स्वभाव—गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Swabhav Story: दौलतपुर गांव में एक ऋषि रहते थे।
उनका एक शिष्य तीर्थाटन कर बहुत दिनों बाद गांव में वापस आया था।
एक दिन शिष्य संध्या के समय हवन कर्म से निवृत्त होकर जब गुरू और शिष्य हवन कुंड के समीप आराम से बैठे हुए थे तभी गुरु ने शिष्य से पूछा , इस लंबी यात्रा में तुमने सबसे बड़ी कौन सी बात देखी है बताओं ?
शिष्य ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, सबसे बड़ी बात तो मुझे ये लगी कि देश की सारी नदियां बेतहाशा समुद्र की ओर भागी जा रही हैं।
गुरू बोले ,अरे , इसमें कौन सी बड़ी बात है।
शिष्य झिझकते हुए बोला, बड़ी बात तो यह है महाराज जितनी भी नदियां हैं उन्हें पवित्र माना गया है उनका रूप मनोहर और जल सुस्वादु है इनके किनारों पर इतने फूल खिलते हैं, इतने पक्षी चहचहाते रहते हैं कि इंसान का जी वहां से हटने को नहीं चाहता। मगर नदियां हैं कि एक क्षण कहीं भी रूकने का नाम ही नहीं लेती ,वे भागी जाती है और किसकी तरफ महाराज,उस समुद्र की तरफ को,जिसका रंग नीला और सारा शरीर लवण से तिक्त है। जिसके मुंह से हर समय झाग निकलते रहता हैं और जिसे यह फ़िक्र ही नहीं रहती कि कौन ,,,,,,,,उससे मिलने को आ रहा है।
ऋषि ने शिष्य को समझाते हुए कहा, बेटा सभी नदियां नारी स्वभाव जैसी है वे अपने प्रेमी का चुनाव गुण देखकर करती है समुद्र नीला और खारा भले ही हो ,मगर वह गंभीर है और बड़ा मर्यादावान भी। इसलिए वह ना तो कभी घटता है और ना उसमें बाढ ही आती है। ऐसा सुगंभीर आकर्षण भला कौन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,? रोक सकता है।
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