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चार्जर-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

01:00 PM Mar 24, 2023 IST | Sapna Jha
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Hindi Love Story: वह रोजाना साहिल से चार्जर मांगती। सुबह मांगती शाम को लौटा देती। कभी कभार सोचा जा सकता है मगर रोजाना मांगने का क्या तुक? मोबाइल है तो चार्जर भी होगा। साहिल को क्या कहे बिना उसकी तरफ नजरें फेंके चार्जर थमा देता। क्या साहिल को चार्जर की जरूरत नहीं थी? जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी था। साहिल दो चार्जर लाता हेागा? एक अपने लिए दूसरा उसके लिए। उसके लिए क्येां? क्या रिश्ता था दोनों में।
वह भी कितनी ढीठ थीं। रोज सुबह मुंह उठाकर चली आती चार्जर मांगने। एक फायदा था उसके आने से। उसके लिबास से उठती सेंट की खुशबू मेेरे अंतस को भीगा कर चली जाती और मैं काफी देर तक उस खुशबू से खुद को सराबोर पाता।
एक दिन उससे रहा न गया साहिल से पूछ बैठी,‘‘आपके दिल में कुछ नहीं हेाता?’’ साहिल सकपकाया। भला चार्जर से दिल का क्या रिश्ता? उसने मांगा मैने थमा दिया। लौटाया तो चुपचाप रख दिया।

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‘‘कुछ तो नहीं,‘‘ साहिल निर्विकार भाव से बोला।
‘‘मैं रोजाना आपसे चार्जर मांगती हूं तब भी नहीं?’’उसने आंखों में आंखे डालकर पूछा। माशाअल्लाह क्या आंखें थी उसकी सीप की मानिंद। एक बार जो देख तो बिन पीये ''शराबी'' हो जाए। इतना नशा था। बड़ी अजीब बात थी जो साहिल उससे बेखबर था। बाखबर होता तो निश्चय ही डूब जाता।

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रोजाना की तरह आज भी उसके लब गुलाब की रंगत से नहाये थे। केाई दूसरा होता तो बिन पीये न मानता। मगर नहीं साहिल तो अलग ही मिट्टी का बना था। अपने में खोया रहता। वह बेचारी जितनी बार बाथरूम जाती उतनी बार चोर नजरों से साहिल को जरूर देखती। नये—नये लिबास का जादू भी उसे सम्मोहित न कर सकी।
‘‘मुझे आपसे मोहब्बत हेा गयी।’’ उस वक्त साहिल अकेला था। दिल की बात जुबान पर आ गयी। साहिल एकाएक चैका। उसपर एक नजर फेंकी। उसके ओठों पर स्मित की हल्की रेखा खींच गयी।
‘‘पहले क्येां नहीं बताया। मेरी तो “शादी हो चुकी है।’’ उसके लिए किसी आघात से कम नहीं था। भरे कदमों से चलकर आयी और अपने सीट पर बैठ गयी। बहुत देर तक दोनों बाजुओं के बीच अपने चेहरे को छुपाये मेज में गड़ी रही। जब सिर उठाया तो उसकी दोनों आंखे आंसूओं से लबरेज थी। चार्जर तो एक बहाना था।

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