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"टियर ग्लैंड"-गृहलक्ष्मी की कहानियां

01:00 PM Feb 26, 2024 IST | Sapna Jha
 टियर ग्लैंड  गृहलक्ष्मी की कहानियां
Tear Gland
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Hindi Short Story: जब किसी को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो बंदा उसके बारे में किसी से ज़िक्र नहीं करता लेकिन मैं ऐसी नहीं हूं। आज आप सभी को मैं उस राज के बारे में बता रही हूं जिसको जानने के बाद आप ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना अवश्य करेंगे। दरअसल मुझे रोने की बीमारी या कह सकते हैं कि रोने का शौक है और अगर एक बार मेरे टियर ग्लैंड एक्टिव हुए तो कसम गंगा मैया की, कमबख्त आंसू रुकते ही नहीं है। कितनी कोशिश कर लूं पर ये बहते ही रहते हैं,कई बार तो आंसू पोंछते-पोंछते आंखें छिल भी जाती हैं। नाक भी आंखों के साथ बहने लगे तो बड़ा कन्फ्यूजन होता है कि पहले आंख पोंछूं या नाक! कमाल की बात ये है कि मुझे रोने के लिए किसी बड़े मुद्दे की जरूरत नहीं है। कुछ मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट है शायद कि मैं खुशी में भी दुख के बराबर रो लेती हूं।
मूवी देखी...रोना शुरू! पूजा करी...रोना शुरू!बच्चों पर प्यार आया... रोना शुरू! गुस्सा आया... रोना शुरू! पति से लड़ाई... रोना शुरू! कोई भावुक पोस्ट पढ़ी... रोना शुरू!कहीं राष्ट्रगान हो रहा हो तब भी...रोना!
यहां तक की शादियों में रोने के लिए मुझसे दुल्हन की विदाई तक का इंतजार नहीं होता। अक्सर दुल्हन के ससुराल पहुंच जाने तक भी रोती रहती हूं। सारी आंखें और उनके आसपास का इलाका कालीगंज बन जाता है। लोग जज करते हैं सो अलग। फिर कितनी भी सफाई देते रहो लोग उस रोने को पता नहीं कौन-कौन सी बातों से जोड़ लेते हैं,अब आंसू रुके तब कुछ बोलूं ना! एक बार तो शादी में सारा खाना रोते हुए खाया लोग सोच रहे थे कि मैं दुखी हूं तो खाऊंगी नहीं...अरे भई टियर ग्लैंड जब मेरी नहीं मानते तो दुष्ट आंतें भी कहां सुनती हैं। रोती रही,खाती रही... कुछ ज्यादा ही खाया गया, पर कोई बात नहीं एनर्जी भी लगती है रोने में।
अब तो मैं शादियों में आई मेकअप करती ही नहीं हूं और खुबसूरत सिल्क की फ्री हैंड साड़ी पहन दूसरे कंधे पर लाल रंग का गमछा रखने लगी हूं।पता नहीं कब रोना आ जाए। ये रूमाल-टिशु तो नार्मल लोगों के लिए हैं मुझ जैसी महान रोतडू का उनसे क्या होगा भला।
जब पहली बार बेटे का स्टेज परफॉर्मेंस था (परफॉर्मेंस के नाम पर वो खड़ा हुआ लाइटें देख रहा था) मैं पूरे टाइम रोती रही,पति चुप करवाते रहे। सोचा कि पहली बार है ना इसलिए रोना आ रहा है लेकिन उसके बाद! दस साल हो गए जब भी कोई सा बेटा स्टेज पर होता है (भले ही बच्चों की भीड़ में मैं उसे पहचान ना सकूं) मैं रोती जरूर हूं। आंखें धुंधली हो जाती हैं, कुछ ठीक से दिखता तक नहीं लेकिन मेरा रोना नहीं रुकता। फिर वही होता है... आसपास के लोग जज करते हैं।
कोई अच्छा डाक्टर हो आपकी नज़र में तो बताना, वैसे आपके डाक्टर बताते ही मैं आपके प्रति कृतज्ञ हो एक बार रोऊंगी जरूर!

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