घूम आइये तरंगमबाड़ी जहां लहरे गाती हैं गीत: Tharangambadi
Tharangambadi: तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से मात्र छः घंटे की दूरी पर एक ऐसा स्थान मौजूद है जिसे संगीतीय तरंगों की भूमि कहते हैं। तरंगमबाड़ी का तमिल भाषा में अर्थ ही है लहरों की गीत गाने वाला स्थान। इस स्थान को त्रांकेबार भी कहते हैं और यह मयिलाडुतुरै जिले में स्थित एक नगर है।
इसके दूसरे नाम की कहानी की बात करें तो जब साल 1620 में डेनिश उपनिवेश भारत में बने तब इस नगर को त्रांकेबार नाम दिया गया। करीब 200 वर्षों तक डेनिश के राज करने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे अपने हाथों में ले लिया। ये तो रही तरंगमबाड़ी की ऐतिहासिक कहानी। आइये जानते हैं इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जो आपको यहां जाने के लिए जिज्ञासा पैदा करेंगी।
डान्सबोर्ग का किला
डान्सबोर्ग के किले से ही डेनिश ने अपना शासन शुरू किया था। ये किला बंगाल की खाड़ी के तट पर मौजूद है यहां से आप सागर की लहरों को महसूस कर सकते हैं। अद्भुत वास्तुकला का नमूना पेश करता यह किला दोमंजिला है जहां से आप समंदर की ओर निशाना लगाए हुए एक पुरानी तोप को देख सकते हैं। यदि आप ऐतिहासिक इमारतों को देखने के शौकीन है तो आपकी यात्रा को यह स्थान और भी खूबसूरत बना सकता है।
त्रांकेबार म्यूजियम
डेनिश दस्तावेजों का लेखा-जोखा हो या विजयनगर साम्राज्य से लेकर तंजावुर शासकों का भव्य इतिहास सभी कि यादें आपको इस म्यूजियम में देखने को मिल जाएंगी। यदि आप दक्षिण के इतिहास को जानने के इच्छुक हैं तो आपको ये म्यूजियम अवश्य ही घूमना चाहिए।
ज़िगंबल्ग म्यूजियम
यहां पर एक और म्यूजियम है जिसे ज़िगंबल्ग म्यूजियम के नाम से जाना जाता है। यहां पर आपको 18वीं सदी पुरानी एक मुद्रण या प्रिंटिंग मशीन मिलेगी। ऐसा माना जाता है विश्व की सबसे पहली तमिल में लिखित बाइबल यहीं पर प्रिंट की गई थी। यह म्यूजियम मंगलवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से 2 बजे तक खुला रहता है जबकि रविवार वाले दिन ३pm-६pm बजे तक खुला रहता है।
नया येरुशलम चर्च
किंग स्ट्रीट नामक स्थान पर बने इस चर्च का निर्माण साल १७१८ में डेनिश मिशनरी के द्वारा बनवाया गया था। अफसोस कि साल 2004 में आई सुनामी के चलते यह स्थान बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था जिसका जीर्णोद्धार साल 2006 में किया गया।
इन जगहों पर जाना भी बिलकुल न भूलें
तरंगमबाड़ी नाम से लोकप्रिय त्रांकेबार में आपको डेनिश साम्राज्य की कुछ और भी झलक देखने को मिल जाएंगी जिनसे आप उनके यहां आने से लेकर शासन के तौर-तरीको का अंदाजा लगा सकते हैं। जैसे उस दौर का पोस्ट ऑफिस (डाकघर), गवर्नर का आलीशान बंगला, मसिल्ला नाथर मंदिर आदि।