दूरदर्शी सुमन - दादा दादी की कहानी
Dada dadi ki kahani : प्रिया एक अमीर और सुंदर लड़की थी, उसके पास पहनने के लिए ढेर सारे सुंदर कपड़े थे। लेकिन उसका मन किसी भी कपड़े से बहुत जल्दी भर जाता था। दो-चार बार पहनकर ही वह अपने सुंदर-सुंदर कपड़े भी फेंक देती थी। उसको किसी भी चीज़ की कीमत का अहसास नहीं था। खाना भी वह आधा खाती थी और आधा मेज़ पर ही छोड़ देती थी।
उसके घर में एक नौकरानी थी-सुमन। सुमन एक बहुत ही समझदार लड़की थी। वह पूरा दिन प्रिया का सामान सम्हालकर रखती रहती थी। जो खाना प्रिया मेज़ पर छोड़ देती थी, उसमें से कुछ वह खा लेती थी और कुछ गरीब बच्चों को दे देती थी। जो कपड़े प्रिया फेंक देती थी, उन्हें सुमन अपने लिए रख लेती थी। उनसे वह अपने लिए अच्छी-अच्छी पोशाकें सिल लेती थी।
एक दिन प्रिया से मिलने के लिए एक युवक आया। उसने प्रिया को उसकी एक मित्र के यहाँ देखा था। प्रिया उसे अच्छी लगी। इसीलिए वह प्रिया के माता-पिता से मिलकर बात करने आया था। वह प्रिया से विवाह करना चाहता था। उस युवक ने अपना नाम समीर बताया।
समीर एक सभ्य और अच्छा लड़का था। प्रिया के माता-पिता को वह पसंद था। उन्होंने समीर को आदर से बैठाया और सुमन से चाय लाने को कहा। सुमन जब चाय लेकर आई तो उसने एक बहुत ही सुंदर पोशाक पहनी हुई थी। यह पोशाक उसने प्रिया की पुरानी पोशाकों से बनाई थी। उस पोशाक में सुमन बहुत ही अच्छी लग रही थी। प्रिया ने जब सुमन को देखा तो समीर से बोली, 'ये हमारी नौकरानी है-सुमन। मेरे पुराने कपड़े पहनकर अपने आपको बहुत सुंदर समझ रही है।'
समीर ने देखा कि सुमन की पोशाक कहीं से भी पुरानी नहीं लग रही थी। उसने प्रिया से पूछा, 'तुम ऐसा क्यों कह रही हो? यह पोशाक तो एकदम नई है।' तब प्रिया ने उसे बताया कि उसका मन जब किसी कपड़े से भर जाता है तो वह उसे फेंक देती है। सुमन बस वही पुराने कपड़े पहनती है। उसके पुराने कपड़ों को जोड़कर अपने लिए पोशाकें बनाती रहती है। कभी-कभी तो मेरा जूठा खाना तक बाहर के गंदे बच्चों को खिला देती है। बेचारी के पास नई चीज़ों के लिए पैसे नहीं हैं न!'
समीर ने महसूस किया कि सुमन एक बहुत समझदार और दूरदर्शी लड़की है। जबकि प्रिया एकदम बिगड़ी हुई और ख़र्चीली। उसने प्रिया के माता- पिता से कहा, आपकी बेटी बहुत सुंदर है, लेकिन घर सम्हालने के लिए जो गुण होने चाहिए वह उसमें नहीं है। सुमन में ये सभी गुण हैं, इसीलिए मैं प्रिया से नहीं बल्कि सुमन से विवाह करना चाहता हूँ।'
प्रिया के माता-पिता को दु:ख तो हुआ लेकिन वे सुमन के लिए खुश थे। वे जानते थे कि सुमन कितनी अच्छी है।
प्रिया को यह बात इतनी बुरी लगी कि उसने अपने-आपको पूरी तरह बदल डाला।
कुछ दिनों के बाद समीर फिर प्रिया के घर आया। सुमन ने उसे बताया कि प्रिया बदल गई है। समीर ने प्रिया से कहा, 'प्रिया, मैं तो सचमुच सिर्फ तुम्हें पसंद करता हूँ। सुमन से विवाह की बात तो बस एक नाटक था, जो हम सबने मिलकर किया था, तुम्हें बदलने के लिए। हम चाहते थे कि तुम्हें अपनी गलती का अहसास हो। मैं खुश हूँ कि तुम बदल गई हो। अब बताओ, तुम मुझसे विवाह करोगी?'
प्रिया खड़ी-खड़ी शरमा रही थी और सुमन दोनों को देखकर बहुत खुश थी।