टीनएजर क्यों बोलते हैं झूठ, जानिए उनके साथ कैसे डील करें: Teenager Lie
Teenager Lie: टीनएजर, उम्र का वो दौर जब कोई भी बहक सकता है। जिंदगी के गलत रास्ते पर चल सकता है, वो बिगड़ सकता है। लेकिन ठीक इसी वक्त पर अगर पेरेंट्स का साथ मिल जाए तो टीनएजर के लिए आगे बढ़ना आसान हो जाता है। मगर समस्या यहीं पर आती है, हर पेरेंट अपने बच्चे की दिक्कत और परिस्थितियां नहीं समझ पाते हैं। जिसके चलते टीनएजर के लिए अपनी परिस्थितियों को हैंडल करना कठिन हो जाता है। उन्हें समझ ही नहीं आता कि करें क्या और फिर वो झूठ बोलने लगते हैं। लेकिन टीनएजर के झूठ बोलने की वजहें और भी हैं। यह ऐसी वजहें हैं जिनको पहचानकर पेरेंट्स अपने बच्चों को आगे बढ़ने और सही रास्ते चुनने में मदद कर सकते हैं। चलिए टीनएजर्स के झूठ बोलने की वजहों पर नजर डालते हैं-
पेरेंट्स को दुःख न हो
ज्यादातर बार टीनएजर्स अपने पेरेंट्स से झूठ सिर्फ इसलिए ही छुपाते हैं कि उनके मातापिता को दुःख न हो। वो निराश न हो जाएं, बस यही सोचते हुए बच्चे अक्सर पेरेंट्स को दिल का हाल नहीं बताना चाहते हैं और झूठ भी खूब बोलते हैं। मगर यहां पर पेरेंट्स को आगे आना होगा। उन्हें बच्चों को यह बताना होगा कि आप उनके साथ हर परिस्थिति में हैं और आप निराश शायद हो जाएं लेकिन आप उनका साथ पूरे दिल से देंगे और आगे बढ़ने में मदद करेंगे। ऐसा न करके बच्चे समस्या में जरूर फंस जाएंगे।
उनको आप बुद्धू समझेंगे
टीनएजर कई बार दिल का हाल इसलिए भी नहीं बताते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि आप उन्हें बुद्धू समझेंगे। इसका मतलब है कि आप उनका अक्सर ही मजाक बनाती हैं। दरअसल कई पेरेंट्स अक्सर ही बच्चे की गलती को सुधारने की बजाए उनका मजाक बनाने लगते हैं। बच्चे इस वजह से ही पेरेंट्स से झूठ बोल देते हैं कि कहीं उनका मजाक ना बनाया जाए।
दोस्त का साथ देने के लिए
बच्चे टीनएज में ही दोस्ती का असल मतलब समझते हैं। इस वक्त उन्हें दोस्त का साथ देना भी सही लगने लगता है। इसके चलते वो उस दोस्त की गलती छुपाने के लिए झूठ बोलने को भी तैयार हो जाते हैं। वो उस दोस्त की कोई भी गलती आपतक पहुंचने नहीं देना चाहते हैं इसलिए तो उनके झूठ छुपा लेते हैं। और इसके लिए खुद भी झूठ बोलते जाते हैं।
अपनी भावनाएं छुपाना
टीनएजर अगर झूठ बोल रहा है तो इसके पीछे उसका अपनी भावनाएं छुपाना भी हो सकता है। दरअसल बड़े होते बच्चों को अक्सर ही अपनी बात अपने तक रखने की सलाह दी जाती है। उनसे किसी के सामने तेज न बोलने, ना रोने के लिए कहा जाता है। इसका असर यह होता है कि वो सभी बातें अपने तक रखने लगते हैं। वो यह नहीं समझ पाते हैं कि कौन सी बात अपने तक रखनी है और कौन सी सबको बतानी है। इसी के चलते कई बार वो झूठ बोलकर दिल का का अपने दिल में ही छुपा लेते हैं।
पेरेंट्स की प्रशंसा
बच्चों को जब यह समझाया जाता है कि तुम्हें सिर्फ अच्छा ही काम करना है और लोगों से सिर्फ तारीफें ही लेनी हैं तो जब वो गलत करते हैं तब भी उसे छुपा ले जाते हैं। वो कैसे भी करके खुद की छवि खराब नहीं होने देते हैं। इसलिए वो झूठ बोलकर ही सही लेकिन पेरेंट्स के सामने अपनी छवि अच्छी कर लेते हैं। यह छवि अच्छी बनाए रखने के लिए कुछ भी करते हैं। बस उन्हें पेरेंट्स से तारीफ सुननी होती है। कई बार इस सोच के कई नुकसान भी हो सकते हैं।
अपनी आजादी बनाए रखना
कई बार पेरेंट्स गलती पता चलने पर टोका टाकी खूब करने लगते हैं। वो इतना ज्यादा टोकते हैं कि बच्चे परेशान हो जाते हैं। इसलिए जब भी उन्हें लगता है कि उनकी आजादी छिन सकती है तो वो झूठ बोल लेते हैं और उन्हें लगता है कि इस बहाने ही सही पर वो बिना किसी बंधन के अपने काम कर सकेंगे। उनकी आजादी कम नहीं की जाएगी। आजादी वैसे भी सबको ही चाहिए होती है तो बहुत ज्यादा टोका टाकी करने वाले पेरेंट्स के बच्चों के साथ तो ऐसा होगी ही।
कैसे सुधारें बच्चों को?
अब जब आप यह पता लगा चुकी हैं कि आपका टीनेज बच्चा आपसे झूठ बोलता है तो उसे सुधारने के प्रयास भी शुरू कर दीजिए। इसके लिए रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-छोटे बदलाव ही करने होंगे, ज्यादा मेहनत वाला काम यह नहीं है-
बात करते रहें
जब आप बच्चों से बात करने की जहमत नहीं उठाते हैं, तो उनके दिल का हाल उनके अंदर ही रह जाता है। कई बार वो खुद भी नहीं समझ पाते हैं कि वो सही कर रहे हैं या गलत। ऐसे में जब आप बच्चों से समय-समय पर बात करती रहेंगी तो अपने दिल का हाल कहने की उनकी आदत पड़ जाएगी। वो आपके साथ एक कनेक्ट जैसा महसूस करेंगे। फिर कई बार जब आप नहीं बात करेंगी तो भी बच्चे खुद ही आकर आपसे दिल का हाल कह देंगे।
शांत रहें
बच्चे बहुत बार दिल का हाल इसलिए भी नहीं कहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है पेरेंट्स की डांट पड़ जाएगी। लेकिन जब आप शांत मन से बच्चे की बात सुनेंगे और खुद से वादा करेंगे कि आप गुस्सा नही करेंगे तो बच्चा कभी भी कोई भी बात आपसे कह सकेगा। वो समझेगा कि गलती पर भी आप डांटेंगे नहीं बल्कि समझेंगे कि आपसे वो गलती क्यों हुई?
ईमानदार बनने की कोशिश
अपने टीनएजर से ईमानदार बनने के लिए कहिए। ऐसा आप बच्चे से बचपन से करेंगी और अपनी परवरिश का हिस्सा बनाएंगी तो ज्यादा अच्छा रहेगा। उन्हें अपने उदाहरण दीजिए और बताइए कि बचपन में छोटा सा झूठ बोलने के चक्कर में आप कितनी बड़ी मुसीबत में फंस गई थीं। पर बड़े होने के बाद ये मुसीबत छोटी नहीं होती है बल्कि बड़ी हो जाती है।
पेरेंट्स हैं हीरो
बचपन से ही बच्चे पेरेंट्स को ही अपने हीरों मानते हैं। ऐसे में अगर वही गलती करेंगी जो उनको मना कर रही हैं तो वो नहीं मानेंगे। इसलिए बच्चों के सामने आदर्श बनने की कोशिश करें।
बेइज्जत करना
अक्सर बच्चे बड़े होने लगते हैं तो पेरेंट्स मारने का डर दिखाना बंद कर देते हैं लेकिन उनसे दिल तोड़ने वाली बातें करने लगते हैं। बच्चे इनमें खुद को बेइज्जत महसूस करते हैं और दिल की बात कहना बंद कर देते हैं। उन्हें किसी भी गलती पर बेइज्जत कभी न करें।