रोगों को कहें अलविदा,इस तरह करें सत्यानाशी की जड़ का इस्तेमाल, होगा फायदा: Satyanashi Plant Benefits
Satyanashi Plant Benefits: पेड़-पौधों के बिना जीवन जीना असंभव है। कई पेड़-पौधे ऐसे भी होते हैं जिनका ना सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है बल्कि उनमें कई प्रकार के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इन्ही पेड़-पौधे में से एक है सत्यानाशी का पौधा। सत्यानाशी का पौधा एक ऐसा पौधा है जो एक नहीं दो नहीं बल्कि अनेक रोगों का सफाया करता है। यह पौधा लगभग 3 फीट लंबा होता है, इस पौधे में पीले रंग के फूल खिलते हैं, इसकी पत्तियां नुकीली तेज होती है।
जब इस पौधे के तने तोड़े जाते हैं तो दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है। यह पौधा लगभग हर राज्यों में पाया जाता है। हर राज्य में इसे अलग नाम से जाना जाता है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि कैसे आप अपनी शारीरिक समस्या और त्वचा संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सत्यानाशी के पौधे और उसकी जड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो चलिए जानते हैं।
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कैसे करें सत्यानाशी की जड़ का इस्तेमाल
1)त्वचा की खुजली के लिए
सत्यानाशी, जिसे कंदुघना (Kandughna) के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधा है जो त्वचा की खुजली सहित कई त्वचा रोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया को मारने और सूजन और लालिमा को कम करने में मदद करते हैं। सत्यानाशी के पत्तों को पीसकर रस निकाल लें। इसे खुजली वाली जगह पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद पानी से धो लें।इसके अलावा आप इसका पाउडर भी बना सकते हैं। सत्यानाशी के पत्तों को सुखाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को पानी या नारियल तेल के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे खुजली वाली जगह पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद पानी से धो लें।
2)फोड़े-फूंसी हटाने के लिए
सत्यानाशी औषधीय पौधा है जो त्वचा रोगों, जिनमें फोड़े-फूंसी भी शामिल हैं, के लिए फायदेमंद माना जाता है। सत्यानाशी रक्त को साफ करने और शरीर की गंदगी को दूर करने में मदद करता है, जिससे त्वचा पर होने वाले फोड़े-फूंसी को कम किया जा सकता है। सत्यानाशी की जड़ को उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को दिन में दो बार पी सकते हैं। रात में करीब डेढ़ गिलास पानी में सत्यानाशी की जड़ और उसके फूलों को डालकर रखें। अगली सुबह उबालकर इस पानी को छानकर पी लें।
3)कफ की समस्या करे दूर
सत्यानाशी कफ को कम करने और वायुमार्ग को साफ करने में मदद करता है, जिससे सांस लेने में आसानी होती है। सत्यानाशी के पत्तों को पीसकर रस निकाल लें। इस रस को थोड़ी शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार पी सकते हैं। सत्यानाशी के पत्तों को पानी में उबालकर चाय बना लें। इस चाय को दिन में दो बार पी सकते हैं। सत्यानाशी के पत्तों को पानी में उबालकर भाप लें। यह नाक बंद होने और कफ को कम करने में मदद करता है।
4)सूजन कम करने के लिए
सत्यानाशी एक औषधीय पौधा है जो सूजन को कम करने में मददगार माना जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर में सूजन पैदा करने वाले यौगिकों को कम करने में मदद करते हैं। सत्यानाशी के पत्तों को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को सूजन वाले स्थान पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें। सत्यानाशी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। यह काढ़ा दिन में दो बार पी सकते हैं।
5)मुंह के छालों के लिए
सत्यानाशी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं जो मुंह के छालों में दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। सत्यानाशी में ठंडक पैदा करने वाले गुण होते हैं जो मुंह के छालों में जलन और जलन को कम करने में मदद करते हैं। सत्यानाशी में एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुंह के छालों को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं।सत्यानाशी के पत्तों का रस निकालकर दिन में दो बार मुंह में घुमाएं और थूक दें। सत्यानाशी के पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को मुंह के छालों पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें।