उत्तराखंड के प्रमुख शिव मंदिर: Uttarakhand Shiv Temple
Uttarakhand Shiv Temple: शिव या महादेव सनातन संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं l वह त्रिदेवों में एक देव हैं इन्हें देवों के देव महादेव के नाम से भी जाना जाता है l इसके अलावा शिव को 108 दूसरे नामों से भी जाना और पूजा जाता है l शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमशः ब्रह्मा,विष्णु और महेश नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की है l
इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचयिता हुए और शंकर उनकी एक रचना | इनकी अर्धांगिनी ( शक्ति ) का नाम पार्वती है , इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं और पुत्री अशोक सुंदरी है l शिव अधिकतर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है l
उत्तराखंड राज्य को देवभूमि की उपाधि से सम्मानित किया गया है और यहां पर 59 शिव मंदिर हैं l
आज हम जानेंगे उत्तराखंड के कुछ प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में
केदारनाथ धाम

केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है और यह देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है l ऐसा माना जाता है कि पांडवों के वंशज जन्मेजय ने केदारनाथ मंदिर की स्थापना की थी l यह मंदिर 6 महीने के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है तथा शीतकाल में इसके कपाट बंद रहते हैं l यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडो को जोड़कर बनाया गया है |
विश्वनाथ मंदिर

विश्वनाथ मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में भागीरथी नदी के किनारे स्थित है I उत्तरकाशी को विश्वनाथ नगरी के नाम से भी जाना जाता है l
टपकेश्वर महादेव मंदिर

ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के देहरादून जनपद में शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर तमसा नदी के तट पर स्थित है l ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल से पूर्व गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए थे और उन्हीं के अनुरोध पर भगवान शिव जगत कल्याण के लिए लिंग के रूप में स्थापित हो गए l इसके बाद गुरु द्रोणाचार्य ने भगवान शिव की उपासना की और अश्वत्थामा का जन्म हुआ l
बाबा बागनाथ मंदिर

बाबा बागनाथ मंदिर उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में सरयू- गोमती नदियों के संगम पर स्थित है l यह मंदिर राजा लक्ष्मीचंद ने वर्ष 1602 में निर्मित करवाया था l कहां जाता है कि बाघ और गाय रूपी शिव और पार्वती मार्कंडेय मुनि के समक्ष अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गए l इसे व्याघरेश्वर कहां जाने लगा जो बाद में बागनाथ बना l
बिनसर महादेव मंदिर

यह मंदिर रानीखेत से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है l कुंज नदी के सुरम्य तट पर करीब साढ़े 5000 फीट की ऊंचाई पर बिनसर महादेव का भव्य मंदिर है जो हरे भरे देवदार आदि के जंगलों से घिरा हुआ है l हिंदू भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में किया गया था l यह क्षेत्र के लोगों का अपार श्रद्धा का केंद्र है और भगवान शिव और माता पार्वती की पावन स्थली मानी जाती है l हजारों की संख्या में मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं l
जागेश्वर टेंपल ,अल्मोड़ा

जागेश्वर धाम जो कि आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है भगवान सदा शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है l जागेश्वर के इतिहास के अनुसार उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान हिमालय की पहाड़ियों के कुमाऊं क्षेत्र में कत्यूरी राजा था l जागेश्वर मंदिर का निर्माण भी उसी काल में हुआ था l इसी वजह से मंदिरों में गुप्त साम्राज्य की झलक दिखाई देती है l अपनी अनोखी कलाकृति से इन साहसी राजाओं ने देवदार के घने जंगल के मध्य बने जागेश्वर मंदिर का ही नहीं बल्कि अल्मोड़ा जिला में 400 से अधिक मंदिरों का निर्माण किया है l
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर के सर्वोच्च बिंदु के ऊपर स्थित है I यह मंदिर मुक्तेश्वर धाम या मुक्तेश्वर के नाम से भी जाना जाता है l समुद्र तल से 2315 मीटर की ऊंचाई पर कुमायु पहाड़ियों में दतिया मंदिर का नाम 350 साल पुराने शिव के नाम से आता है जिसे मुक्तेश्वर धाम के रूप में जाना जाता है, जो शहर में सबसे ऊपर और सबसे ऊंचा स्थान है l
नीलकंठ महादेव मंदिर,ऋषिकेश

नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन पवित्र मंदिर है जो कि ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है l मंदिर के बाहर न कार्यों में समुद्र मंथन की कथा बनाई गई है l इस मंदिर के मुख्य द्वार पर द्वारपालों की प्रतिमा बनी है lमंदिर परिसर में कपिल मुनि और गणेश जी की मूर्ति स्थापित है l
कोटेश्वर महादेव मंदिर, रुद्रप्रयाग

कोटेश्वर मंदिर रुद्रप्रयाग शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित है l चार धाम की यात्रा पर निकले ज्यादातर श्रद्धालु इस मंदिर को देखते हुए ही आगे बढ़ते हैं l गुफा के रूप में मौजूद यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है l ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय इस गुफा में साधना की थी l गुफा के अंदर मौजूद प्राकृतिक रूप से बनी मूर्तियां और शिवलिंग यहाँ प्राचीन काल से ही स्थापित है l
बैजनाथ मंदिर, बागेश्वर

बैजनाथ मंदिर कुमाउ कत्यूरी राजा द्वारा बागेश्वर जिले में करीब 1150 इसवी में गोमती नदी के किनारे पर विशाल पाषण शिलाओ से बनाया गया था l ऐसा माना जाता है कि शिव और पार्वती ने गोमती व गरुड़ गंगा नदी के संगम पर विवाह रचाया था l
मध्यमहेश्वर मंदिर, गढ़वाल

मध्यमहेश्वर मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय के मंसुना गांव में स्थित प्रसिद्ध और धार्मिक भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिर है l मंदिर पंच केदार तीर्थ यात्रा में चौथा मंदिर है l मध्यमहेश्वर मंदिर में पूजा करने के बाद केदारनाथ तुंगनाथ और रूद्रनाथ के मंदिरों की यात्रा की जाती है l इस मंदिर को पांडवों के द्वारा निर्मित माना जाता है एवं यह भी माना जाता है कि भीम ने भगवान शिव की पूजा करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था l मंदिर प्रांगण में “मध्य” या “बैल का पेट” या “ नाभि” भगवान शिव जी का दिव्य रूप माना जाता है l
गोपीनाथ मंदिर

उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर में स्थित है गोपीनाथ मंदिर जिसके मंदिर परिसर में भगवान शिव का त्रिशूल है और माना जाता है कि त्रिशूल में इतनी शक्ति है कि कितना भी बलशाली इसे हिला नहीं सकता है l यह भी कहा जाता है कि यदि तर्जनी अंगुली त्रिशूल पर एकाग्र होकर लगाई जाए तो यह कंपन करने लगता है l मंदिर के अंदर जाने के लिए 24 पौराणिक दरवाजे हैं l यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने यहां पर कामदेव को भस्म किया था l