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धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने कौन से अवतार लिए थे, जानिए अगला जन्म कौन सा होगा: Vishnu Avatar

अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान किसी न किसी रूप में धरती पर आते रहते हैं। सतयुग से लेकर द्वापर युग तक भगवान विष्णु ने कई अवतार लिए। धरती पर बढ़ रहे पाप को खत्म करके, फिर से सतयुग की शुरुआत करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अपना 24वां अवतार लेंगे।
06:00 PM Sep 18, 2023 IST | Naveen Parmuwal
धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने कौन से अवतार लिए थे  जानिए अगला जन्म कौन सा होगा  vishnu avatar
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Vishnu Avatar: धर्मशास्त्रों में यह वर्णित किया है कि अधर्म पर धर्म की विजय के लिए भगवान रूप बदल कर मानव कल्याण के लिए धरती पर जन्म लेते रहेंगे। स्वयं श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश देते हुए अर्जुन से कहा था कि जब जब इस धरती पर पाप बढ़ेगा, तब तब वे अधर्म का नाश करने और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए धरती लोक पर आते रहेंगे। पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन के लिए 24 अवतार लेंगे। धर्मग्रंथों के अनुसार, शत्रुओं का नाश करने और मानव जाति को धर्म की शिक्षा देने के लिए भगवान विष्णु अब तक धरती पर 23 बार अवतरित हो चुके हैं। इनमें से भगवान विष्णु के 10 अवतार बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं यह अवतार कौन कौनसे थे? आइये आपको बताते हैं।

भगवान विष्णु के मुख्य अवतार

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पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं की जब सृष्टि की रचना हुई तब ब्रह्मा जी अन्य लोक बनाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने विष्णु जी की कठिन तपस्या की। ब्रह्मा जी की तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी सनक, सनंदन, सनातन, संतकुमार नाम के चार ऋषियों के रूप में प्रकट हुए। चारों ऋषि सृष्टि में ध्यान, मोक्ष, धर्म के मार्ग पर चलने वाले थे। इन चारों ऋषियों को भगवान विष्णु का प्रथम अवतार माना जाता है।

विष्णु पुराण की कथा के अनुसार, ब्रह्मा से वरदान पाकर हिरण्याक्ष नाम के राक्षस ने तीनों लोकों पर अधिकार कर पृथ्वी को छुपा दिया। सृष्टि में उत्पन्न हुए अंसतुलन को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी की नाक से वराह रूप में अपना दूसरा अवतार लिया। वराह रूप में अपने दांतों और नथुनों के सहारे भगवान विष्णु ने पृथ्वी को ढूंढा और ब्रह्मांड में स्थापित किया।

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रावण जैसे अहंकारी राक्षस का नाश करने के लिए सतयुग में विष्णु जी ने राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र प्रभु श्री राम के रूप में जन्म लिया। प्रजा के प्रति अपना राज धर्म निभाने और अपने आचरण के लिए प्रभु श्री राम को आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है।

राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यपु को ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि उसे कोई जानवर या इंसान नहीं हरा सकता था। इसी कारण हिरणयकश्यपु अहंकार में आकर स्वयं को भगवान मानने लगा और विष्णु जी के भक्त अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। अपने भक्त को बचाने के लिए विष्णु जी ने आधे मानव और आधे शेर के रूप में नृसिंह का अवतार लिया और अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यपू का अंत किया।

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धरती पर धर्म की स्थापना के लिए द्वापर युग में विष्णु जी ने मथुरा में वासुदेव जी और माता देवकी के आठवें पुत्र श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। श्री कृष्ण ने मथुरा के राजा कंस का वध कर मथुरा की प्रजा को अत्याचारों से मुक्त किया। श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता जैसा अनमोल ज्ञान देकर धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

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