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मेंढकों की शादी, मानसून को रिझाने का अनूठा रिवाज, जानें कैसी है ये परंपरा: Frog Marriage Story

02:21 PM Jun 03, 2024 IST | Ayushi Jain
मेंढकों की शादी  मानसून को रिझाने का अनूठा रिवाज  जानें कैसी है ये परंपरा  frog marriage story
Frog Marriage Story
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Frog Marriage Story: भारत में जलवायु अलग-अलग तरह की होती है, और गर्मी के मौसम में होने वाली मानसून की बारिश खेती के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन सोचिए अगर एक साल तक बारिश ना हो तो क्या होगा? भारत एक ऐसा देश है जहाँ ज्यादातर लोग खेती करके अपना जीवन चलाते हैं। बारिश ना होने से सूखा जैसी भयानक समस्या पैदा हो सकती है, यहाँ तक कि अकाल भी आ सकता है, जिससे लाखों लोगों का जीवन प्रभावित होगा। यह जानकर दुख होता है कि आज भी कई किसान बारिश ना होने की वजह से सूखे का सामना करते हैं और मजबूर होकर अपनी जान दे देते हैं।

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अजीबोगरीब परंपरा

किसानों के लिए बारिश उनकी रोजी-रोटी का आधार है। अच्छी बारिश होने से ही उनकी फसलें अच्छी होती हैं और उन्हें अच्छा मुनाफा होता है। लेकिन अगर बारिश ना हो तो सूखा पड़ जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। इसलिए, लोगों ने बारिश कराने के लिए कई तरह के रिवाज और परंपराएं बनाई हैं। इनमें से कुछ परंपराएं थोड़ी अजीब भी लग सकती हैं, जैसे कि लोहे की कांटों पर लटकना या फिर बारिश के देवता का ध्यान खींचने के लिए सारे कपड़े उतार देना।

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मेंढक की शादी

भारत में, मेढकों की शादी एक खास परंपरा है जो बारिश के देवता से बारिश मांगने के लिए की जाती है। यह बिल्कुल एक हिंदू शादी की तरह ही होती है, बस इसमें दो मेढक दूल्हा-दुल्हन होते हैं। यह माना जाता है कि मेढकों की शादी करने से बारिश के देवता खुश होते हैं और धरती पर अच्छी बारिश होती है। यह परंपरा सैकड़ों सालों पुरानी है और मान्यता है कि इससे इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और अच्छी बारिश होती है । मेंढकों को गांव वाले दूल्हा और दुल्हन की तरह सजाते हैं । उन्हें हल्दी भी लगाई जाती है और फिर मिलन की रस्म अदा की जाती है । इसके बाद मेंढकों को किसी जलाशय में छोड़ दिया जाता है । यह परंपरा केवल एक मनोरंजन ही नहीं है बल्कि इसके पीछे एक गहरा संदेश भी छुपा है । गांव वाले इस परंपरा के माध्यम से प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं और इस धरती पर जीवन देने वाले पानी का महत्व समझते हैं ।

मेढंक और बारिश का क्या रिश्ता है

असम में एक कहानी है कि किसानों ने एक बार बादलों से पूछा कि बारिश क्यों नहीं हो रही है। तब बादलों ने जवाब दिया कि वो इंतजार कर रहे हैं, मेंढकों के टर-टराने का। दरअसल, मानसून आने पर ही मेंढक टर-टराते हैं, इसलिए उनकी आवाज बारिश की पहचान बन गई। यही वजह है कि मेंढक और बारिश का इतना गहरा रिश्ता माना जाता है। दक्षिण भारत में भी कुछ ऐसा ही रिवाज है। वहाँ "मंडूक परिणय" नाम की परंपरा है, जहाँ दो मेढकों की शादी कराई जाती है। लोगों का मानना है कि इससे बारिश के देवता इंद्र खुश होते हैं और अच्छी बारिश देते हैं। भले ही ये कहानियाँ और परंपराएं अलग-अलग जगहों की हों, ये सब प्रकृति के लिए हमारे सम्मान को दिखाती हैं। ये हमें बताती हैं कि प्रकृति के साथ मिलकर रहना कितना ज़रूरी है।

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