ग़बन – मुंशी प्रेमचंद
(Gaban) ग़बन : एक परिचय
Gaban Hindi Novel: ‘गबन’ प्रेमचंद का एक बहुचर्चित उपन्यास है, यह प्रेमचंद ने तब लिखा था जब वे आदर्शोन्मुख यथार्थवाद विचारधारा से बेहद प्रभावित थे। वस्तुतः उस दौर में लिखे गए उनके सभी उपन्यास एक आदर्श स्थापित करते थे। शुरुआत में नायक कैसा भी हो अथवा कैसी भी स्थिति में हो उसका अंत सुखद ही होता था। कहानी का सार केवल इतना है कि एक ईमानदार व्यक्ति का आजाद ख्याल बेटा सुख-सुविधाओं से लैस जिंदगी को अपना फ़लसफ़ा मानता था। दिक्कत तब शुरू होती है जब उसका विवाह होता है। उसकी पत्नी की महत्वकांक्षाएं उसे अप्रत्यक्ष रूप से गबन करने के लिए उकसाती है। हालांकि उपन्यास का नायक ही खलनायक है या यूं कहें कि एक दिन खलनायक का हृदय परिवर्तन होता है और वह सबकुछ ठीक करने निकल पड़ता है।
गबन में कई विषयों को बारीकी से उठाया गया है जैसे कि पत्नी यदि महत्वाकांक्षी हो तो निश्चित रूप से पति का जीवन कष्टकारी होता है और यदि पत्नी अथवा स्त्री समझदार व विनम्र हो तो वह एक निकम्मे और कामचोर व्यक्ति को भी त्यागी और कर्मयोगी बना देता है। कहानी कुछ यूं शुरू होती है कि झूठ पर टिका रामनाथ और जालपा के रिश्ते पर धीरे-धीरे काई सी जमने लगती है, जब उसे पता चलता है कि उसके ससुराल वालों ने जिस चन्द्रहार देने की बात उसके माता पिता को कही थी वो तो केवल एक छलावा था। नई-नवेली दुलहन जालपा मायके से चन्द्रहार की लालसा लिए ससुराल पहुंचती है। रमानाथ पहले ही दिन उसे अपने और अपने परिवार के बारे में झूठी शान बघारता है। बस फिर क्या था जालपा रमानाथ से उस चन्द्रहार को लाने की जिद्द कर बैठती है जो उसे शादी के नेक में न मिला। वो इतने बड़े घर की बहू थी तो एक चन्द्रहार क्या बड़ी बात हो सकती थी रमानाथ और उसके परिवार के लिए।
जबकि रमानाथ के मामूली क्लर्क है लेकिन अपनी पत्नी को संतुष्ट करने के लिए वह अपने दफ्तर से ग़बन करता है और भागकर कलकत्ता चला जाता है जहां एक कुंजड़ा और उसकी पत्नी उसे शरण देते हैं। डकैती के एक जाली मामले में पुलिस उसे फंसा कर मुखबिर की भूमिका में प्रस्तुत करती है।
पति की दुर्दशा देखकर को जालपा को प्रायश्चित होता है। वह यह भूल गई थी कि विवाह के समय चढ़ावे में और गहने तो थे, चन्द्रहार न था। उसे पति को चन्द्रहार के लिए इस तरह जिद्द नहीं करनी चाहिए थी। बहरहाल, जालपा दुःख-संताप से भरी कलकत्ता आती है और उसे जेल से निकालने में सहायक होती है। इसी बीच पुलिस की तानाशाही के विरूद्ध एक बड़ी जन-जागृति शुरू होती है। निसंदेह ‘गबन’ की पृष्ठभूमि यथार्थवादी लेकिन निष्कर्ष आदर्शवादी है।
Gaban के लेखक : मुंशी प्रेमचंद
![Munshi Premchand](https://grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2023/10/Untitled-design-2024-01-10T121341.158-1024x576.jpg)
हिंदी साहित्य जगत में प्रेमचंद (31 जुलाई 1880- 8 अक्टूबर 1936) की लोकप्रियता इस कदर है कि उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ की उपाधि दी गई है। यह उनकी कलम का ही जादू है कि शायद ही कोई बच्चा उनके नाम और उनकी कहानी ‘ईदगाह’ के बारे में न जानता हो।
उनकी सभी रचनाएं समाज की विभिन्न पहलुओं, मनोदशाओं एवं विडम्बनाओं को दर्शाती हैं , फिर चाहे वह कहानियों के माध्यम से हो या फिर उपन्यासों के माध्यम से। गंवई पृष्ठभूमि, जमींदारी प्रथा, मानवीय संवेदनाएं उनकी रचनाओं में प्रमुख स्थान पाते हैं , जो तत्कालीन समाज का आईना लगती हैं।
उनकी कहानियों की चर्चा करें तो ‘ईदगाह’, ‘नशा’, ‘दो बैलों की कथा’ ,’नमक का दरोगा’, ‘कफ़न’ जैसे कई कहानियां और ‘सेवासदन’ ,’कायाकल्प’ ,’गबन’ और ‘गोदान’ आदि उपन्यास आज भी प्रासंगिक लगते हैं क्योंकि ये समाज की निम्न एवं मध्यवर्गीय सोच और रहन सहन को दर्शाते हैं। उर्दू और हिंदी दोनों ही भाषा में उन्होंने प्रसिद्धी पाई जो उनकी मृत्यु के बाद भी कम नहीं हुई है और उनकी रचनाएं हिंदी साहित्य की धरोहर हैं।
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