इन 4 राशियों पर 2.5 महीने तक बरसेगा शनि का कहर, बचाव के लिए करें ये उपाय: Shani Dev Astro Tips
Shani Dev Astro Tips: कर्मफलदाता और न्याय के देवता शनिदेव धीमी गति से चलते हैं और अपनी चाल के अनुसार लोगों को उनके कर्मों का फल देते हैं। 2.5 साल तक एक राशि में रहने वाले शनिदेव 29 जून को कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे। इस वक्री चाल का प्रभाव सभी राशियों पर होगा, लेकिन कुछ राशियों को विशेष रूप से प्रभावित करेगा।शनिदेव 29 जून से कुंभ राशि में वक्री हो गए हैं और 15 नवंबर तक इसी अवस्था में रहेंगे। शनि की वक्री चाल को ज्योतिष में अशुभ माना जाता है। इस दौरान कुछ राशियों के लोगों को वित्तीय परेशानी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, कानूनी विवाद और पारिवारिक कलह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
Also read : राशियों में शनि की साढ़ेसाती प्रभाव एवं उपाय
इन 4 राशियों पर 2.5 महीने तक बरसेगी मुसीबतों की झड़ी
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए यह वक्री चाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान उन्हें आर्थिक नुकसान, पारिवारिक कलह, करियर में अड़चनें और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
वृषभ राशि
शनिदेव 29 जून से कुंभ राशि में वक्री हो गए हैं और 15 नवंबर तक इसी अवस्था में रहेंगे। वृषभ राशि वालों के लिए यह वक्री चाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान उन्हें कार्य में बाधा, जीवन में उतार-चढ़ाव, नौकरी-व्यापार में परेशानी और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। योजनाओं में अड़चनें और लक्ष्यों की प्राप्ति में विलंब हो सकता है। एकाग्रता में कमी और काम में गलतियां हो सकती हैं। वरिष्ठों से मतभेद और कार्यक्षेत्र में तनाव हो सकता है।
मानसिक अशांति और चिंता बढ़ सकती है। परिवार में मतभेद और कलह हो सकती है।
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए यह वक्री चाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान उन्हें आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। अचानक धन हानि हो सकती है। निवेश से लाभ कम हो सकता है। लेन-देन में सावधानी बरतें, धोखा हो सकता है। अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण रखें। शारीरिक कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है। मानसिक तनाव और चिंता बढ़ सकती है। पुरानी बीमारियां उभर सकती हैं।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए यह वक्री चाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान उन्हें शारीरिक, मानसिक और व्यावसायिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। थकान, कमजोरी और रोगों का खतरा बढ़ सकता है। चोट लगने या दुर्घटनाओं का खतरा हो सकता है। पुरानी बीमारियां उभर सकती हैं।
नियमित रूप से व्यायाम करें और स्वस्थ भोजन का सेवन करें। चिंता, तनाव और अवसाद महसूस हो सकता है। एकाग्रता में कमी और निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है। नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक रहें।