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आंखों का दुश्मन ग्लूकोमा: Glaucoma Effects

09:30 AM Apr 17, 2024 IST | Srishti Mishra
आंखों का दुश्मन ग्लूकोमा  glaucoma effects
Glaucoma Effects
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Glaucoma Effects: ग्लूकोमा एक नेत्र रोग है, जो आंख के अंदर के द्वव्य का दबाव बढ़ने से होता है। इलाज न करवाने पर इंसान अंधा भी हो सकता है। कहते है कि आंखें मन का दर्पण होती हैं। शरीर के और किसी अंग के ना रहने से उतना फर्क नहीं पड़ता जितना कि आंखों के ना रहने से। हमारी थोड़ी सी भी लापरवाही हमारी दृष्टि के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं। सरोया आई हॉस्पिटल कि निदेशक एवं वरिष्ठ परामर्शकर्त्ता डॉक्टर जे.एस. सरोया कहते हैं, कि लोगों मेें कालापानी बहुत प्रचलित हैं, इसलिए इसका इलाज समय रहते करवाना जरूरी है।

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सामान्यत: आंख के अंदर एक द्रव्य बनता रहता है, जो आंख के भीतरी अंगो को पोषण देता है। इसी द्रव्य के आंख के गोलक के बाहर निकलने का एक जालीनुमा रास्ता होता है, जब यह रास्ता अवरूद्ध हो जाता है तो यह द्रव्य अंदर जमा हो जाता है और आंख के अंदरूनी भाग, विशेषकर आंख की नस पर दबाव डालता है।

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1) 40 वर्ष से अधिक वायु वाले व्यक्तियों को।

2) परिवार मे किसी को कालापानी होना।

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3) आंख मे चोट लगना।

4) डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, थायरॉइड की बीमारी।

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5) स्टेयरॉइड दवाओं को लंबे समय तक सेवन।

6) आंखों में एलर्जी के लिए स्टेयरॉइड ड्रॉप्स का लंबे समय तक इस्तेमाल।

7) तेज माइनस या तेज प्लस नम्बर होना।

8) मोतियाबिन्द का अधिक पकना।

वर्षो तक यह रोग बिना पता लगे रह सकता है। नेत्र विशेषज्ञ द्वारा आंखों की नियमित एवं सम्पूर्ण जांच द्वारा कालापानी से बचा जा सकता है। कालापानी का निदान परीक्षणों से हो सकता है।

कालापानी को इलाज से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन उपचार से आंख का दबाव कम किया जा सकता है और आगे हो सकने वाली दृष्टि हानि को रोका या कम किया जा सकता है-
दवा एवं आई ड्रॉप्स- काला पानी के उपचार के लिए आई ड्रॉप्स डालना सबसे महत्वपूर्ण है। इसे शुरू करने के पश्चात बिना डॉक्टर की सलाह के कभी बंद नहीं करना चाहिए। आई ड्रॉप्स प्राय: आजीवन डालने होते हैं।
लेजर उपचार- लेजर उपचार द्वारा कालापानी के अटैक एवं दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
शल्य क्रिया - यदि दवाओं और लेज़र उपचार से कालापानी नियंत्रित न हो, तो शल्य चिकित्सा आवश्यक हो जाती हैं।

कालापानी को रोकने का कोई प्रमाणित तरीका नहीं है।

यदि आपको कालापानी होने की संभावना अधिक है, तो कम से कम वर्ष में एक बार आंख की जांच, विशेषकर आंखों के प्रेशर की जांच अवश्य करवायें। इसके अलावा आप निम्न उपाय भी कर सकते हैं।

1) नियमित व्यायाम करें।

2) चाय, कॉफी का सीमित प्रयोग करें।

3) आंख में चोट लगने से बचें।

4) डायबिटीज, हाईब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें।

5) गहरी, हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे- कच्चा पालक आदि का खूब सेवन करें।

6) बाहर जाते समय आंखों को क्षति पहुंचाने वाले यूवी और ब्लू लाइट को रोकने के लिए उपयुक्त चश्मा पहनें।

7) धूम्रपान, मदिरापान आदि से बचें, क्योंकि इनसे भी आपकी दृष्टि प्रभावित हो सकती हैं।

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