प्रेग्नेंसी में थैलेसीमिया के जोखिम को करना है कम, तो अपनाएं ये सुझाव: Thalassemia In Pregnancy
Thalassemia In Pregnancy: प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से कई तरह के बदलाव होते हैं। जिस वजह से प्रेग्नेंसी में अधिकतर महिलाएं एनीमिया का शिकार हो जाती हैं। आयरन की कमी और डिलीवरी के दौरान अत्यधिक खून निकल जाने के कारण कुछ मामलों में महिला की मृत्यु भी हो जाती है। आयरन की कमी के अलावा थैलेसीमिया भी प्रेग्नेंट महिला के लिए खतरनाक हो सकता है। जो शरीर में पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन बनने नहीं देता। जो महिलाएं थैलेसीमिया के साथ कंसीव कर लेती हैं, उन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस दौरान महिलाओं को विशेषतौर पर अपने आहार और जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए ताकि जोखिम को कम किया जा सके।
क्या है थैलेसीमिया

थैलेसीमिया एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन को प्रभावित करता है। ये ग्लोबिन चेन सिंथेसिस के कारण होता है, जिससे अप्रभावी ब्लड सेल्स निर्मित होती हैं। इन सेल्स की वजह से रेड ब्लड सेल्स की लाइफ कम हो जाती है। थैलेसीमिया मेजर और माइनर दो प्रकार के होते हैं। जो कुछ तरीकों से प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर सकते हैं। जिन महिलाओं को पहले से थैलेसीमिया की समस्या है, यदि वे कंसीव करती हैं तो ये समस्या उनके बच्चे में भी ट्रांसफर हो सकती है।
थैलेसीमिया माइनर के प्रमुख लक्षण
ये एक अनुवांशिक स्थिति है जो जन्म के दौरान बच्चे में भी ट्रांसफर हो सकती है। इसके लक्षण को पहचानना महत्वपूर्ण है।
- इस दौरान महिला को किसी प्रकार के लक्षण महसूस नहीं होते।
- ये एनीमिया का कारण बन सकता है।
- एनीमिया की वजह से प्री-मैच्योर डिलीवरी हो सकती है।
- लो बर्थ वेट की समस्या हो सकती है।
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थैलेसीमिया मेजर के प्रमुख लक्षण
माइनर थैलेसीमिया मां और पिता में से किसी एक के शरीर में है तो ये समस्या बढ़कर मेजर थैलेसीमिया में तब्दील हो जाती है। शरीर में खून न बनने से प्रेग्नेंट महिला कई तरह की समस्याओं से ग्रस्त हो सकती है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं।
- थकान और कमजोरी
- हड्डियों में दर्द रहना
- स्किन का पीला पड़ना
- यूरिन में बदलाव
- चक्कर और सिरदर्द की समस्या
प्रेग्नेंसी में थैलेसीमिया के खतरे को कैसे कम करें

- थैलेसीमिया मेजर और माइनर वाले बच्चे के जन्म को रोकने के लिए जागरूकता महत्वपूर्ण है।
- प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले महिलाओं में मौजूद आयरन की कमी को दूर किया जाना चाहिए। यदि किसी प्रकार का जोखिम है तो इसका उपचार किया जाना चाहिए।
- प्रेग्नेंसी के दौरान सही डाइट लेकर और सप्लीमेंट्स का सेवन करके एक्स्ट्रा आयरन लेकर एचबी को सामान्य करना चाहिए।
- प्रेग्नेंसी में पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए जिससे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट को रोका जा सके।
- आईयूजीआर या समय से पहले जन्म को रोकने के लिए एचबी स्तर की निगरानी की जानी चाहिए।
- समय से पहले किसी समस्या का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड कराजा जा सकता है। ताकि बच्चे की ग्रोथ पर विशेष ध्यान दिया जा सके।
- समय-समय पर ब्लड टेस्ट जैसे कि कंप्लीट ब्लड काउंट और एचपीएलसी टेस्ट से स्ट्रक्चरल हीमोग्लोबिन टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है।
- कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट का सेवन करें।
- कई बार थैलेसीमिया से ग्रसित महिला को एक महीने में 2 से 3 बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है।