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गुदगुदी न दे जाए गम, बच्चों के लिए मजा नहीं सजा के बराबर है ये ‘हंसी’: Tickling Kids Effects

अकसर गुदगुदी उन बच्चों को ज्यादा की जाती है जो बहुत छोटे होते हैं और बोल नहीं पाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को लगता है कि वे गुदगुदी करके बच्चे के साथ खेलते हैं और बच्चा खिलखिला कर हंसता है। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार यह गलत धारणा है।
07:00 PM May 23, 2023 IST | Ankita Sharma
गुदगुदी न दे जाए गम  बच्चों के लिए मजा नहीं सजा के बराबर है ये ‘हंसी’  tickling kids effects
Tickling Kids Effects
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Tickling Kids Effects: हंसते-मुस्कुराते बच्चे किसे पसंद नहीं होते। शायद यही कारण है कि छोटे बच्चों के साथ न सिर्फ पेरेंट्स, बल्कि रिश्तेदार, फ्रेंड्स और कभी-कभी अनजान लोग भी गुदगुदी करके उन्हें हंसाने की कोशिश करते हैं। इस दौरान सभी बच्चों के पैरों या फिर पेट पर गुदगुदी करते हैं और बच्चे जोर-जोर से हंसना शुरू कर देते हैं। बच्चों को हंसाने की यह ट्रिप हमेशा से ही हम देखते आए हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि यह कोशिश बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

तंत्रिका तंत्र पर हावी हो जाती है गुदगुदी

Tickling Kids Effects
When we tickle a baby, it cannot breathe properly due to excessive laughter.

अकसर गुदगुदी उन बच्चों को ज्यादा की जाती है जो बहुत छोटे होते हैं और बोल नहीं पाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को लगता है कि वे गुदगुदी करके बच्चे के साथ खेलते हैं और बच्चा खिलखिला कर हंसता है। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार यह गलत धारणा है। जब हम बच्चे को गुदगुदी करते हैं तो ज्यादा हंसने के कारण वह ठीक से सांस नहीं ले पाते। कई बार वे हांफने लगते हैं, जो उनकी सेहत के लिए खतरनाक होता है। कई बार ज्यादा हंसने के ​कारण उन्हें हिचकी आने लगती है, जिससे उन्हें तकलीफ होती है। प्लेफुल पेरेंटिंग किताब के लेखक लॉरेंस कोहेन का कहना है कि गुदगुदी बच्चों के तंत्रिका तंत्र पर हावी हो जाती है। ऐसे में बच्चे असहाय महसूस करते हैं। ज्यादा हंसने से वे बेचैनी महसूस करने लगते हैं। छोटे बच्चों को दर्द भी हो रहा होता है तो वो इसे बता नहीं पाते।

असमंजस में फंस जाता है ब्रेन

गुदगुदी करने से मासूम बच्चों का ब्रेन काफी असमंजस में फंस जाता है।
Due to tickling, the brain of innocent children gets entangled in a lot of confusion.

वहीं एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि गुदगुदी करने से हाइपोथैलेमस यानी दिमाग का वो हिस्सा जो शरीर के स्मार्ट कंट्रोल कोऑर्डिनेशन सेंटर के रूप में काम करता है, उत्तेजित हो जाता है। ऐसे में ब्रेन के इमोशनल रिएक्शन और दर्द की प्रतिक्रिया के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिससे बच्चा हंसता है इसका अर्थ ये नहीं है कि उसे मजे आ रहे हैं, बल्कि इसका मतलब ये भी हो सकता है कि उसका अपने इमोशन से कंट्रोल खो गया है और ये हंसी ऑटोमेटिक इमोशनल रिस्पॉन्स के कारण बच्चे को आ रही है। लंबे समय तक यही प्रक्रिया दोहराने से मासूम बच्चों का ब्रेन काफी असमंजस में फंस जाता है।

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सजा का एक तरीका है गुदगुदी

बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि गुदगुदी बच्चों के लिए आपको भले ही मजा लगता है, लेकिन असल में यह सजा का एक सदियों पुराना तरीका है। एक समय था जब गुदगुदी का इस्तेमाल लोगों को प्रताड़ित करने के लिए किया जाता था। बताया जाता है कि चीन में हान राजवंश के शासन के दौरान अपराधियों को सजा के तौर पर गुदगुदी की यातनाएं दी जाती थीं। इस सजा को चुनने का मुख्य उद्देश्य यह था कि इससे निशान भी नहीं पड़ते थे और पसलियों और गले में तेज दर्द भी होता था। प्राचीन रोम में भी अपराधियों को सजा देने के लिए गुदगुदी को हथियार बनाया गया था। उस समय अपराधियों के पैर नमक के पानी में भिगो दिए जाते थे, फिर बकरियां उनके पैर चाटती थीं, जिससे उन्हें गुदगुदी हो। ऐसे में जो बच्चे अपनी भावनाएं बोलकर बयां नहीं कर पाते, उनके लिए गुदगुदी सजा जैसी ही है।

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