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वृश्चिक राशिफल – Vrishchik Rashifal 2024 – 16 April To 23 April

12:00 AM Apr 14, 2024 IST | Reena Yadav
वृश्चिक राशिफल – vrishchik rashifal 2024 – 16 april to 23 april
Scorpio Horoscope 2024
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तो विशाखा‒1

ना, नी, नू, ने अनुराधा‒4

नो, या, यी, यू ज्येष्ठा‒2

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16 अप्रैल से 23 अप्रैल तक

दिनांक 16, 17 को समय में सुधार आएगा। आप एक बार पुनः पूरी चमक-दमक के साथ काम पर लौटेंगे। आप अपने समय का उपयोग कुछ सीखने तथा दूसरों की भलाई करने में लगाएंगे। व्यापार में लाभ होगा। शेयर बाजार में लाभ की स्थिति बनेगी। कार्यक्षेत्र में आपके प्रति लोगों का सकारात्मक रवैया रहेगा। 18, 19, 20 को समय आपके काम का हरजाने का रहेगा। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है और वह आपको मिलेगा। यदि आपने पूर्व में भी कोई मेहनत की है तो उसका फल प्राप्त करने का यही सही समय है। 21, 22, 23 को आप प्रसिद्धि प्राप्त करेंगे। आप जो भी करेंगे इसका श्रेय आपको मिलेगा। कुल मिलाकर यह पूरा सप्ताह आपके लिए शानदार रहने वाला है।

ग्रह स्थिति

मासारम्भ में चन्द्रमा धनु राशि का द्वितीय भाव में, शनि+मंगल कुम्भ राशि का चतुर्थ भाव में, सूर्य+शुक्र+राहु मीन राशि का पंचम भाव में, बुध+ बृहस्पति मेष राशि का षष्टम भाव में, केतु कन्या राशि का ग्यारहवें भाव में चलायमान है।

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वृश्चिक राशि की शुभ-अशुभ तारीख़ें

2024शुभ तारीख़ेंसावधानी रखने योग्य अशुभ तारीख़ें
जनवरी2, 3, 4, 8, 9, 12, 13,
30, 31
5, 6, 14, 15, 22,
23, 24
फरवरी4, 5, 8, 9, 26, 27, 282, 3, 11, 12, 18, 19,
20, 29
मार्च2, 3, 4, 6,7,8,24,25,
26,30,31
9, 10, 17, 18, 19,
27, 28
अप्रैल3, 4, 21, 22, 26, 27, 305, 6, 13, 14, 15, 24
मई1, 18, 19, 23,24,25,
27,28
3, 4, 11, 12, 21, 22,
30, 31
जून14, 15, 16, 20, 21,
24, 25
7, 8, 9, 17, 18, 26,
27
जुलाई11, 12, 13, 17, 18,
21, 22
4, 5, 6, 14, 15, 24,
25
अगस्त8, 9, 13, 14, 15, 17,
18, 19
1, 2, 11, 12, 20, 21,
28, 29, 30
सितम्बर4, 5, 6, 10, 11, 14, 157, 8, 16, 17, 24,
25, 26
अक्टूबर1, 2, 3, 7, 8, 11, 12,
29, 30
4, 5, 14, 15, 21,
22, 23
नवम्बर3, 4, 5, 7, 8, 9, 25,
26, 30
1, 2, 10, 11, 18, 19,
20, 28, 29
दिसम्बर1,2, 5, 6, 22, 23, 24,
28, 29
7, 8, 9, 15, 16, 17,
25, 26
वृश्चिक राशि की शुभ-अशुभ तारीख़ें

वृश्चिक राशि का वार्षिक भविष्यफल

Varschik Rashifal 2024
वृश्चिक राशि

यह साल वृश्चिक राशि के लोगों के परेशानियों से भरा हुआ रहेगा। वर्ष पर्यंत शनि का परिभ्रमण चौथे स्थान में रहेगा। शनि की ढैÕया का प्रभाव आपकी राशि पर वर्ष पर्यंत रहेगा। इस वर्ष शत्रु

जनित परेशानी वृश्चिक राशि के जातकों को रहेगी। एक ओर स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। भीषण उतार-चढ़ाव रहेंगे। साथ ही में किसी गम्भीर व घातक बीमारी के प्रति आपको आगाह करना चाहूंगा, बुरी आदतों, नशे का परित्याग कर लें। वर्ष के मध्य में मौसमी बीमारियों, सर्दी, खांसी, जुकाम, लू, दस्त आदि की संभावना व आशंका है। खान-पान का विशेष ध्यान रखें। योग, व्यायाम, प्राणायाम जैसी चीजों पर ध्यान देने के साथ-साथ दिनचर्या को व्यवस्थित रखें। काम-काज की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए पुरजोर कोशिश रहेगी, लेकिन कोशिश कोई रंग नहीं ला पायेगी। रुपयों-पैसों के मामले में किसी पर विश्वास करने से विश्वासघात ही होगा, एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखें। 1 मई तक बृहस्पति छठे स्थान में स्थित है तथा गोचर का बृहस्पति घर के किसी वरिष्ठ सदस्य

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या घनिष्ठ रिश्तेदार को लेकर चिंता की स्थिति रह सकती है। तथा उनके स्वास्थ्य के उतार-चढ़ाव को लेकर अस्पताल तक जाना पड़ सकता है। नई संभावनाओं को आप व्यापार व काम-काज में तलाशेंगे परंतु सकारात्मक सफलता आंशिक ही मिल पायेगी।

इस साल व्यापारिक अनुबंधन होंगे, कोई बड़ी डील

या करार पर आप हस्ताक्षर कर सकते हैं, परंतु सावधान बिना पढ़े किसी भी कागजाद पर हस्ताक्षर नहीं करें। व्यपार में विस्तार की योजना लंबित होगी। लाटरी, जुआ सट्टा से नुकसान के योग हैं। पैसा कहीं पर अटक जायेगा बॉस व

अधिकारी की डांट फटकार सुननी पड़ सकती है। कोई महत्वपूर्ण पदभार या महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट नौकरी में आपको सौंपा जा सकता है। लेन-देन व रुपयों-पैसों के मामले में मकर राशि के जातकों को सावधानी रखनी चाहिए। शनि चौथे स्थान में स्थित है। अतः माता के स्वास्थ्य में एक ओर जहाँ परेशानी रहेगी। वहीं सरकारी पक्ष राजकीय मामलों में परेशानी रह सकती है। आप अपनी क्षमताओं व योग्यतों का इस्तेमाल व यास-परिहास में पड़कर अपने कैरियर के साथ खिलवाड़ व समझौता नहीं करें। सम्पत्ति संबंधी जो विवाद आपका चल रहा है। उसे बातचीत के माध्यम से हल करने का प्रयास करें। इस साल वर्ष पर्यंत शनि चौथे स्थान में चलायमान रहेगें। अतः ढैÕया का प्रभाव पूरे साल भर रहेगा। परंतु 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि चौथे स्थान में वक्री रहेंगे। अतः निवेश किया हुआ। रुपया डूब सकता है, वाहन सावधानी पूर्वक चलावें, अन्यथा कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती हैं, किसी रिश्तेदार से संबंधित कोई अप्रिय समाचार भी मिल सकता है, रुपया किसी को भी उधार नहीं दें, अन्यथा आपके साथ कोई विश्वासघात या धोखा हो सकता है, काम

बनते-बनते रूक व अटक जायेंगे।

शारीरिक सुख एवं स्वास्थ्यः- इस वर्ष शारीरिक सुख में मामलों में आपकी आदतें, आपका दुव्यर्वसन आपका दुश्मन हो सकता है। बुरी आदतों, शराब, गुटका, तम्बाकु सिगरेट आदि का त्याग कर दें, अन्यथा यह आपके लिए घोर नुकसान का कारण बन सकती है। 1 मई तक छठे गुरु के कारण घर के वरिष्ठ सदस्य माता-पिता आदि का स्वास्थ्य चिंता का कारण बन सकता है। खान-पान, दिनचर्या का विशेष ध्यान रखें, 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य वाहन सावधानी पूर्वक चलावें कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। खान-पान दिनचर्या का विशेष ध्यान रखें, 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य वाहन सावधानी पूर्वक चलायें कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। पुराने रोगों से परेशानी तो रहेगी वहीं मौसमी बीमारियों से भी कष्ट रहेगा। स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए ¬मृत्युंजयाय नमः मंत्र की 51 आवृत्ति रोज करें।

व्यापार, व्यवसाय व धनः- वृश्चिक राशि के जातकों को इस साल व्यापार में किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए। रुपयों-पैसों के मामले में जिस पर भी भरोसा करेंगे, अंततः विश्वासघात ही होगा। व्यापार में इस साल उतार-चढ़ाव चलते रहेंगे। जगकर मेहनत व परिश्रम करेंगे। व्यापार में बेहतरी के लिए आप नए-नए प्रयोग करेंगे। उनका थोड़ा बहुत असर आयेगा भी, लेकिन फिर जाकर बात वहीं की वहीं रह जायेगी। व्यापार व कारोबार में आपको प्रतिद्वंदीयों व प्रतिस्पर्धियों से कड़ी चुनौती मिल सकती है। व्यापारिक विवाद संयम व धैर्य से निपटाएं। पैसा संचय नहीं हो पायेगा। धन आने से पूर्व जाने का रास्ता तैयार रहेगा। कोई बड़ी डील या बडा आर्डर आपके हाथ से निकल सकता है। भागीदार आपके काम में आपका सहयोग करेंगे, परंतु अधीनस्थ कर्मचारियों व सहकर्मियों की गतिविधियों हरकतों पर नजर रखें, वे कोई महत्वपूर्ण जानकारी लीक कर सकते हैं। जमीन, लोहे, तेल के व्यापार व कमीशन से जुड़े हुए व्यापारियों को इस साल मुनाफा हो सकता है। 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि वक्र रूप में गतिशीत होंगे। कारोबार में कुछ अप्रत्याशित खर्चे होंगे, कोई मशीनरी अचानक खराब होगी, जिससे प्रॉडक्शन प्रभावित होगा। आर्थिक मामले अटक जायेंगे। नौकरी में बॉस व अधिकारियों की डांट फटकार सुननी पड़ सकती है। इच्छा के विपरीत कार्यभार स्थानांतरण की तलवार लटकी हुई है। लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पायेंगे। शनि की शांति के उपाय आवश्यक हैं। शनि मुद्रिका धाण करें।

घर परिवार संतान व रिश्तेदारः- इस वर्ष आप यह महसूस करेंगे कि मुश्किल समय परिवार का हर व्यक्ति आपके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े हैं। वृश्चिक राशि के जातकों को इस साल भावुकता से निर्णय लेने के बचना चाहिए। दिल की बजाय दिमाग से निर्णय लें। शनि-चौथे स्थान में वर्ष पर्यंत रहेंगे। अतः जीवनसाथी से यदा-कदा छोटी-मोटी बात पर कहासुनी हो सकती है। माता का स्वास्थ्य इस साल कुछ कमजोर ही रहेगा। सम्पति व बँटवारें संबंधी विवाद तो होगा, परंतु समय रहते विवाद सुलझ भी जायेगा। पाँचवे स्थान

में राहु का वर्ष पर्यंत योग के फलस्वरूप संतान की गतिविधि, दिनचर्या व व्यवहार आपकी चिंता का कारण भी बनेगा। संतान के कैरियर, विवाह, अध्ययन को लेकर चिंता की स्थितियां हावी रहेंगी। 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि के वक्र काल में घर के किसी सदस्य को लेकर अस्पताल के चक्कर काटने पड़ सकते हैं। इतने सबके बावजूद आप किसी मुसीबत में उलझे रिश्तेदार की तरफ मदद का हाथ बढ़ायेंगे। सामाजिक कार्यों से थोड़ी दूरी बनाकर रखें, आपकी आलोचना या निंदा हो सकती है। आप पर कोई फालतू का आरोप प्रत्यारोपण लग सकता है।

विद्याध्यन पढ़ाई व कैरियरः- इस वर्ष वृश्चिक राशि के जातकों को पढ़ाई में परिणाम थोड़े कमजोर ही आयेंगे। पढ़ाई में एकाग्रचित्तता नहीं बन पायेगी। विदेश में जाकर अध्ययन करने के इच्छुक विद्यार्थियों को कागजाद, वीजा, पासपोर्ट से संबंधित परेशानी रहेगी। प्रेम-प्रसंगों व संबंधों से थोड़ी सी दूरी बनाकर रखें, अन्यथा आप अपनी पढ़ाई व कैरियर को चौपट कर सकते हैं, कैरियर व नौकरी में तयशुदा लक्ष्यों को हासिल करने का दबाव बना रहेगा। कैरियर में प्रस्ताव व ऑफर्स तो मिलेंगे, परंतु उनकी परिपक्वत्ता में कहीं न कहीं अवरोध स्पष्ट

रूप से देखा जा सकता है। कभी कभार मन में गम्भीरता व संजीदगी के साथ अध्ययन करने का भी विचार दिमाग में आयेगा। देवगुरु बृहस्पति 1 मई तक तो छठे स्थान में है, परंतु 1 मई के बाद कैरियर व अध्ययन को लेकर थोड़ी सी संजीदगी आयेगी।

प्रेम-प्रसंग व मित्रः- पचंम भाव का राहु प्रेम प्रसंग व प्रेम सम्बन्धों की स्थिति को रखेगा, परंतु कहीं न कहीं प्रेम संबंध बदनामी व अपयश का कारण बन सकते हैं। प्रेम संबंधों को आप गुप्त नहीं रख पायेंगे, उससे परिवार में तनाव का वातावरण बनेगा। विवाहोत्तर प्रेम सम्बधों से आपको बचना चाहिए। कभी कभार प्रेमी प्रेमिका के मध्य गलत फहमियों की दीवार उत्पन्न हो सकती है। जहाँ तक मित्रें का संबंध है। मित्र हर प्रकार से आपकी हर संभव सहायता के लिए तैयार व तत्पर रहेंगे। किसी पुराने मित्र से आपकी अकस्मात

मुलाकात से मन प्रसन्न होगा। हालांकि इस दौरान शत्रुओं से जरूर सावधान रहें।

वाहन, खर्च व शुभकार्यः- इस वर्ष वाहन पर बार-बार खर्चा होगा, जिससे आप परेशान हो जायेंगे। वाहन इस साल सावधानीपूर्वक चलावें, तथा वाहन चलाते समय सुरक्षा नियमों हैलमेट, सीटवेल्ट जैसे नियमों का पालन करें। भूमि, भूखण्ड, प्लॉट आदि के रख रखाव पर हुए खर्चों से आप परेशान हो जायेंगे। खर्च की इस साल प्रबलता रहेगी व 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि के वक्र काल में खर्चों की प्रबलता रहेगी, कुछ अप्रत्याशित व फिजुल के खर्चों से आपका आर्थिक बजट डावाडोल हो जायेगा। इस वर्ष किसी शुभ व महत्वपूर्ण कार्य की स्थिति नहीं न पायेगी। आसार बनेंगे, लेकिन उसमें बार-बार अवरोध भी रहेंगे।

हानि, फर्ज व अनहोनीः- व्यापार व कारोबार में इस साल हानि की नुकसान की संभावना है। व्यापार में एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखें, रुपया तो किसी को भी उधार नहीं दे अन्यथा वापस निकलवाने में आपको पसीने आ सकते हैं। इस साल शनि की ढैÕया के कारण आपको रोजमर्रा के खर्चों, बच्चों की फीस आदि के लिए भी ऋण लेना पड़ सकता है, जहाँ तक अनहोनी का प्रश्न है इस वर्ष 30 जुन से 15 नवम्बर के मध्य किसी रिश्तेदार के साथ कोई अनहोनी घटना

घटित हो सकती है।

यात्रएंः- इस साल कोई खास उल्लेखनीय उपलब्धि के

योग नहीं हैं, छोटी-मोटी यात्रएं काम-काज को लेकर होंगी, परंतु उसमें भी आपको कोई उल्लेखनीय उपलब्धि या सफलता नहीं मिल पायेगी।

रुपयों-पैसों से सम्बंधित मामलों में आपको

रुपयों-पैसों से सम्बंधित मामलों में आपको सावधान रहना चाहिए। किसी को रुपया उधार नहीं दें। आपकी बढ़ती हुई लोकप्रियता व प्रतिष्ठा आपके शत्रुओं को विचलित व डावांडोल कर सकती है।

वृश्चिक राशि की चारित्रिक विशेषताएं

आपकी राशि का स्वामी मंगल है। मंगल पुरुषार्थ व परिश्रम को परिलक्षित करता है। मंगल से प्रभावित जातक साहसी, कर्मठ, परिश्रमी व जुझारू प्रवृत्ति का होता है, ऐसा व्यक्ति परिस्थितियों की मार के सामने भी कभी नहीं झुकता है। मंगल तेजोमय व अग्नि तत्त्व प्रधान है। इसका प्राकृतिक स्वभाव दंबंग, क्रोध युक्त, दंभी, हठी, दृढ़ प्रतिज्ञ व स्पष्टवादी पुरुषों का प्रजनन है।
वृश्चिक राशि का राशि चिह्न ‘डंकदार बिच्छू’ है। बिच्छू के करीब 21 नेत्र शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों पर होते हैं। इसलिए इस राशि का जातक किसी वस्तु का समस्त अवलोकन करने के बाद विषय की बारीकी को सहज ही पकड़कर अपने काम की वस्तु उसमें से ग्रहण कर लेता है। बिच्छू बड़ा ही तेज स्वभाव का व शीघ्र डंक मारने वाला प्राणी है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की असावधानी से शीघ्र फायदा उठाने के लिए तत्पर रहते हैं। इस राशि में उत्पन्न व्यक्तियों के पूर्वार्द्ध साधारण तथा जीवन के अंतिम दिनों में भरे-पूरे व सर्व प्रभुत्व-संपन्न बन जाते हैं।
वृश्चिक राशि स्त्री जाति सूचक, जल तत्त्व प्रधान व रात्रि बली होती है। इस राशि के जातक रात्रि में अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। यदि आप क्रोधित हो जाएं, तो फिर आप क्षमा करना नहीं जानते। मन में क्रोधाग्नि भीतर-ही-भीतर धधकती रहती है। यद्यपि बाहर से ज्ञात होता है कि आप शांत हो गए, परन्तु प्रतिहिंसा की भावना आपके अंदर और भी भयानक रूप धारण कर लेती है। आप प्रतिद्वंद्वी को निर्दयता से हानि पहुंचाने की चेष्टा करते हैं। ये शत्रु को धर दबोचने वाले, झगड़ालू व उन्मत व्यवहार के व्यक्ति होते हैं।
सामान्यता इस राशि में उत्पन्न जातक स्वस्थ एवं बलवान होते हैं तथा परिश्रम एवं लगन के द्वारा अपने शुभ एवं महत्त्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करके उनमें सफलता अर्जित करते हैं। इनको विभिन्न विषयों का ज्ञान होता है तथा एक विद्वान के रूप में इनकी छवि रहती है। कुल या परिवार में ये श्रेष्ठ रहते हैं तथा मित्र एवं बंधु वर्ग के मध्य सम्माननीय रहते हैं। आत्मशक्ति की इनमें प्रबलता रहती है। इनकी महत्त्वाकांक्षा भी तीव्र होती है। धन-संग्रह के प्रति इनकी रुचि रहती है तथा धनार्जन में नैतिक सीमा का अनुपालन कम ही करते हैं। इनमें अल्प भावुकता रहती है तथा बुद्धि के द्वारा ही अधिकांश कार्यों को संपन्न करते हैं, साथ ही विज्ञान एवं गणित के क्षेत्र में ये ख्याति अर्जित करते हैं।
अतः इसके प्रभाव से आप स्वस्थ एवं बलवान पुरुष होंगे तथा स्वपराक्रम एवं परिश्रम से सांसारिक कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे। इससे आपके उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे तथा जीवन में धनैश्वर्य, वैभव एवं सुख-संसाधनों को अर्जित करके सुखपूर्वक इनका उपभोग करेंगे। आप में निर्भयता तथा लग्नशीलता का भाव भी विद्यमान होगा। फलतः कार्यक्षेत्र में प्रभावशाली होंगे तथा उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होंगे।
आप एक महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति होंगे तथा अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए सर्वदा प्रयत्नशील रहेंगे। धन-संग्रह के प्रति भी आपकी रुचि रहेगी, परन्तु इससे आपके समीपस्थ लोग यदा-कदा असुविधा की अनुभूति करेंगे। भावुकता से आप जीवन में कम ही कार्य करेंगे, फलतः प्रसन्नतापूर्वक अपना समय व्यतीत करेंगे।
आप एक सहनशील स्वभाव के व्यक्ति होंगे तथा धैर्यपूर्वक अपने सांसारिक कार्यकलापों को सम्पन्न करके उनमें वांछित सफलता प्राप्त करेंगे। सरकार या उच्चाधिकारी वर्ग से आप नित्य आर्थिक लाभ अर्जित करेंगे तथा इनसे आपको सहयोग भी मिलता रहेगा, जिससे आपके अन्य कार्य भी यथासमय सिद्ध होंगे।
आपके स्वभाव में दया एवं उदारता का भाव भी विद्यमान होगा तथा अवसरानुकूल अन्य जनों को सुख-दुःख में सेवा तथा सहयोग प्रदान करेंगे। इससे अन्य लोग आपसे प्रसन्न तथा संतुष्ट रहेंगे। साथ ही सत्कर्मों को करने में आपकी रुचि रहेगी तथा यत्नपूर्वक उन्हें सम्पन्न करके मान-सम्मान एवं यश में अभिवृद्धि करेंगे।
धनैश्वर्य एवं भौतिक सुखों के प्रति आपके मन में तीव्र लालसा रहेगी तथा इनकी प्राप्ति में आप अत्यधिक परिश्रम एवं पराक्रम का प्रदर्शन करेंगे।
धर्म के प्रति आपके मन में श्रद्धा रहेगी तथा समय-समय पर धार्मिक कार्यकलापों या तीर्थ-यात्राओं को मानसिक शांति के लिए सम्पन्न करेंगे। मित्र वर्ग में भी आप श्रेष्ठ एवं आदरणीय रहेंगे तथा उनसे इच्छित लाभ एवं सहयोग प्राप्त करेंगे। इस प्रकार आप परिश्रमी, संग्रहकर्ता एवं महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति होंगे तथा धनैश्वर्य से युक्त होकर अपना समय व्यतीत करेंगे।
यदि आपका जन्म वृश्चिक राशि ‘विशाखा नक्षत्र’ के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपका नाम ‘तो’ अक्षर पर है, तो आपका जन्म 16 वर्षों वाली बृहस्पति की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-व्याघ्र, गण-राक्षस, वर्ण-शूद्र, युज्जा-मध्य, हंसक-वायु, नाड़ी-अन्त्य, वश्य-द्विपद, पाया-तांबा, वर्ग-सर्प है। विशाखा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति सौम्य होते हैं तथा अपने शत्रुओं का सफाया बड़ी चतुरता से करते हैं।
यदि आपका जन्म वृश्चिक राशि ‘अनुराधा नक्षत्र’
(ना, नी, नू, ने) में है, तो आपका जन्म 19 वर्ष वाली शनि की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-मृग, गण-देव, वर्ण-विप्र, युज्जा-मध्य, हंसक-जल, नाड़ी-आद्य, पाया-तांबा, योनि-सर्प है। अनुराधा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति गुप्त व्यसनों के आदी होते हैं। फिर भी अपने बुद्धि-चातुर्य से बहुत अधिक धन अर्जित करते हैं।
यदि आपका जन्म वृश्चिक राशि ‘ज्येष्ठ नक्षत्र’ (नो, या, यी, यू) में है, तो आपका जन्म 17 वर्ष वाली बुध की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-मृग, गण-राक्षस, वर्ण-विप्र, युज्जा-अन्त्य, हंसक-जल, नाड़ी-आद्य, पाया-तांबा, योनि प्रथम चरण की-सर्प एवं बाकी तीनों चरण की-हिरण है। ज्येष्ठ नक्षत्र को ‘गण्डमूल’ कहा गया है। इसमें जन्मे व्यक्ति बहुत तेजस्वी तथा अत्यधिक पराक्रमी होते हैं।
बिच्छू की आयु कम होती है, अतः वृश्चिक राशि वाले अल्पायु को प्राप्त होते देखे गए हैं। अचानक आक्रमण, दुर्घटना तथा घटनाचक्र के मोड़ से यह शीघ्र ही काबू में आ जाते हैं। इनको प्रायः तिक्त (खट्टा) स्वाद पसंद होता है तथा खाना खाते वक्त नींबू का प्रयोग ज़्यादा करते हैं।

वृश्चिक राशि वालों के लिए उपाय

4 1/4 रत्ती का मूंगा ‘मंगल यंत्र’ से जड़वाकर धारण करें। बंदरों को भोजन व फल खिलाएं। मंगलवार को हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। ताम्रपात्र में रात्रि में जल भरकर रखें व प्रातःकाल उस जल को पिएं। लाल रंग का सुगन्धित रुमाल पास में रखें।

वृश्चिक राशि की प्रमुख विशेषताएं

  1. राशि ‒ वृश्चिक
    1. राशि चिह्न ‒ बिच्छू
    2. राशि स्वामी ‒ मंगल
    3. राशि तत्त्व ‒ जल-तत्त्व
    4. राशि स्वरूप ‒ स्थिर
    5. राशि दिशा ‒ उत्तर
    6. राशि लिंग व गुण ‒ स्त्री
    7. राशि जाति ‒ ब्राह्मण
    8. राशि प्रकृति व स्वभाव ‒ सौम्य स्वभाव, कफ प्रकृति
    9. राशि का अंग ‒ पीठ (गुदा)
    10. अनुकूल रंग ‒ लाल
    11. शुभ दिवस ‒ मंगलवार
    12. अनुकूल देवता ‒ शिवजी, भैरव, हनुमान
    13. व्रत, उपवास ‒ मंगलवार
    14. अनुकूल रत्न ‒ मूंगा
    15. अनुकूल उपरत्न ‒ तामड़ा
    16. अनुकूल धातु ‒ तांबा
    17. अनुकूल अंक ‒ 9
    18. अनुकूल तारीखें ‒ 9/18/27
    19. मित्र राशियां ‒ कर्क, मीन
    20. शत्रु राशियां ‒ मेष, सिंह, धनु
    21. व्यक्तित्व ‒ कानूनबाज, गणक, संत, समीक्षक
    22. सकारात्मक तथ्य ‒ बुद्धिमान, निडर, प्रकृति प्रेमी
    23. नकारात्मक तथ्य ‒ ईर्ष्यालु प्रवृत्ति
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