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जीवन में पानी है सफलता तो बचपन से ही भगवान राम से सीखें ये बातें: Success Mantra

07:00 PM Jan 22, 2024 IST | Nikki Mishra
जीवन में पानी है सफलता तो बचपन से ही भगवान राम से सीखें ये बातें  success mantra
Success Mantra
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Success Mantra: भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम हैं। त्रेता युग में रावण का संहार करने के लिए इन्होंने अवतार लिया था। भगवान राम ने मर्यादा में रहते हुए एक आदर्श पुत्र, भाई, पत्नी और राजा के रूप में अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया। इसी कारण इन्हें पुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है। बच्चों को भगवान राम से बहुत सी बातें सीखनी चाहिए। इसी सीख से बच्चें आगे चलकर जीवन के कई मूल्यों और आदर्श का अच्छे से पालन कर सकते हैं। आज हम आपको भगवान राम के कुछ ऐसे आदर्श कार्य बताएंगे, जिन्हें समझकर व उनका पालन करके बच्चें एक अच्छे नागरीक व इंसान की भूमिका निभा सकते हैं। चलिए जानते हैं कुछ बातें जो सभी बच्चों को भगवान राम से सीखनी चाहिए।

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Success Mantra
Success Mantra-obedient son

राजा दशरथ के वचन और माता कैकई की इच्छा का पालन करने के लिए राम ने 14 साल के वनवास को स्वीकार किया। उन्होंने 'रघुकुल रीती सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाएं' का पालन किया। इस तरह आप भी बच्चों को आज्ञाकारी होने की सीख दे सकते हैं।

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भगवान राम अपने सभी छोटे भाईयों से बहुत प्यार करते थे। बड़े होने के नाते वह अपने सभी छोटे भाइयों को आदर्शता की सीख देते थे और उनका मार्गदर्शन करते थे। बच्चों को भी सभी रिश्तों का अच्छे से पालन करना चाहिए।

Learn From Ram
Learn From Ram

भगवान राम ने जात-पात पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने निषादराज से दोस्ती की। साथ ही सबरी की भक्ती से प्रसन्न होकर उनकी कुटिया में पधारे और उनके झूठे बेर भी खाएं। बच्चों को छोटी उम्र से ही सिखाना चाहिए कि जात-पात के ऊपर मानवता होती है। इसलिए जाति का नहीं इंसान का सम्मान करना चाहिए।

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वनवास के दौरान भगवान राम को कई कठिन परिस्थियों का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और मर्यादा में रहते हुए सभी कठिन परिस्थितियों का सामना किया। भगवान राम की तरह बच्चों को सिखाएं कि कठिन परिस्थिति में भी हार नहीं माननी चाहिए।

Difference Beween Right and Wrong
Difference Beween Right and Wrong

जब भगवान राम के छोटे भाई भरत उन्हें बीच में से ही घर वापस लेने आए तो उन्होंने घर जाने से इंकार कर दिया और 14 साल तक वनवास पूरा करके ही अयोध्या लौटे। आप भी बच्चों को सही और गलत के बीच ऐसे ही अंतर करना सिखा सकते हैं।

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Always Help Other
Always Help Other

जब विश्वामित्र भगवान राम से राक्षसों के वध के लिए मदद मांगी तो उन्होंने तुरंत मदद के लिए हां कर दी। मात्र 16 साल की उम्र में राम ने ताड़का, मारीच और सुबाह जैसे अनुभवी योद्धाओं से युद्ध किया और सभी की रक्षा की। इसलिए बच्चों को भगवान राम से सीखना चाहिए कि जब भी किसी को मदद की जरूरत पड़े तो तुरंत मदद के लिए तैयार रहें।

भगवान राम दयालु स्वभाव के थे। जब रावण ने उनकी पत्नी माता सीता का हरण कर लिया था तो राम ने रावण के साथ युद्ध का शंखनाद किया। हालांकि ये उनका दयालु स्वभाव ही था कि उन्होंने पहले रावण को माता सीता को उन्हें लौटाने को कहा, ताकि युद्ध की स्थिति ना बने। लेकिन रावण के ना मानने पर उन्होंने युद्ध किया और रावण का वध कर माता सीता को सम्मानपूर्वक अपने साथ अयोध्या लेकर गए। बच्चों को भी दयालु स्वभाव अपनाना चाहिए।

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