क्या है बांझपन की असल वजहें: Reasons of Infertility
Reasons of Infertility: शादी के बाद तुरंत बेबी प्लानिंग ज़्यादातर दंपति करना चाहते हैं, लेकिन अपने कामकाज के टाइट शेड्यूल के चलते एक-दूसरे को बहुत कम वक्त दे पाते हैं, जो गर्भधारण के रास्ते में बड़ी बाधा है। माता-पिता बनना स्त्री और पुरुष दोनों के लिए वयस्क जीवन में आने वाले प्रमुख बदलावों में से एक है। आज की तेज़ी से भागती ज़िंदगी में बांझपन को समाज में एक सर्वोपरि समस्या माना जाता है और अनुमानित 10-12 प्रतिशत भारतीय जोड़े मां-बाप बनने की उम्र में इस समस्या का सामना कर रहे हैं।
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भागदौड़ भरी ज़िंदगी
अध्ययनों से पता चला है कि देश में 27-30 मिलियन जोड़े स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि बांझपन का कारण एक अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति हो सकती है, लेकिन प्रजनन विशेषज्ञों का मानना है कि बांझपन के शिकार जोड़ों की जीवनशैली में ही उनकी इस समस्या का कारण छिपा है।
कैसे प्रभावित होती है प्रजनन क्षमता
सच्चाई यह है कि मानव शरीर अत्यधिक तनाव के दौरान होने वाले गर्भाधान को रोकने में सक्षम है। लगातार बढ़ते तनाव के कारण शरीर में मौजूद हार्मोन्स के ज़रिये प्रजनन प्रणाली पर यही प्रभाव पड़ता है कि गर्भधारण के लिए यह स्थिति आदर्श नहीं है। एड्रेनालाइन हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का उपयोग करने से महिलाओं को रोकता है, जो फर्टिलिटी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पिट्यूटरी ग्रंथि से उच्च स्तर पर प्रोलैक्टिन छोड़ने का भी कारण बनता है, जिससे बांझपन की आशंका उत्पन्न होती है।
संतानविहीन दंपति अधिक तनावग्रस्त
अध्ययनों से यह साबित हो गया है कि संतानविहीन दंपति अधिक तनाव में रहते हैं। बांझपन के कारण वे भावनात्मक अशांति में डूब जाते हैं, जिससे उनके बीच तनाव बढ़ने लगता है। साथ ही उन्हें सामाजिक भेदभाव और पारिवारिक दबाव आदि का सामना भी करना पडता है। समझदारी की कमी के कारण बांझपन की उपचार संबंधी विधियों जैसे आईयूआईए आईवीएफ इत्यादि का भी पूरा फायदा नहीं मिल पाता है।
महिलाओं और पुरुषों में तनाव
महिलाओं में उच्च तनाव अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) में रुकावट पैदा कर सकता है और इसका पता तब चलता है, जब उनका मासिक धर्म अनियमित हो जाता है। जब ओव्यूलेशन (अंडाशय से एक परिपक्व अंडे का जारी होना) नहीं होता है तो एक महिला का गर्भधारण करना असंभव हो जाता है। पुरुषों में भी तनाव के उच्च स्तर के कारण हार्मोन संबंधी बदलावों की वजह से टेस्टोस्टेरोन कम मात्रा में रिलीज़ होता है और इस कारण कामेच्छा का अभाव, स्पंदन का न होना और शुक्राणुओं की मात्रा तथा गुणवत्ता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो बाद में उनके प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
गर्भधारण के पीछे का विज्ञान
जब दंपति खुशी और आराम से हों और वे अच्छा महसूस कर रहे होते हैं तो गर्भधारण की अधिक संभावना होती है, लेकिन ऐसा उन दिनों में नहीं होता, जब दंपती तनाव, उत्तेजना या चिंता का अनुभव करते हैं
मानसिक तनाव का सामना कैसे करें
आधुनिक कामकाजी जीवन में लोगों के पास वक्त की बहुत कमी है और थोड़े वक्त में उन्हें अधिक काम करना होता है। पुरुष और महिलाएं लगातार दबाव का सामना कर रहे हैं। उनके पास नियमित रूप से व्यायाम करने या स्वास्थ्यवर्धक भोजन तैयार करने के लिए भी समय नहीं है। हालांकि वे इस सच्चाई से भी वाकिफ हैं कि एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए किए गए लगातार प्रयासों से अनेक फायदे होते हैं और इससे जिंदगी और बेहतर होती है। बिगड़ती जीवनशैली, मानसिक तनाव, थकान के अलावा और भी बहुत सी शारीरिक वजहें हैं, जिनसे फर्टिलिटी बढ़ती जा रही है।
पीरियड की समस्या होने पर
जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड की समस्या होती है, उनकी ओवरीज़ में एग्स ठीक से नहीं बन पाते, जिसकी वजह से महिला गर्भ धारण नहीं कर पाती।
फेलोपियन ट्यूब्स में दिक्कत होने पर
महिलाओं के गर्भाशय में फेलोपियन ट्यूब्स होती हैं, जो प्रेगनेंसी के लिए एक महत्वपूर्ण अंग है। कई बार ये ट्यूब्स ठीक से काम नहीं करतीं या फिर बीमारी की वजह से ट्यूब निकाल दी जाती है, जिसकी वजह से वे कभी मां नहीं बन सकतीं। अगर ये भी खराब हो जाएं तो महिला के गर्भाशय में बच्चा नहीं ठहर पाता है, जिसके कारण बांझपन जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।
ज्यादा उम्र होने के कारण
देर से शादी होने की वजह से ज्यादा उम्र में मां-बाप बनने की प्रक्रिया में परेशानी होती है। 35 के बाद मां बनने के बारे में प्लानिंग करने से कई बार अंडे से पुरुष के शुक्राणु से मिलने वाली निषेचन प्रक्रिया नहीं हो पाती है, जिसके कारण महिला मां बनने के सुख से वंचित रह जाती है। इससे भी बांझपन जैसी समस्या खड़ी हो जाती है।
पुरुषों की समस्या
पुरुष संबंधी कोई समस्या होने पर भी बच्चा नहीं होता। ऐसे में ज़रूरी होता है कि पुरुष भी डॉक्टर से पूर्ण रूप से अपनी जांच करवाएं। ऐसा करने से आपको असली परेशानी का पता चलेगा और आप इस समस्या का समाधान भी कर पाएंगे। तनाव का स्तर कम रखने में मददगार कुछ सुझाव यहां दिए जा रहे हैं, ताकि प्रजनन क्षमता को बरकरार रखा जा सके-
मनपसंंद गतिविधियां चुनें
हफ्ते के अधिकांश दिनों में कम-से-कम 30 मिनट के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। समय की कमी हो तो इसे 10-10 मिनट के तीन सत्रों में बांट लें। सक्रिय गतिविधियों में चलना, खेल, नृत्य, योग, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी या अन्य ऐसी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं, जो आपको पसंद हों।
नियमित व्यायाम
नियमित तौर पर व्यायाम करने से मांसपेशियां मज़बूत होती हैं, ताकत बढ़ती है, लचीलापन बढ़ता है और इससे अवसाद और चिंता को रोकने में भी मदद मिलती है। साथ ही, शरीर को अतिरिक्त हार्मोन और विषाक्त पदार्थों से भी मुक्ति मिलती है। स्वस्थ गर्भावस्था की तैयारी के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक होता है।
मन को आराम दें
अपने मन और शरीर को आराम दें। जब कभी आप तनाव का अनुभव करें तो अपने काम से विराम लें और एक झपकी लें, मेडिटेशन करें या गहरी सांस लें। लगातार काम करने से तनाव हो सकता है, इसलिए ब्रेक लें और खुद से जुड़ें। इस तरह आप शांत रहेंगे और अपने-आपको बेहतर महसूस करेंगे। शांत मनोमास्तिष्क का प्रभाव शरीर के प्रत्येक भाग पर पड़ता है, इसलिए इस समाधान से गर्भधान की समस्या भी सुलझ सकती है।
कारगर हैं ये योग
पद्मासन : यह बहुत ही आरामदायक मुद्रा है, जो हार्मोन को संतुलित रखती है। इसे नियमित करना लाभप्रद होगा।
धनुरासन : यह आसन शरीर को रिलैक्स रखता है। महिलाओं के अंगों में रक्त का संचार सही रखता है, जो बांझपन से पीड़ित महिलाओं के लिए अच्छा है।
वज्रासन : यह योगासन गुप्तांगों में रक्त संचार की कमी को दूर करता है।
(नोवा आईवीआई फर्टिलिटी, नई दिल्ली की फैकेल्टी कंसल्टेंट डॉ. पारुल कटियार से बातचीत पर आधारित)