट से अच्छी नींद आने में मदद मिल सकती है। अगर इसका कारण कोई हेल्थ कंडिशन है, तो इस रोग के उपचार के बार यह परेशानी कम हो सकती है। इस रोग का उपचार इसके लक्षणों पर निर्भर करता है। अगर यह लक्षण माइल्ड ,हैं तो जीवनशैली में बदलाव से आपको लाभ हो सकता है जैसे नियमित एक्सरसाइज, सही स्लीप शेड्यूल का पालन करना, एल्कोहॉल आदि का सेवन करने से बचना आदि। इस रोग के उपचार के अन्य तरीके इस प्रकार हैं:
- टांगों की मालिश
- हॉट बाथ
- टांगों पर हीटिंग पैड या आइस पैक का इस्तेमाल
कुछ लोगों के लिए कुछ दवाईयां भी फायदेमंद साबित हो सकती हैं। लेकिन, एक दवा जो एक व्यक्ति में लक्षणों को कम करती है वह उन्हें दूसरे व्यक्ति में बदतर बना सकती है, या एक दवा जो कुछ समय के लिए काम करती है, वह काम करना बंद कर सकती है। यह दवाईयां इस प्रकार हैं:
- डोपामिनर्जिक ड्रग्स
- पार्किंसन'स डिजीज ड्रग्स
- बेंजोडायजेपाइन, एक प्रकार का सेडेटिव है और नींद में मदद कर सकती है, लेकिन इसके कारण दिन में नींद न आने की समस्या हो सकती है।