क्या है नाभि पूरण, जानिए उससे मिलने वाले लाभ: Nabhi Purana
Nabhi Purana: आयुर्वेद में सेहत से जुड़े कई उपायों के बारे में बताया गया है। उन्हीं में से एक है नाभि पूरण, जिसको करने से हमारे शरीर को कई लाभ मिलते हैं। सिर से लेकर पैर तक के कई रोगों में आपको ये आयुर्वेदिक प्रक्रिया लाभदायक सिद्ध होती है। हर आयुर्वेदिक प्रक्रिया को करने का एक तरीका और नियम है। हम इस लेख में आपको नाभि पूरण प्रक्रिया को करने का तरीका और इसको करने के क्या लाभ होते है, की जानकारी देंगे।
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क्या है नाभि पूरण
नाभि पूरण नाभि में तेल डालने की एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है। आयुर्वेदिक के मुताबिक, हमारा नाभि भाग (नेवल) शरीर की सम्पूर्ण ऊर्जा का केंद्र होता है। व्यक्ति के शरीर का नाभि भाग करीब 72 हज़ार नाड़ियों को एक-दूसरे से जोड़ता है। साथ ही शरीर के अलग-अलग सिस्टम के बीच तालमेल बैठाने में मदद करता है। हमारी नेवल शरीर में प्राणशक्ति को भी संतुलित रखती है। प्राणशक्ति हमारे इस शरीर का आधार है। ऐसे में अगर नाभि पूरण किया जाए तो हमारी सेहत में सुधार होता रहेगा।
नाभि पूरण से मिलने वाले फायदे
पाचन को बनाए बेहतर: हमारे अंदर मौजूद पाचन अग्नि का संतुलन बना रहता है, जिस वजह से हमें पाचन सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती।
तनाव करे कम: नाभि में तेल लगाने से हमारा नर्वस सिस्टम रिलैक्स रहता है, जिन लोगों को तनाव और एंजायटी रहती है या नींद ठीक से नहीं आती तो ऐसे लोगों को भी नाभि में तेल लगाना चाहिए।
बढ़ती है इम्युनिटी: नाभि में तेल लगाने से प्राण शक्ति मजबूत होती है, ऐसे में आपकी इम्युनिटी बढ़ेगी। और जिन लोगों को बढ़ते मौसम के साथ बीमारियां जकड़ लेती हैं उन्हें भी इस प्रक्रिया को जरूर करना चाहिए।
हार्मोन्स करे संतुलित: आजकल बढ़ती उम्र के लोगों में ये समस्या अधिक देखी जाती है ऐसे अगर वह नाभि में तेल लगाते हैं तो उन्हें हार्मोन्स संतुलित करने में मदद मिलेगी। लड़कियों में पीरियड्स सम्बन्धी समस्याओं को भी ये प्रक्रिया कम करने में मदद करती है।
त्वचा को बनाए स्वस्थ: नाभि पूरण से त्वचा पर पड़ने वाली झाइयां, दाग-धब्बे, रूखेपन और होठ फटने की समस्याएं कम होती हैं। साथ ही त्वचा स्वस्थ बनती है।
दर्द करे दूर: अगर आपको क्रोनिक दर्द की शिकायत है, जैसे-हड्डियों में दर्द, कंधे या कमर में दर्द या पीरियड्स के दौरान दर्द तो आपको नाभि पूरण करने से राहत मिलती है।
कौनसा तेल करें इस्तेमाल
बादाम या तिल का तेल-इस तेल का इस्तेमाल उन लोगों को करना चाहिए जिन लोगों के शरीर में वात दोष है। ऐसे लोगों की त्वचा बहुत अधिक रूखी रहती है। साथ ही इन लोगों में एंजायटी, घबराहट की शिकायत अक्सर रहती है। इसके अलावा इनमें पाचन सम्बन्धी समस्याएं बनी रहती हैं।
नारियल तेल या देसी घी: जिन लोगों में पित्त दोष है उन्हें नारियल तेल या देसी घी का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे लोगों का मिजाज बहुत ज्यादा गर्म रहता है। जिन लोगों में पित्त बढ़ा रहता है उनकी त्वचा पर रैशेज और दाने होते हैं। साथ ही इन्हें एसिडिटी की भी अधिक समस्या रहती है।
सूरजमुखी का तेल या सरसों का तेल: जिन लोगों में कफ दोष है उन्हें इस तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। कफ दोष वाले लोगों में बलगम अधिक बनता है, ये सुस्त रहते हैं और इसका पाचनतंत्र कमजोर होता है।
कैसे करें नाभि पूरण
- सबसे पहले आपने जो तेल लिया है उसको गर्म करें। तेल को कभी भी सीधा आग पर गर्म न करें। बल्कि एक बर्तन में पानी लें और उसको गैस पर तब तक गर्म करें जब तक वो उबल न जाए। अब उस उबले हुए पानी पर कटोरी में तेल को गर्म करें।
- अब एक समतल जगह पर लेट जाएं।
- अब आपको अपनी तर्जनी उंगली की मदद से नाभि के अंदर भाग से बाहर की तरफ क्लॉक वाइस तरीके से तेल लगाते हुए 5 से 6 मिनट तक मसाज करें। आपको नाभि के अंदर भाग से बाहर की तरफ उंगली घुमाते हुए तेल लगाना है।
- अब 5 मिनट तक उसको ऐसे ही छोड़ने के बाद किसी कपड़े की मदद से साफ कर लें।
- नाभि पूरण दिन में एक बार ही करना होता है। और इसको करने का सही समय सुबह और रात है।
किन लोगों को नहीं करना चाहिए नाभि पूरण
आयुर्वेदिक होने के बावजूद कई लोगों को नाभि पूरण नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को पेट से सम्बंधित कोई बीमारी हो जैसे-अम्बलाइकल हर्निया, पेट में अल्सर, आंतों में गांठ, पेट में बंद और पथरी हो तो उन्हें नाभि पूरण नहीं करना चाहिए।