जानें क्यों नंदी के कान में लोग बोलते हैं अपनी मुराद
Why People Speak Their Wishes To Nandi- आपने अक्सर देखा होगा कि शिव मंदिरों में लोग भगवान शिव के सामने विराजमान नंदी के कान में कुछ कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर लोग ऐसा क्यों करते है। नंदी को भगवान शिव का वाहक कहा जाता है जो उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का काम करते हैं। इसलिए भक्तों का मानना है कि अपनी बात यदि नंदी तक पहुंचा दी जाए तो वह आसानी से उनकी बात भगवान शिव तक पहुंचा देंगे। जिस प्रकार भगवान शिव के दर्शन और पूजन का महत्व है, उसी प्रकार नंदी का दर्शन भी जरूरी होता है। चलिए जानते हैं आखिर नंदी के कान में क्यों अपनी मनोकामना कही जाती है।
क्यों कहते हैं नंदी के कान में मनोकामना

माना जाता है कि शिवजी अधिकतर समय तपस्या में लीन रहते हैं, उनकी तपस्या में विघ्न न पड़े इसलिए नंदीजी हमेशा उनकी सेवा में तैनात रहते हैं। जो भी भक्त भगवान शिव के पास अपनी समस्या या मनोकामना लेकर आते हैं, नंदी उन्हें वहीं रोक लेते हैं। शिवजी की तपस्या भंग न हो इसलिए नंदी भक्तगणों की बात सुन लेते हैं और शिवजी तक पहुंचा देते हैं। यही वजह है कि लोग नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया था कि जो तुम्हारे कान में आकर अपने दिल की बात कहेगा, उस व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होंगी।
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क्या है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार जब श्रीलाद मुनि ने ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तप में जीवन व्यतीत करने का फैसला लिया था। इससे उनके पिता को वंश समाप्त होने की चिंता सताने लगी। उन्होंने अपने पुत्र श्रीलाद से इस विषय में बात की लेकिन उन्होंने गृहस्थ आश्रम को अपनाने से इंकार कर दिया। तब उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या कर जन्म और मृत्यु के बंधन से हीन पुत्र का वरदान मांगा। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश होकर उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। कुछ समय बाद भूमि जोतते वक्त श्रीलाद को एक बालक मिला, जिसका नाम उन्होंने नंदी रखा। अब उसको बड़ा होते देख भगवान शिव ने मित्र और वरुण नाम के दो मुनि श्रीलाद के आश्रम में भेजे। जिन्होंने नंदी को देखकर भविष्यवाणी की कि वह अल्पायु है।
जब नंदी को यह मालूम हुआ कि वह अल्पायु है तो वो महादेव की आराधना करने के लिए वन चला गया। उसके कठोर तप को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि वत्स नंदी तुम मृत्यु और भय से मुक्त अजर और अमर हो। भगवान शिव ने समस्त गणों, गणेश और वेदों के समक्ष गणों के अधिपति के रूप में नंदी का अभिषेक करवाया। इस प्रकार नंदी, नंदेश्वर हो गए। भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी विराजमान होंगे। तभी से हर मंदिर में भगवान शिव के साथ नंदी की स्थापना की जाती है।
क्या है नंदी के कान में मनोकामना करने का नियम

- नंदी के कान में अपनी मुराद या मनोकामना कहने से पहले उनका पूजन करना जरूरी है। भगवान शिव की तरह उन्हें भी बराबरी का सम्मान देना चाहिए।
- वैसे तो मनोकामना किसी भी कान में कह सकते हैं लेकिन नंदी के बांए काम में मनोकामना कहने का अधिक महत्व होता है।
- कान में अपनी मुराद कहते समय ध्यान रखें कि आपकी बात कोई दूसरा न सुने। मनोकामना बहुत धीमी आवाज में कही जानी चाहिए।
- मनोकामना बोलते समय अपने होंठो को दोनों हाथों से ढंक लें ताकि आपकी बात को कोई सुन और समझ न पाए।
- नंदी के काम में किसी भी व्यक्ति या चीज की बुराई न करें। साथ ही किसी के लिए बुरा न मांगें।
- अपनी मनोकामना कहने के बाद नंदी के सामने कुछ भेंट अर्पित करना चाहिए। फल, मिठाई, फूल या धन।
- मनोकामना बोलने के बाद अवश्य कहें- नंदी महाराज हमारी मनोकामना पूरी करो।
- ऐसा करने से नंदी खुश होंगे और आपकी बात जल्द शिवजी तक पहुंचाएंगे।