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संकल्प लिए बिना रहती है देवताओं की पूजा अधूरी, जानिए इसके पीछे की मान्यता: Worship Method Rule

संकल्प लेकर पूजा करने से व्यक्ति के सभी कार्य बिना किसी रुकावट के पूरे होते हैं। गणेश जी के सामने पंचतत्वों और अपने कुल देवता को साक्षी मानकर संकल्प लेकर पूजा की जाती है।
06:00 AM May 24, 2023 IST | Naveen Parmuwal
संकल्प लिए बिना रहती है देवताओं की पूजा अधूरी  जानिए इसके पीछे की मान्यता  worship method rule
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Worship Method Rule: सनातन संस्कृति में विधि विधान से देवताओं की पूजा पाठ करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि देवताओं की पूजा करने से पहले व्यक्ति को अपने मन में संकल्प लेना चाहिए| पूजा पाठ, यज्ञ, हवन, किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को शुरू करने से पहले देवताओं के की पूजा का संकल्प लेना बहुत जरूरी है। संकल्प का अर्थ होता है किसी कार्य विशेष के लिए मन से दृढ़ निश्चय करना। बिना संकल्प के देवताओं की पूजा अधूरी मानी जाती है।

यदि कोई व्यक्ति संकल्प लिए बिना पूजा करता है तो उसे लाभ नहीं मिलता है। इसीलिए जब भी किसी धार्मिक कार्यों की पूजा शुरू की जाती है तब पंडित जी द्वारा पूजा करने वाले व्यक्ति को विशेष मंत्रों के द्वारा और इष्ट देवता को साक्षी मानकर देवताओं की पूजा का संकल्प दिलाया जाता है ताकि व्यक्ति की पूजा अच्छे से संपन्न हो सके। आइए जानते हैं कि देवताओं की पूजा से पहले संकल्प लेना क्यों जरूरी है, संकल्प लेने का महत्व क्या है।

इसलिए जरूरी है संकल्प लेना

Worship Method Rule
Sankalp in Worship

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति पूजा करता है तो उसे संकल्प जरूर लेना चाहिए, यदि बिना संकल्प लिए पूजा संपन्न की जाती है तो उस पूजा का पूरा फल इंद्र देवता को मिल जाता है और व्यक्ति की पूजा अधूरी रह जाती है। घर में की जाने वाली पूजा या किसी अन्य विशेष धार्मिक अवसर की पूजा हो, हर प्रकार की पूजा में व्यक्ति को संकल्प जरूर लेना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, प्रथम देव गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है इसलिए बिना किसी रुकावट के पूजा को पूरा करने के लिए पूजा शुरू करते समय सृष्टि के पंचतत्वों में जल तत्व के स्वामी गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने हाथ की अंजुली में जल लेकर संकल्प लिया जाता है।

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इसके बाद अपने कुल देवता, सृष्टि के पांचों तत्वों अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश और खुद को साक्षी मानकर यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपनी किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए पूरे मन से देवताओं की पूजा कर रहें है और हम इस पूजा को पूरे विधि विधान से जरूर पूरा करेंगे। संकल्प लेने के बाद पूजा को अधूरा नही छोड़ना चाहिए, अधूरी छोड़ी हुई पूजा से व्यक्ति को दोष लगता है और उस पूजा का फल भी प्राप्त नहीं होता जिसके कारण उसके जीवन में परेशानियां आने लगती है।

पूजा का संकल्प लेने का महत्व

Kshama Yachana Mantra
Kshama Yachana Mantra

शास्त्रों में बताया गया है कि संकल्प लेकर पूजा करने से व्यक्ति की इच्छा शक्ति मजबूत होती है, जिसके कारण व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में मजबूत बने रहने की प्रेरणा मिलती है। व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। संकल्प लेकर पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है और देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

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