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प्रेगनेंसी में सप्लीमेंट्स लेना क्यों है जरूरी: Supplements During Pregnancy

08:30 AM Sep 03, 2023 IST | Rajni Arora
प्रेगनेंसी में सप्लीमेंट्स लेना क्यों है जरूरी  supplements during pregnancy
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Supplements During Pregnancy: प्रेगनेंसी में हार्मोनल शारीरिक बदलावों के बावजूद महिलाओं को खुद को हेल्दी और फिट रखने के लिए कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। उनमें से एक है-रोजाना हेल्दी और बेलेंस डाइट का सेवन करना। गर्भस्थ शिशु के समुचित शारीरिक-मानसिक विकास के लिए फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, विटामिन डी, ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व तो नॉर्मल रूटीन से अधिक लेने पड़ते हैं। हालांकि ये पोषक तत्व रोजाना खाई जाने वाली डाइट से मिल सकते हैं, लेकिन प्रेगनेंसी में जी मिचलाना, उल्टियां आना जैसी समस्याओं की वजह से कई बार महिलाओं की डाइट गड़बड़ा जाती है। जिससे शरीर में इनकी कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर के परामर्श पर प्रेगनेंसी-पीरियड में पोषक तत्वों के सप्लीमेंट लेना जरूरी होता है। मौटे तौर पर प्रेगनेंसी का तीन हिस्सों में बांटा जाता है जिसमें अलग-अलग सप्लीमेंट लेने जरूरी होते हैं-

पहली तिमाही

Supplements During Pregnancy
Supplements during Pregnancy-First Trimester

इस पीरियड में गर्भ के अंदर शिशु का विकास बहुत तेजी से हो रहा होता है। ऐसे में किसी दवाई या आर्टिफिशियल सप्लीमेंट का इस्तेमाल करना जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।  

एक स्वस्थ महिला को इस दौरान सिर्फ फोलिक एसिड सप्लीमेंट लेने (रोजाना 5 मिग्रा) की ही जरूरत होती है। यह विटामिन बच्चे के मस्तिष्क-विकास में मदद करता है। बच्चे का वजन कम होने, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट यानी सिर या रीढ़ की हड्डी में होने वाली बीमारियों या विकारों से बचाने में सहायक होता है। बच्चे को बर्थ-डिफेक्ट होने से बचाता है। साथ ही फोलिक एसिड के सेवन से गर्भवती महिला में ब्लड प्रेशर होनेे, प्लेसेंटा एब्रप्शन या समय से पहले गर्भाशय से प्लेसेंटा के अलग होने पर गर्भपात या प्री-टर्म डिलीवरी होने के खतरे की संभावना कम रहती है।

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दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही

आयरन-कैल्शियम

दूसरी तिमाही की शुरूआत में या लगभग 16 सप्ताह के बाद महिलाओं को आयरन और कैल्शियम के सप्लीमेंट दिए जाते हैं। जो डिलीवरी के बाद कम से कम 2 महीने तक चलते हैं ताकि डिलीवरी के दौरान महिलाओं में होने वाले ब्लड लॉस की आपूर्ति हो सके। इस दौरान महिलाओं में अक्सर हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है जिसकी आपूर्ति के लिए आयरन सप्लीमेंट लेने जरूरी हैं। आयरन हमारी रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं में निर्माण में मदद करती है, जच्चा-बच्चा को एनीमिया से बचाता है। साथ ही ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा में बढ़ोतरी करती है जिससे गर्भस्थ शिशु तक ब्लड सप्लाई आसानी से हो पाती है। कैल्शियम जच्चा-बच्चा की हड्डियों और दांतों की मजबूती एवं विकास में सहायक होते हैं। गर्भस्थ शिशु कैल्श्यिम की आपूर्ति मां के रक्त से आसानी से कर लेता है। गर्भवती महिलाएं अगर इस दौरान कैल्शियम सप्लीमेंट नहीं लेती, तो भविष्य में उनकी हड्डियां कमजोर पड़ने और जोड़ों में दर्द की संभावना हो सकती है।

Supplements in Pregnancy
Supplements During Pregnancy-Iron and Calcium

लेकिन ये सप्लीमेंट लेते समय महिलाओं को 2 बातों का ध्यान रखना जरूरी है-पहला महिला को आयरन और कैल्शियम की दवाई का सेवन एक साथ नहीं करना है। क्योंकि इकट्ठा खाने पर ये सप्लीमेंट एब्जार्ब करने में दिक्कत आती है। इससे बचने के लिए बेहतर है कि महिला आयरन ब्रेकफास्ट या लंच में लें और आयरन सप्लीमेंट डिनर के समय लें। आयरन को एब्जार्ब करने के लिए महिलाओं को सिट्रस फ्रूट्स या विटामिन सी सप्लीमेेंट लेना जरूरी है।

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अगर प्रेगनेंट महिला थैलेसीमिया या सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित होती हैं। उन्हें आयरन सप्लीमेंट तब तक नहीं दिया जाना चाहिए, जब तक कि ब्लड टेस्ट करने पर उनके शरीर में ब्लड-प्रूवन आयरन डिफिशिएंसी नहीं निकल जाती। क्योंकि उनके शरीर में पहले ही आयरन काफी मात्रा में होता है, आयरन टेस्ट कराए बिना आयरन सप्लीमेंट देना नुकसानदायक हो सकता है।

प्रोटीन

इसके अलावा शाकाहारी महिलाओं के शरीर में अक्सर प्रोटीन की कमी रहती है, उन्हें सप्लीमेंट में प्रोटीन भी शामिल करना पड़ता है। ऐसी महिलाएं प्रोटीन पाउडर, प्रोटीन बिस्कुट या कैप्स्यूल भी ले सकती हैं। लेकिन इन्हें लेते समय अपने बॉडी मास इंडेक्स का ध्यान रखना जरूरी है जैसे अधिक वजन वाली महिलाएं कैप्स्यूल या बिस्कुट ले सकती हैं, जबकि दुबली महिलाएं प्रोटीन पाउडर भी ले सकती हैं। मांसाहारी डाइट लेने वाली महिलाएं रोजाना आहार में मांसाहारी खाद्य पदार्थ या अंडे भी बढ़ा सकती हैं।

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विटामिन डी

तकरीबन 60 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। यह विटामिन शरीर में कैल्शियम को एब्जार्ब करने और जच्चा-बच्चा दोनों की हड्डियों और दांतों की मजबूती में सहायक होता है। दूसरी और तीसरी तिमाही में महिलाओं को विटामिन डी सप्लीमेंट लेना जरूरी है। लेकिन फैट सोल्यूबल विटामिन होने के कारण जरूरत से ज्यादा विटामिन डी सप्लीमेंट लेने से हाइपर विटामिनोसिस-डी भी हो सकता है। इसलिए उन्हें शरीर में विटामिन डी लेवल चेक कराना जरूरी है। विटामिन डी कैप्स्यूल या सिरप सप्लीमेंट ले सकती हैं। सुबह-शाम की गुनगुनी धूप में तकरीबन 20-25 मिनट जरूर सेंकनी चाहिए।  

रखें ध्यान

जरूरी है कि अपनी मर्जी से या दूसरों की हिदायत पर मल्टीविटामिन सप्लीमेंट नहीं लेने चाहिए। गर्भावस्था में कोई भी सप्लीमेंट जब तक बहुत जरूरी न हो, महिलाओं को नहीं लेने चाहिए। क्योंकि गर्भ के अंदर शिशु का विकास बहुत तेजी से हो रहा होता है और हार्मोनल बदलावों की वजह से कई तरह की समस्याएं रहती हैं। ऐसे में महिलाएं किसी तरह के सप्लीमेंट्स लेती हैं, तो उनमें ये समस्याएं बढ़ सकती है। अगर महिला को आयरन जैसे सप्लीमेेंट माफिक न आ रहे हों, तो डॉक्टर से परामर्श करके बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सॉल्ट के सप्लीमेंट ले सकती हैं।

( डॉ मणि कपूर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, हीलिंग टच मैटरनिटी सेंटर, दिल्ली )

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