बुद्धिमानी का निशान - दादा दादी की कहानी
Dada dadi ki kahani : अफ्रीका के घने जंगलों में एक बुद्धिमान ख़रगोश रहता था। वह और भी चतुर और समझदार बनना चाहता था। इसीलिए वह एक जादूगरनी के पास गया। उसने जादूगरनी से कहा, 'आप अपने जादू से मुझे सबसे समझदार जानवर बना दीजिए।'
जादूगरनी बोली, 'पहले तुम्हें परीक्षा देनी होगी। फिर मैं देखूगी कि तुम कितने बुद्धिमान हो और तुम्हें कितनी बुद्धि दी जाए।'
ख़रगोश तैयार हो गया। जादूगरनी ने कहा, 'जाओ और एक अजगर को पकड़कर दिखाओ।' नदी के पास एक अजगर रहता था। ख़रगोश ने पेड़ की एक लंबी शाखा ढूँढी। फिर अजगर से बोला, 'मैं सोचता था कि तुम दुनिया के सबसे लंबे अजगर हो। लेकिन मुझे लगता है कि मैं गलत सोचता था।"
यह बात सुनकर अजगर को बहुत गुस्सा आया।
'तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?' उसने पूछा। तब ख़रगोश बोला, 'इस शाखा को देखो, ये भी तुमसे ज़्यादा लंबी लगती है।'
अजगर को लगा कि ख़रगोश उसका अपमान कर रहा है। उसने कहा, 'तुम खुद ही नाप लो।' ऐसा कहकर वह शाखा से सटकर लेट गया और अपने आपको खींचकर शाखा से लंबा करने लगा। ख़रगोश इसी मौके की तलाश में था। उसने तुरंत अजगर को शाखा से बाँध दिया।
जादूगरनी ने यह देखा तो बहुत खुश हुई। उन्होंने अजगर को छोड़ दिया और उसे बताया कि उसे क्यों बाँधा गया था।
अब जादूगरनी ने ख़रगोश से कहा, 'जाओ, मधुमक्खियों को पकड़कर लाओ।'
मधुमक्खियों के छत्ते के पास जाना ख़तरे से खाली नहीं था। इसलिए ख़रगोश कोई और तरीका ढूँढने लगा।
उसे ज़मीन पर एक कदू पड़ा हुआ मिला। कद्दू काफी दिनों से वहाँ पड़ा हुआ था। इसलिए अंदर से सूखकर खाली हो गया था। ख़रगोश ने उसमें एक छोटा-सा छेद किया और उस कदू को फूलों की झाड़ी के पास ले गया। उसने कुछ छोटे-छोटे फूल तोड़े और कद्दू के अंदर डाल दिए। मधुमक्खियाँ जब पराग इकट्ठा करने झाड़ी के पास आईं तो उन्होंने कद्दू को वहाँ देखा। कद्दू के अंदर से भी फूलों की खुशबू आ रही थी। इसलिए मधुमक्खियाँ एक-एक करके कद्दू के अंदर जाने लगीं।
वे अंदर से फूलों से पराग इकट्ठा कर रही थीं। जब काफ़ी सारी मधुमक्खियाँ अंदर चली गईं तो ख़रगोश ने जल्दी से छेद बंद कर दिया। इस कदू को लेकर वह जादूगरनी के पास पहुँचा।
जादूगरनी ख़रगोश की समझदारी से बहुत खुश हुई। वह बोली, 'तुम तो पहले ही बहुत होशियार हो, तुम्हें और बुद्धि देने की कोई ज़रूरत नहीं लगती।'
ऐसा कहकर जादूगरनी ने अपनी उँगली खरगोश के कानों के बीच रखी। इससे वहाँ एक सफ़ेद निशान बन गया।
आज भी अफ्रीका के ख़रगोशों के कानों के बीच वह निशान पाया जाता है। यह निशान ख़रगोश की बुद्धिमानी का प्रतीक माना जाता है।