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अस्थि क्षरण से बचाव के लिए करें ये व्यायाम: World Osteoporosis Day 2022

09:00 PM Oct 19, 2022 IST | Rajni Arora
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World Osteoporosis Day 2022: बढ़ती उम्र में महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिनमें से एक है-अस्थि क्षरण। मेडिकल भाषा में इसे ऑस्टियोपोरोसिस भी कहा जाता है। भारतीय महिलाओं में बहुधा कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी मिलती है। जिसकी वजह से साइलेंट किलर की तरह उनकी हड्डियों का घनत्व (बोन मिनरल्स डेंसिटी) कम होने लगता है, हड्डियां धीरे-धीरे घिसने और कमजोर होने लगती हैं। मेनोपाॅज के बाद अमूमन 50-55 साल की उम्र के बाद यह अस्थि क्षरण काफी बढ़ जाता है और घातक साबित हो सकता हैै। हड्डियों और आसपास की मांसपेशियों में लगातार दर्द रहता है जिससे उनका चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। गिरने या मामूली-सी चोट लगने पर फ्रैक्चर हो सकता है। कई मामलों में घनत्व इतना कम हो जाता है कि हड्डियां अपने आप टूटने लगती हैं और हड्डियों में आई विकृति विकलांगता का रूप ले लेती है।  

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डब्ल्यूएचओ के अनुसार आज हर दस में से लगभग चार महिलाएं अस्थि क्षरण की समस्याओं से जूझ रही हैं। अस्थि क्षरण एक धीमी प्रक्रिया है। हड्डियां रातोेंरात कमजोर नहीं होती, यह प्रक्रिया सालोंसाल चलती है। 25-30 साल की उम्र तक महिलाओं की हड्डियों का द्रव्यमान (मास) पूरी तरह विकसित हो जाता है जो हड्डियों के अंदरूनी टिशूज से बनता है। ये टिशूज प्रोटीन, कैल्शियम जैसे मिनरल्स को अवशोषित करते हैं और हड्डियों को घनत्व (बोन मिनरल्स डेंसिटी) प्रदान करते हैं। 30 साल के बाद अंदरूनी टिशूज के निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और 55 साल तक ये टिशूज धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं। हड्डियां में कैल्शियम का अवशोषण कम होने से उनके घनत्व में कमी आ जाती है और कमजोर हो जाती हैं।

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क्या है कारण?  

what is the reason

डाॅक्टरों के हिसाब से बचपन और युवावस्था खान-पान, पोषण, जीवनशैली और व्यायाम आगे चलकर हड्डियों की सेहत निर्धारित करने में महत्वपूर्ण कारक बनते हैं।  

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क्या करें?

30 साल के बाद शरीर में कैल्शियम की कमी प्रारंभ हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि इस स्टेज पर एक बार बोन मिनरल डेंसिटी जरूर चेक कराएं। यह जांच सीटी स्कैन या डेक्सा के माध्यम से की जाती है। यदि उसमें कमी हो तो डाॅक्टर की सलाह से कैल्शियम और विटामिन डी की सप्लीमेंटरी मेडिसिन जरूर लेनी चाहिए। यह सच है कि उम्र बढ़ने के साथ अस्थि क्षरण को रोका नहीं जा सकता और न ही ऐसी कोई जादू की गोली नही बनी है जिसे महिलाएं रात को सोने से पहले लें और अगली सुबह ठीक हो जाएं। इससे होने वाली समस्याओं से बचने के लिए महिलाओं को अपने स्वस्थ जीवनशैली और पौष्टिक-संतुलित आहार को अपनाना होगा।  

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अपनी डाइट का रखें ध्यान

Take care of your diet

अस्थि क्षरण को कम करने के लिए महिलाओं को कैल्शियम और विटामिन-डी से समृद्ध डाइट का सेवन करना जरूरी है। मेनोपाॅज से पहले उन्हें रोजाना 1,000 मिग्रा और बाद में तकरीबन 1,500 मिग्रा कैल्शियम लेना चाहिए। दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ जैसे- दही, मक्खन, चीज, पनीर, खोया कैल्शियम के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। महिलाएं अपने आहार में नियमित रूप से पालक, बीन्स, ब्रोकली , चुकुंदर, केला, संतरा, सेब जैसे कैल्शियम से भरपूर फल-सब्जियां और अंजीर, अखरोट, बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स शामिल कर सकती हैं।  

vitamin D

विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम को अवशोषित कर हड्डियों को मजबूत करने और अस्थि क्षरण को कम करने मे मदद करता है। महिलाओं को प्रति सप्ताह कम से कम 50 हजार यूनिट विटामिन-डी लेना जरूरी है। धूप विटामिन-डी का सर्वोतम प्राकृतिक स्रोत है। सुबह के समय या दिन में कम से कम 20-25 मिनट धूप सेंकनी चाहिए। विटामिन-डी में समृद्ध अंडे, मशरूम को भी अपनी डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए।

कैसे करें परहेज?

How to abstain

वजन नियंत्रित रखने के लिए अतिरिक्त वसा और संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थो का सेवन सीमित मात्रा में ही करें जैसे- घी, मक्खन, नारियल का तेल। शर्करा का सेवन कम से कम करें। शर्करा की अधिक मात्रा रक्त में अम्लता पैदा करती है जिससे हड्डियों से कैल्शियम ज्यादा मात्रा में निकलता है। इसी तरह महिलाओं को अपने आहार में उच्च फास्फेट वाले खाद्य पदार्थों से भी परहेज करना चाहिए जैसे- प्रोसेस्ड और केन फूड, इंस्टेंट सूप, पुडिंग, साॅफ्ट ड्रिंक्स। यथासंभव चाय-काॅफी जैसे कैफीनयुक्त पेय, स्मोकिंग और एल्कोहल कम लें। इनसे एस्ट्रोजन हार्मोन कम होते है और अस्थि क्षरण बढ़ता है।

व्यायाम को बनाएं डेली रूटीन का हिस्सा

Make exercise a part of daily routine

अस्थि क्षरण की प्रक्रिया और महिलाओं की हड्डियों में होने वाले नुकसान को नियमित व्यायाम या एक्सरसाइज करने से 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इससे हड्डियां ही नहीं, जोड़ों को सपोर्ट देने वाली मसल्स भी मजबूत होती हैं और उनमें लचीलापन बना रहता है। एक्सरसाइज शुरू करने से पहले महिलाओं को एकबारगी फिजियोथेरेपिस्ट डाॅक्टर को जरूर कंसल्ट कर लेना चाहिए करें क्योंकि जरूरत से ज्यादा या गलत एक्सरसाइज हड्डियों को नुकसान भी पहुंच सकती हैं। आमतौर पर डाॅक्टर उनकी शारीरिक क्षमता और हड्डियों के घनत्व के हिसाब से रोजाना 20-30 मिनट या सप्ताह में 5 दिन आइसोटाॅनिक एक्सरसाइज या हल्की करने की सलाह देते हैं।  

biceps, triceps

व्यायाम करते हुए रखें इन बातों का ध्यान

एक्सरसाइज (व्यायाम) का टाइम और मात्रा महिलाओं की शारीरिक क्षमता और मजबूती के हिसाब से निर्घारित होनी चाहिए। जिसे धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है। एक्सरसाइज करने से पहले 5-10 मिनट के लिए वार्मअप जरूर करना चाहिए। 
वैसे तो रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए। अगर महिलाओं को इकट्ठे करने में किसी तरह की दिक्कत हो, तो वे 10 या 15 मिनट के लिए दिन में दो से तीन बार भी एक्सरसाइज कर सकती हैं।

( डाॅ विश्वदीप शर्मा, आर्थोपेडिक सर्जन, फोर्टिस अस्पताल, नई दिल्ली और और डाॅ प्रभात रंजन, फिजियोथेरेपिस्ट, एम्स, नई दिल्ली )

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