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पुरुषों को क्यों नहीं दिया जाता है गणगौर का प्रसाद? जानें क्या है इसके पीछे की कहानी: Gangaur Vrat 2024

05:53 PM Apr 10, 2024 IST | Ayushi Jain
पुरुषों को क्यों नहीं दिया जाता है गणगौर का प्रसाद  जानें क्या है इसके पीछे की कहानी  gangaur vrat 2024
Ganaur Vrat 2024
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Gangaur Vrat 2024: गणगौर व्रत महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह व्रत न सिर्फ महिलाओं द्वारा बल्कि कुंवारी लड़कियों द्वारा भी रखा जाता है।सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती है तो वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे वर प्राप्ति के लिए गणगौर का व्रत रखती है। गणगौर को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। हर साल चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्यौहार मनाया जाता है। गणगौर को सौभाग्य व सुख प्राप्ति का त्योहार माना जाता है। ईसर गणगौर का पूजन करने से कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर तथा नवविवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती है।

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16 दिन से 18 दिन तक मनाया जाता है गणगौर का त्यौहार

गणगौर का त्यौहार वैसे तो 16 दिन तक मनाया जाता है, लेकिन कहीं कहीं जगह यह त्यौहार 18 दिन तक भी मनाया जाता है। यह त्यौहार हर महिला और लड़की के लिए महत्वपूर्ण होता है लेकिन नवविवाहित महिलाओं के लिए यह त्यौहार और भी ज्यादा खास होता है। वैसे तो देश भर के अलग-अलग कोनों में गणगौर की अलग ही धूम देखने को मिलती है। लेकिन राजस्थान में इस त्यौहार की रौनक सबसे ज्यादा अनोखी होती है। महिलाओं और कुंवारी लड़कियों में इस त्यौहार को लेकर अलग ही उत्साह और उल्लास देखने को मिलता है। होली के दूसरे दिन से ही गणगौर त्यौहार की तैयारी शुरू हो जाती है।

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गणगौर पूजा विधि

गणगौर व्रत का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होता है। इस दिन महिलाएं मिट्टी से गौरी माता और ईसर की प्रतिमा बनाती हैं। बैंड बाजे और नाच गाने के साथ ईसर और गणगौर माता की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पूजा सामग्री में कलश, सुपारी, लाल चुनरी, मेहंदी, फूल, फूल, मिठाई, धूप, दीप आदि शामिल होते हैं। महिलाएं 16 दिन तक रोजाना ताजी दूर्वा लेकर आती हैं और मिट्टी से बने ईसर और गणगौर को दूर्वा की मदद से जल का अभिषेक करती हैं। मिट्टी की प्रतिमा को रोजाना नए वस्त्र पहनाकर श्रृंगार किया जाता है और फूल चढ़ाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद गौरी माता और भगवान शिव की कथा सुनी जाती है। फिर प्रसाद सभी महिलाओं में वितरित किया जाता है। 16 दिन तक इसी प्रकार विधि विधान से ईसर और गणगौर की पूजा की जाती है। 16वें दिन शाम को नाच गाने के साथ गणगौर की शाही सवारी निकाली जाती है। इसके बाद सूर्यास्त के समय मिट्टी से बने ईसर और गणगौर को तालाब में बहा दिया जाता है।

पुरुषों को क्यों नहीं दिया जाता है गणगौर का प्रसाद

गणगौर को महिलाओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह त्यौहार पति की लंबी उम्र और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। प्रसाद को गणगौर की पूजन का फल माना जाता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है की गणगौर का प्रसाद ग्रहण करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को ही है। इसलिए गणगौर का प्रसाद महिलाओं और लड़कियों द्वारा ही ग्रहण किया जाता है। पुरुषों को यह प्रसाद लेने और खाने की मनाही की जाती है।

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