डिलीवरी गर्ल- लघु कहानी
Hindi Kahaniya: अपने पति और बच्चों के साथ पोर्टिको में बैठकर , हम सभी गप्पे मार रहे थे । साथ में चाय नाश्ता चल रहा था । गप्पे और ठहाके इतनी तगड़ी चल रही थी। बाहरी दुनिया की कोई खबर नहीं हम लोग खुद में इतने मशगूल थे । और मशगूल हो भी तो क्यों नहीं ?????बहुत दिनों बाद होली की छुट्टी में बच्चे घर आए थे । आज घर में रौनक लग रहा था।मोटरसाइकिल की आवाज लगातार कान में पे पे पे पे …… हम लोगों का ध्यान दरवाजे की तरफ गया । बहुत देर से कोई हॉर्न लगातार बजाए जा रहा था। मैंने अपने पोते को आवाज लगाते हुए कहा अंशुमन देखो दरवाजे पर कोई पार्सल लेकर आया है।
दरवाजा खोलते ही वह अंदर आई ।अंशुमन बोलता है दादी डिलीवरी ब्वॉय आया है पार्सल लेकर। तभी वह पार्सल वाली बोलती है आंटी डिलीवरी ब्वॉय नहीं डिलीवरी गर्ल हूं मैं ।सभी अचंभित होते हुए …….उसको देखने लगे ।आज तक डिलीवरी ब्वॉय ही आता था डिलीवर करने। उस लड़की की आंखों में आत्मविश्वास की जो चमक थी। उससे सच में लग रहा था कि लड़कियां अब हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं। पार्सल में,मेरे बच्चों की कंपनी से आया हुआ होली का गिफ्ट था। मेरी बहू पार्सल खोलते हुए …… मम्मी जी आज तक होली बैर भाव को दूर करता था। अबकी होली इस डिलीवरी गर्ल को देखकर ऐसा लग रहा है कि, हमारे समाज में लिंगभेद भी अब धीरे-धीरे मिट रहा है । पार्सल वाला गुलाल मम्मी जी को लगाते हुए। आधी आबादी अपना अधिकार हर क्षेत्र में लेने के लिए तैयार है। है ना मम्मी जी………।