For the best experience, open
https://m.grehlakshmi.com
on your mobile browser.

महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें रुद्राभिषेक, महादेव की बरसेगी कृपा, मिलेगा पुण्य लाभ: Rudrabhishek

रुद्राभिषेक करने से महादेव भी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
09:00 AM Feb 17, 2023 IST | Naveen Parmuwal
महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें रुद्राभिषेक  महादेव की बरसेगी कृपा  मिलेगा पुण्य लाभ  rudrabhishek
Advertisement

Rudrabhishek: सनातन धर्म में भगवान शिव को देवों के देव कहा गया है। भगवान शिव को भक्त भोलेनाथ, शिवशंकर जैसे अनेक नामों से पुकारते हैं। भोलेनाथ की पूजा करते समय रुद्राभिषेक का बहुत महत्व है। भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का पर्व हर वर्ष बड़े ही उत्साह, उमंग के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर शिव भक्त अपने आराध्य देव की विशेष पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, रुद्राभिषेक का सीधा अर्थ है शिव के रुद्र रूप का अभिषेक करना। भक्तगण भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि और सावन महीने में भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को अपने जीवन की परेशानियों से जल्दी छुटकारा मिलता है और व्यक्ति का ग्रह जनित कुंडली दोष भी दूर होता है। रुद्राभिषेक करने से महादेव भी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

Rudrabhishek: इसलिए किया जाता है रुद्राभिषेक

Rudrabhishek Puja
Rudrabhishek Puja

रुद्राष्टध्यायी के अनुसार, शिव ही रुद्र है और रुद्र ही शिव है। शास्त्रों में लिखा है कि ‘रुतम्- दुःखम् द्रावयति नाश्यतीतिरुद्र:’ जिसका अर्थ है कि शिव अपने भक्तों के सभी दुखों को हरकर उनका नाश करते हैं। इसलिए शिव का रुद्राभिषेक करने मात्र से भक्तगणों की कुंडली में स्थित अशुभ दोष जल्दी खत्म हो जाते हैं। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि शिवपुराण में एक और श्लोक के द्वारा भोलेनाथ के रुद्राभिषेक का महत्व बताया गया है, “सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।

Advertisement

रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:। यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:। ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।” इस श्लोक के अनुसार, सभी देवतागण रुद्र का ही अवतार है और सभी देवताओं में रुद्र की आत्मा का अंश है। इसलिए सनातन धर्म में यह माना जाता है कि केवल भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से सभी देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है और एक साथ सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव सृष्टि के आरंभ से है और इस ब्रह्मांड के चक्कर लगाते रहते हैं। इसलिए माना गया है कि शुभ काल में जब शिव की उपस्थिति होती है तब शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। सावन के महीने में भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से शुभ फल मिलता है। इसी प्रकार महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि के दिन भी रुद्राभिषेक करने के लिए श्रेष्ठ दिन है। इन विशेष दिनों में शिव की उपस्थिति हमेशा शुभ हो होती है।

Advertisement

रुद्राभिषेक के लिए उपयोगी पूजा सामग्री

Rudrabhishek Vidhi
Rudrabhishek Puja Vidhi

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि भक्तगण जिस मनोकामना के लिए रुद्राभिषेक करते हैं, उसी के अनुसार पूजा सामग्री उपयोग में लानी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्दी पूरी होती है और व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्ति मिलती है। रुद्राभिषेक की पूजा सामग्रियों में दीया, तेल, फूल, घी, बाती, चंदन का लेप, धूप, कपूर, अगरबत्ती, बेलपत्र, गंगाजल और दूध अनिवार्य रूप से होने चाहिए। व्यक्ति अगर किसी निजी समस्या के समाधान हेतु रुद्राभिषेक करवा रहा है तो संबंधित द्रव्य से ही भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए। इससे शीघ्र ही उसकी समस्या का समाधान होता है।

रुद्राभिषेक के समय ऐसे करें सही द्रव्य का चुनाव

Rudrabhishek On Shivratri
Material Selection on Rudrabhishek

-धन प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने हेतु शिवलिंग का जल से रुद्राभिषेक करना चाहिए।

Advertisement

-मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य को पूरा करने के लिए किसी तीर्थ स्थल के पवित्र जल से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए।

-जमीन जायदाद से जुड़े मामले में शुभ फल प्राप्ति के लिए दही से रुद्राभिषेक करना चाहिए।

-आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए घी और शहद से रुद्राभिषेक करना उत्तम रहता है।

-पुत्र प्राप्ति के लिए गाय के दूध से भोलेनाथ का अभिषेक करें।

-सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने से घर को शत्रुओं की बुरी नजर से बचाया जा सकता है।

रुद्राभिषेक करने की सही विधि

Rudrabhishek Puja Vidhi
Mahashivratri Puja Vidhi

शास्त्रों में लिखा है कि किसी प्रकांड पंडित से ही रुद्राभिषेक करवाना चाहिए, ताकि रुद्राभिषेक में कोई चूक न हो और भक्तगणों को पूजा का विशेष फल प्राप्त हो। रुद्राभिषेक शुरू करने से पहले श्रीगणेश जी की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती के साथ साथ सभी देवताओं और नौ ग्रहों का नाम लेकर रुद्राभिषेक का उद्देश्य बताना चाहिए। इसके बाद उत्तर दिशा में शिवलिंग स्थापित करके शिवलिंग को गंगाजल से स्नान करवाना चाहिए और ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए रुद्राभिषेक की सभी सामग्रियों को शिवलिंग पर अर्पित कर शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। रुद्राभिषेक में उपयोग में लाए गए द्रव्य और गंगाजल को सभी सामग्रियों और प्रसाद पर छिड़क कर सभी भक्तगणों में बांट देना चाहिए।

रुद्राभिषेक के नियम

Rudrabhishek Importance
Rules and Regulation

-रुद्राभिषेक के लिए जरूरी है कि हम किसी मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक करें। यदि मंदिर जाने में समर्थ नहीं है तो घर में स्थित शिवलिंग का रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं।

-नदी किनारे या किसी जल स्त्रोत के या किसी पर्वत के पास स्थित शिवमंदिर में रुद्राभिषेक करवाना बहुत ही शुभ होता है।

-जल से रुद्राभिषेक करने के लिए हमेशा तांबे के बरतन का उपयोग करना चाहिए।

-रुद्राभिषेक करते समय रुद्राष्टध्यायी के मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए।

-इस प्रकार पूरे विधि विधान और सही द्रव्य के चुनाव से भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तो की सभी मनोकामनाओं को तत्काल पूरा करते हैं।

यह भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जरूर अर्पित करें ये चीजें, भगवान शिव का मिलेगा आशीर्वाद: Maha Shivratri 2023

Advertisement
Tags :
Advertisement