जीवन में पानी है सफलता तो बचपन से ही भगवान राम से सीखें ये बातें: Success Mantra
Success Mantra: भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम हैं। त्रेता युग में रावण का संहार करने के लिए इन्होंने अवतार लिया था। भगवान राम ने मर्यादा में रहते हुए एक आदर्श पुत्र, भाई, पत्नी और राजा के रूप में अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया। इसी कारण इन्हें पुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है। बच्चों को भगवान राम से बहुत सी बातें सीखनी चाहिए। इसी सीख से बच्चें आगे चलकर जीवन के कई मूल्यों और आदर्श का अच्छे से पालन कर सकते हैं। आज हम आपको भगवान राम के कुछ ऐसे आदर्श कार्य बताएंगे, जिन्हें समझकर व उनका पालन करके बच्चें एक अच्छे नागरीक व इंसान की भूमिका निभा सकते हैं। चलिए जानते हैं कुछ बातें जो सभी बच्चों को भगवान राम से सीखनी चाहिए।
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आज्ञाकारी बेटे
राजा दशरथ के वचन और माता कैकई की इच्छा का पालन करने के लिए राम ने 14 साल के वनवास को स्वीकार किया। उन्होंने 'रघुकुल रीती सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाएं' का पालन किया। इस तरह आप भी बच्चों को आज्ञाकारी होने की सीख दे सकते हैं।
एक अच्छे भाई
भगवान राम अपने सभी छोटे भाईयों से बहुत प्यार करते थे। बड़े होने के नाते वह अपने सभी छोटे भाइयों को आदर्शता की सीख देते थे और उनका मार्गदर्शन करते थे। बच्चों को भी सभी रिश्तों का अच्छे से पालन करना चाहिए।
जाति से ऊपर मानवता
भगवान राम ने जात-पात पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने निषादराज से दोस्ती की। साथ ही सबरी की भक्ती से प्रसन्न होकर उनकी कुटिया में पधारे और उनके झूठे बेर भी खाएं। बच्चों को छोटी उम्र से ही सिखाना चाहिए कि जात-पात के ऊपर मानवता होती है। इसलिए जाति का नहीं इंसान का सम्मान करना चाहिए।
कठिन परिस्थिति में नहीं मानी हार
वनवास के दौरान भगवान राम को कई कठिन परिस्थियों का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और मर्यादा में रहते हुए सभी कठिन परिस्थितियों का सामना किया। भगवान राम की तरह बच्चों को सिखाएं कि कठिन परिस्थिति में भी हार नहीं माननी चाहिए।
सही और गलत के बीच अंतर
जब भगवान राम के छोटे भाई भरत उन्हें बीच में से ही घर वापस लेने आए तो उन्होंने घर जाने से इंकार कर दिया और 14 साल तक वनवास पूरा करके ही अयोध्या लौटे। आप भी बच्चों को सही और गलत के बीच ऐसे ही अंतर करना सिखा सकते हैं।
मदद के लिए हमेशा रहे तैयार
जब विश्वामित्र भगवान राम से राक्षसों के वध के लिए मदद मांगी तो उन्होंने तुरंत मदद के लिए हां कर दी। मात्र 16 साल की उम्र में राम ने ताड़का, मारीच और सुबाह जैसे अनुभवी योद्धाओं से युद्ध किया और सभी की रक्षा की। इसलिए बच्चों को भगवान राम से सीखना चाहिए कि जब भी किसी को मदद की जरूरत पड़े तो तुरंत मदद के लिए तैयार रहें।
दयालु स्वभाव
भगवान राम दयालु स्वभाव के थे। जब रावण ने उनकी पत्नी माता सीता का हरण कर लिया था तो राम ने रावण के साथ युद्ध का शंखनाद किया। हालांकि ये उनका दयालु स्वभाव ही था कि उन्होंने पहले रावण को माता सीता को उन्हें लौटाने को कहा, ताकि युद्ध की स्थिति ना बने। लेकिन रावण के ना मानने पर उन्होंने युद्ध किया और रावण का वध कर माता सीता को सम्मानपूर्वक अपने साथ अयोध्या लेकर गए। बच्चों को भी दयालु स्वभाव अपनाना चाहिए।