वामन जयंती 2023 कब है, जानें भगवान विष्णु के वामन अवतार की यह कथा: Vamana Jayanti 2023
Vamana Jayanti 2023: पौराणिक काल में भगवान विष्णु ने सृष्टि के हित के लिए अनेकों अवतार लिए। सतयुग में मर्यादा और वचन पालन की सीख देने के लिए भगवान विष्णु ने श्री राम का अवतार लिया। द्वापर युग में श्री कृष्ण बनकर भगवान विष्णु ने कई अदभुत लीलाएं रचीं और धर्म की स्थापना की। त्रेतायुग में भगवान विष्णु, वामन देव के रूप में जन्में। इस वर्ष वामन जयंती का उत्सव मंगलवार, 26 सितंबर 2023 को मनाया जायेगा। शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान विष्णु ने भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन अवतार लिया था। श्री हरि के प्रिय भक्त प्रहलाद के पोते राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया। वामन रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि का दान लेकर राजा बलि को पाताल लोक में भेज दिया। आइए पंडित इंद्रमणि घनस्याल से भगवान विष्णु के वामन अवतार लेने की कथा के बारे जानते हैं।
राजा बलि को हुआ शक्तियों का घमंड
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि त्रेतायुग में राक्षस वंश के राजा बलि हुए थे जो बहुत अधिक शक्तिशाली और बड़े दानी थे। अपने शक्ति और पराक्रम के घमंड में आकर राजा बलि ने स्वर्ग लोक, धरती लोक और पाताल लोक पर अपना अधिकार कर लिया। तीनों लोकों का स्वामी बनने के बाद राजा बलि खुद को सबसे अधिक श्रेष्ठ और महादानी समझने लगे। राजा बलि अपने घमंड के कारण स्वर्ग लोक के देवताओं से और धरतीलोक के जीवों से बुरा व्यवहार करने लगे।
भगवान विष्णु का पांचवा अवतार थे वामन देव

भागवत पुराण में वामन देव के जन्म की कथा का वर्णन मिलता है। कथा के अनुसार, भाद्रपद महीने में अभिजीत मुहूर्त और श्रावण नक्षत्र में ऋषि कश्यप और माता अदिति के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु ने धरती लोक पर अपना पांचवा अवतार लिया। राजा बलि के अत्याचारों को रोकने और उनका घमंड तोड़ने के लिए वामन देव बने भगवान विष्णु ने एक बौने ब्राह्मण का रूप लिया और राजा बलि से तीन पग भूमि दान देने का वचन लिया।
वामन देव ने तीन पग में नाप लिए तीनों लोक
राजा बलि से वचन पाकर वामन देव ने अपना आकार बढ़ाया और अपने एक पग में स्वर्गलोक, दूसरे पग में धरती लोक को नाप लिया। वामन देव ने राजा बलि से कहा कि अब वह तीसरा पग कहां रखेंगे, तब राजा बलि को ज्ञान हुआ कि वामन देव कोई साधारण ब्राह्मण नहीं हैं। राजा बलि ने वामन देव से अपनी भूल की क्षमा मांगी और अपने वचन के पालन के लिए वामन देव से तीसरा पग अपने सिर पर रखने की विनती की। वामन देव ने राजा बलि के सिर पर तीसरा पग रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया।
वामन जयंती का महत्व
वामन जयंती के दिन भगवान विष्णु की या उनके वामन अवतार की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं। वामन जयंती के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने और दान देने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
यह भी पढ़ें: भारत में मौजूद भगवान विष्णु के इन प्रसिद्ध मंदिरों के करें दर्शन, मनोकामनाएं होंगी पूरी: Vishnu Temples In India